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मतदाता का मन टटोलने की एक कोशिश यह भी

-दिनेश शास्त्री-
हरिद्वार संसदीय सीट पर आपने कांग्रेस उम्मीदवार को वोट दिया है तो पांच दबाएं, भाजपा को वोट दिया है तो छह दबाएं और यदि किसी अन्य को दिया है तो आठ दबाएं। मोबाइल फोन पर शनिवार को यह संदेश अनेक लोगों को आया। फोन नंबर था – +917971449740.
विदित है कि शुक्रवार को उत्तराखंड में 18 वीं लोकसभा के लिए मतदान संपन्न हो चुका है। मतगणना चार जून को होगी, तब तक वक्त कैसे गुजारा जाए, शायद इसी कशमकश के बीच अपने तंत्र को जनता का मन टटोलने के लिए लगाया गया हो। निश्चित रूप से यह किसी पार्टी विशेष का अभियान होगा। मतदाता के साथ समस्या यह है कि पहले कानफोडू चुनावी शोर से दो चार होना पड़ा, किसी किसी प्रत्याशी ने वोट मांगते वक्त शांति भंग भी की लेकिन अब जबकि मतदाता उनका भाग्य ईवीएम में बंद कर चुका है तो क्यों उसकी नाक में दम किया जा रहा है, यह पहेली तो नहीं लेकिन प्रत्याशियों की बढ़ती धड़कन को ही दर्शा रहा है। दूसरे नतीजे आने तक कोई दूसरा काम उन लोगों के लिए रह नहीं गया है तो चलो, इसी बहाने टाइम पास किया जाए। मतदाता की थाह भी मिल जायेगी और गुना गणित भी हो जायेगा लेकिन गारंटी क्या है कि मतदाता आपके कहने पर पांच, छह या आठ का बटन दबाए? राजनीतिक दल खुद को जितना चतुर मानते हैं, मतदाता भी तो उसी अनुपात में चतुराई के लिए स्वतंत्र है। कायदे से अब उसका पीछा करना छोड़ देना चाहिए लेकिन राजनीति है ही ऐसी कि क्रिकेट की अंतिम गेंद फेंके जाने तक तसल्ली नहीं होती, जैसे पोस्टल बैलेट की गिनती कई बार एक से अधिक बार इस उम्मीद में करवा दी जाती है कि शायद दोबारा गिनने में रिजल्ट अपने अनुकूल आ जाए। कदाचित इसी कसरत में मतदाताओं का मन टटोलने के लिए यह प्रयास किया जा रहा है। इस बहाने कार्यकर्ता भी व्यस्त रहेगा, अपना मन भी बहला रहेगा और नुक्कड़ की चौपालों के लिए मसाला मिलता रहेगा।
वैसे कयास, अटकल, अनुमान के घोड़े चार जून की सुबह तक दौड़ते ही रहेंगे। हवाई किले भी बनेंगे, किंतु इस कसरत का एक सकारात्मक पहलू यह है कि तब तक कोई भी प्रत्याशी डिप्रेशन का शिकार नहीं होगा। कार्यकर्ता तब तक भरोसा दिलाता रहेगा कि इंतजार कीजिए, बस अपनी किस्मत खुलने ही वाली है। हो सकता है यह काम किसी कॉल सेंटर को सौंपा गया हो तो भी यह मान कर संतोष किया ही जाना चाहिए कि थोड़े ही सही लेकिन कुछ लोगों के रोजगार की संभावना तो खुली। हरिद्वार प्रदेश की सबसे बड़ी लोकसभा सीट है। यहां पूरे प्रदेश के एक चौथाई मतदाता हैं। यानी बीस लाख से अधिक मतदाताओं से सर्वे के नाम पर कुछ लोगों को काम मिल गया है तो बेरोजगारी के इस दौर में उसकी सराहना तो की ही जा सकती है।

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