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विकसित भारत की बात ‘बकवास’ ?

Milind Khandekar

रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन फिर विवादों में हैं. उन्होंने Bloomberg को इंटरव्यू में कहा कि जब आपके बच्चे हाई स्कूल एजुकेशन नहीं पा रहे हो. ड्रॉप आउट रेट ज़्यादा हो तब 2047 तक विकसित भारत की बात करना भी बकवास है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य रखा है. लोकसभा चुनाव में भी यही बीजेपी का नारा है. चर्चा राजन के बयान के बारे में. 

 

सबसे पहले तो जान लेते हैं कि राजन ने कहा क्या है? 

  •  यह बहुत बड़ी गलती होगा कि हम मानने लगे कि भारत तेज़ी से आर्थिक विकास कर रहा हैं. नेता चाहते हैं यह बात जनता मान लें पर हमें समझना चाहिए कि वहाँ तक पहुँचने के लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होगी.
  • हमारी वर्क फ़ोर्स को काम करने लायक़ बनाना होगा. इस वर्क फ़ोर्स के लिए रोज़गार पैदा करना होगा.
  • शिक्षा इसमें सबसे बड़ी अड़चन है. स्कूलों में ड्रॉप आउट रेट ज़्यादा है. जो बच्चे बच्चे पढ़ भी रहे हैं उनकी शिक्षा का स्तर कोरोनावायरस के बाद 2012 के स्तर पर पहुँच गया हैं. कक्षा तीन के 20% बच्चे ही क्लास दो की पढ़ाई कर सकते हैं.
  • सरकार की प्राथमिकता ग़लत है. चिप बनाने के लिए जितनी सब्सिडी दी जा रही है वो हाई एजुकेशन के बजट से भी ज़्यादा है.चिप की सब्सिडी 76 हज़ार करोड़ रुपये है जबकि हाई एजुकेशन का बजट है 47 हज़ार करोड़ रुपये. चिप बनाने के लिए जो सब्सिडी दी जा रही है उससे एक व्यक्ति को नौकरी देने के लिए सरकार चार करोड़ रुपये खर्च कर रही है.

राजन के बयान से बवाल हो गया. नीति आयोग के सदस्य अरविंद वीरमानी ने उन्हें पैराशूट इकोनॉमिस्ट कहा है जो ज़मीन से कटे हुए हैं. Infosys के पूर्व CFO मोहन दास पै ने उनके बयानों को मूर्खतापूर्ण कहा है. उनका कहना है कि ड्रॉप आउट कम हुए हैं . कॉलेज में ज़्यादा बच्चे पढ़ रहे हैं. नौकरियाँ आ रही है. चिप सब्सिडी की तुलना एजुकेशन बजट से करना ग़लत है. सब्सिडी कई सालों तक दी जाएगी जबकि बजट एक साल का है.

दुनिया भर में चिप की माँग बढ़ती जा रही है. इसका इस्तेमाल कार, कम्प्यूटर, लैपटॉप, फ़ोन जैसी चीजों में होता है. भारत अभी इन्हें विदेश से मँगवाता हैं. केंद्र सरकार ने इन्हें भारत में बनाने के लिए स्कीम लायी है जिसका बजट 76 हज़ार करोड़ रुपये है. अब तक इसमें गुजरात में तीन और असम में एक प्लांट लग रहा हैं. राजन का कहना है कि वो चिप बनाने के विरोध में नहीं है. दुनिया भर की सरकारें चिप के लिए सब्सिडी दे रही है . हमारे सामने समस्या दूसरी है. पैसे कॉलेज में Spectrometer ख़रीदने पर खर्च होना चाहिए ताकि साइंस के फ़र्स्ट क्लास स्टुडेंटस निकले .

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल क़िले से 15 अगस्त को कहा था कि 2047 में भारत विकसित देश बन जाएगा. भारत अभी विकासशील देश है. हमारी प्रति व्यक्ति आय 2800 डॉलर है यानी क़रीब दो लाख 30 हज़ार रुपये , SBI रिसर्च ने अनुमान लगाया है कि 2047 में हमारी प्रति व्यक्ति आय क़रीब 13 हज़ार डॉलर हो जाएगी यानी क़रीब 15 लाख रुपये. UN और वर्ल्ड बैंक उन देशों को अभी विकसित देश मानता है जिनकी आमदनी 13 हज़ार डॉलर प्रति व्यक्ति है.

राजन जिस Hype के बारे में बात करते हैं उसका एक उदाहरण देखिए हम अगले पाँच साल में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तो बन जाएँगे . अभी हम पाँचवें नंबर पर हैं लेकिन प्रति व्यक्ति आय में हमारी रैंक 141वें नंबर पर है. 2013-14 में रैंक 147 थीं.कई छोटे-छोटे देश हमसे आगे है.

ऐसा नहीं है कि 2047 तक विकसित देश बनना असंभव है. रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर सी रंग राजन ने हाल में कहा था कि 13 हज़ार डॉलर प्रति व्यक्ति आय के लिए अर्थव्यवस्था को हर साल 7-8% ग्रोथ करनी होगी. यह समझना होगा कि इस रफ़्तार को क़ायम रखने के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार की आवश्यकता है जिसकी बात राजन कर रहे हैं. ( With courtesy from Hindi News letter Hisab Kitab)

 

 

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