भारत की तीनों सेनाओं का दूसरा सर्वोच्च जनरल भी उत्तराखंड का जांबाज अनिल चौहान ही बना

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Born on 18th May 1961, Lt Gen Anil Chauhan was commissioned into the 11 Gorkha Rifles of the Indian Army in 1981. He is an alumnus of the National Defence Academy, Khadakwasla, and Indian Military Academy, Dehradun. In the rank of Maj General, the officer had commanded an Infantry Division in the critical Baramula sector in the Northern Command. Later as Lt General, he commanded a corps in the North East and subsequently went to become the General Officer Commanding-in-Chief of the Eastern Command from September 2019 and held the charge until his retirement from the service in May 2021.

 

–उषा रावत —

नयी दिल्ली, 28 सितम्बर। उत्तराखण्ड के लिये एक और गर्व का क्षण आ गया है। भारत सरकार ने दूसरा सीडीएस भी उत्तराखण्ड से चुन लिया है। भारत सरकार ने पौड़ी गढ़वाल के मूल निवासी अनि सिंह चौहान को देश का दूसरा सीडीएस नियुक्त करने का फैसला किया है। यह पद 8 दिसम्बर 2021 को जनरल बिपिन रावत के दुर्घटना में निधन हो जाने के बाद खाली चल रहा था। जनरल रावत भी पौड़ी गढ़वाल के ही मूल निवासी थे। बिपिन रावत के बाद जनरल अनिल सिंह चौहान की नियुक्ति ने भारत की सुरक्षा में उत्तराखण्डवासियों की अति महत्वपूर्ण भूमिका को एक बार फिर साबति कर दिया है।

सरकार ने लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेनि) पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, एसएम, वीएसएम को अगले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) के रूप में नियुक्त करने का निर्णय लिया है, जो उनके कार्यभार ग्रहण करने की तिथि और अगले आदेश तक भारत सरकार के सैन्य मामलों से जुड़े विभाग के सचिव के रूप में भी कार्य करेंगे। लगभग 40 वर्षों से अधिक के करियर में, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान अनेक कमांड, स्टाफ और सहायक पदों पर रहे हैं और जम्मू-कश्मीर तथा उत्तर-पूर्व भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों में भी उन्हें व्यापक अनुभव रहा है।

18 मई 1961 को पौड़ी  गढ़वाल में  जन्मे लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को 1981 में भारतीय सेना की 11 गोरखा राइफल्स में कमीशन दिया गया था। वह राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकवासला और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून के पूर्व छात्र हैं। मेजर जनरल के रैंक में उन्होंने उत्तरी कमान में महत्वपूर्ण बारामुला सेक्टर में एक इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली थी। बाद में लेफ्टिनेंट जनरल के रूप में, उन्होंने उत्तर-पूर्व में एक कोर की कमान संभाली और बाद में सितंबर 2019 से पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ बने तथा मई 2021 में सेवा से अपनी सेवानिवृत्ति तक पदभार संभाला।

इन कमांड नियुक्तियों के अलावा, अधिकारी ने सैन्य संचालन महानिदेशक के प्रभार सहित महत्वपूर्ण स्टाफ नियुक्तियों को भी किराए पर लिया। इससे पहले, अधिकारी ने अंगोला में संयुक्त राष्ट्र मिशन के रूप में भी काम किया था। अधिकारी 31 मई 2021 को भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हुए। सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद भी, उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मामलों में योगदान देना जारी रखा। सेना में उनकी विशिष्ट और शानदार सेवा के लिए, लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (सेवानिवृत्त) को परम विशिष्ट सेवा पदक, उत्तम युद्ध सेवा पदक, अति विशिष्ट सेवा पदक, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित किया गया।

रक्षा प्रमुख या चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) भारतीय सशस्त्र सेनाओं के पेशेवर त्रि-सेवा प्रमुख और भारत सरकार के वरिष्ठतम वर्दीधारी सैन्य सलाहकार हैं। 24 दिसम्बर 2019 को भारत की सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इस पद के सृजन की घोषणा की तथा जनरल बिपिन रावत को 1 जनवरी 2020 को भारत का प्रथम रक्षा प्रमुख बनाया गया। पहली बार 1999 में कारगिल समीक्षा समिति की सिफारिशों के माध्यम से कारगिल युद्ध के बाद आधिकारिक तौर पर सुझाव दिया गया था।

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   मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान जी (से.नि.) को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) नियुक्त किए जाने पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड के सपूत को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ नियुक्त किए जाने पर प्रत्येक उत्तराखण्डवासी गौरवान्वित है। मुख्यमंत्री ने कहा कि “हमें पूर्ण विश्वास है कि आपके कुशल नेतृत्व में भारतीय सेना सदैव की भांति राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में नया कीर्तिमान स्थापित करेगी।“

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