विद्यार्थी परिषद के सम्मेलन में जबरन छात्रों को पहुंचाने के सरकारी आदेश ने तूल पकड़ी
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देहरादून, 23 फरबरी। अल्मोड़ा के मुख्य शिक्षा अधिकारी द्वारा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सम्मेलन में भीड़ बढ़ाने के लिये जिले के कक्षा 9 से लेकर 11 वीं तक के छात्र-छात्राओं को इस मुद्दे को लेकर के आदेश ने तूल पकड़ लिया है। कांग्रेस ने मुख्य शिक्षा अधिकारी के इस आदेश को घोर आपत्तिजनक बताते हुये इसे शिक्षा व्यवस्था का दुरुपयोग और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन बताया।
इस मुद्दे को लेकर उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा कि उक्त प्रकरण अत्यंत शर्मनाक है जिसकी शिकायत करते हुए मुख्य सचिव को उत्तराखंड कांग्रेस द्वारा ज्ञापन दिया जा रहा है और एक प्रति महामहिम राज्यपाल को प्रेषित की जा रही है। भारतीय जनता पार्टी आज लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन करने पर उतारू हो गई है । दसौनी ने कहा कि भाजपा को अपने गिरेबान में झांकने की जरूरत है एक तरफ तो भारतीय जनता पार्टी राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में बच्चों के इस्तेमाल का अनर्गल आरोप लगाती है और वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड में अल्मोड़ा जनपद के मुख्य शिक्षा अधिकारी सरकारी पत्र जारी करते हुए 9 सरकारी विद्यालयों के प्रधानाचार्य को आदेश देते हुए देखे जा रहे हैं जिसमें कक्षा 9 और 11 के मासूम बच्चों को भीड़ बढ़ाने के लिए एबीवीपी के कार्यक्रम में जबरन भेजे जाने की बात कही गई है। दसोनी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का स्तर दिन पर दिन गिरता चला जा रहा है अपने कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए और भीड़ बढ़ाने के लिए अध्ययनरत छात्र-छात्राओं का इस्तेमाल निश्चित तौर पर निंदनीय है। दसोनी ने मुख्य शिक्षा अधिकारी अल्मोड़ा के इस कृत्य की भर्त्सना करते हुए कहा की भाजयुमो के कार्यक्रम में मुख्य शिक्षा अधिकारी की रूचि बता रही है कि आज पूरा सरकारी अमला किस तरह से भारतीय जनता पार्टी के हाथों की कठपुतली बन चुका है।
दसोनी ने मुख्यमंत्री से अपेक्षा की कि वह तुरंत मामले का संज्ञान लेते हुए मुख्य शिक्षा अधिकारी को पद मुक्त करें। संज्ञान में यह आया है की मुख्य शिक्षा अधिकारी का तबादला कर दिया गया है और भाजयुमो का कार्यक्रम भी 16 फरवरी को संपन्न हो चुका है परंतु सवाल यह है कि मुख्य अधिकारी का तबादला करना ही उनके इस कृत्य की माफी है?और क्या इतने संगीन अपराध की इतनी सजा काफी है? दसौनी ने बताया की उक्त प्रकरण अत्यंत शर्मनाक है जिसकी शिकायत करते हुए मुख्य सचिव को उत्तराखंड कांग्रेस के द्वारा ज्ञापन दिया गया और एक प्रति महामहिम राज्यपाल को भी प्रेषित की गई है.
दसौनी के अनुसार् संज्ञान में यह आया है की मुख्य शिक्षा अधिकारी का तबादला कर दिया गया है और भाजयुमो का कार्यक्रम भी 16 फरवरी को संपन्न हो चुका है परंतु सवाल यह है कि मुख्य अधिकारी का तबादला करना ही उनके इस कृत्य की माफी है?और क्या इतने संगीन अपराध की इतनी सजा काफी है?
उक्त प्रकरण अत्यंत शर्मनाक है जिसकी शिकायत करते हुए मुख्य सचिव को उत्तराखंड कांग्रेस द्वारा ज्ञापन दिया जा रहा है और एक प्रति महामहिम राज्यपाल को प्रेषित की जा रही है।