सौ साल की हो गयी भारतीय उप महाद्वीप के सैन्य प्रशिक्षण संस्थानों की माता आरआइएमसी
-जयसिंह रावत
भारतीय उप महाद्वीप में सैन्य प्रशिक्षण संस्थानों की मातृ संस्था राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (आरआइएमसी) पूरे 100 साल की हो गयी। इस कालेज ने न केवल भारत अपितु पाकिस्तान और बर्मा को भी सैन्य नेतृत्व दिया है। देखा जाय तो यह कालेज भारत की सुरक्षा की गारंटी भी है। यह संस्था अब तक भारतीय सेना को 6 जांबाज सेना प्रमुख और दर्जनों आर्मी कमाण्डर दे चुकी है।
सेना के भारतीयकरण के लिये खुला आरआइएमसी
आरआईएमसी भारतीय उपमहाद्वीप का पहला सैन्य प्रशिक्षण संस्थान है, जिसका उद्घाटन 13 मार्च, 1922 को तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स (बाद में किंग एडवर्ड अष्टम) द्वारा किया गया था, जो भारतीय युवाओं को शिक्षित और प्रशिक्षित करने के लिए ब्रिटिश भारतीय सेना के अधिकारी संवर्ग के भारतीयकरण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में था। देहरादून के गढ़ी गांव के निकट पहले 138 एकड़ में रजवाड़ा कैंप (इम्पीरियल कैडेट कोर) हुआ करता था, जिसमें केवल राजा महाराजाओं के बच्चे ही पढ़ते थे। भारतीय नेतृत्व की मांग पर इसी कैम्पस में रॉयल आर्मी कालेज स्थापित किया गया जिसका उद्घाटन प्रिंस ऑफ वेल्स ने किया। यहां से पास आउट होने वाले कैडेटों को सीधे ब्रिटिश आर्मी में कमीशन दे दिया जाने लगा। 1947 में देश की आजादी के बाद इसका नाम राष्ट्रीय इंडियन मिलिट्री कॉलेज कर दिया गया।
भारतीय सेना को 6 जांबाज जनरल दिये आरआइएमसी ने
वर्तमान में आरआईएमसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और नौसेना अकादमी, एझिमाला के लिए प्रमुख फीडर संस्थान है। उत्कृष्ठता के इस पालने ने देश को 4 थल सेनाध्यक्ष, 2 वायु सेनाध्यक्ष और पाकिस्तान के लिय एक कमाण्डर-इन-चीफ ऑफ आर्मी एवं दो वायु सेनाध्यक्ष देने के साथ ही भारतीय सेना को अब तक 41 सेना कमांडर और समकक्ष और 163 लेफ्टिनेंट जनरल के रैंक में सैन्य अधिकारी दिए हैं। इस कालेज के छात्रों ने नागर सेवा में राज्यपाल, राजदूत और उद्योग जगत में भी महती भूमिका अदा की है।
आर्मी कालेज सैण्डहर्ट्स लंदन की तैयारी के लिये खुला था
इस कालेज की स्थापना का उद्ेश्य ही भारत स्थित ब्रिटिश सेना के भारतीयकरण के लिये भारत के युवाओं को रॉयल मिलिट्री कालेज सैण्डहर्टस् के लिये तैयार करना था। आरआइएमसी, मूलतः कालेज न हो कर सैण्डहर्टस् की तैयारी के लिये एक पब्लिक स्कूल ही था। अंग्रेजों का मानना था कि सेना में अधिकारी बनने के लिये भारत वासियों का इंग्लैण्ड में शिक्षा ग्रहण करना नामुमकिन है इसलिये भारतीय युवाओं को सेनाधिकारी बनने के लिये अपेक्षित शिक्षा भारत में ही दी जा सकती है। इसलिये भारतीय नेताओं की मांग पर भारत में रॉयल मिलिट्री कालेज की स्थापना की गयी।
एनडीए और नोसेना अकादमी का फीडर संस्थान
आरआइएमसी आज भी एनडीए खड़गवासला, अधिकारी प्रशिक्षण अकादमी, चेन्नई और भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून जैसे संस्थानों के लिए नेतृत्व की नर्सरी ही है। यह कॉलेज 11 से 18 वर्ष की आयु के युवा लड़कों को विशेष रूप से अखिल भारतीय प्रतियोगी परीक्षा के माध्यम से पब्लिक स्कूल शिक्षा प्रदान करता है। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) और नौसेना अकादमी (एनएवीएसी) के लिए एक समर्पित इस फीडर, कॉलेज का लक्ष्य अधिकतम लड़कों को एनडी, एनएवीएसी में भेजना है। इसलिए यह कैडेटों की संपूर्ण शिक्षा और सर्वांगीण व्यक्तित्व विकास पर अत्यधिक जोर देता है। यदि कैडेट दुर्लभ या अपरिहार्य कारणों से एनडीए में शामिल होने में असमर्थ है, तो वह किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने और अच्छा प्रदर्शन करने के लिए आवश्यक दक्षता प्राप्त करता है, तो वह अपना भविष्य स्वयं चुनता है।
अब लड़कियों के लिये भी खुले कालेज के द्वार
इस कालेज के लिये अखिल भारतीय स्तर पर प्रवेश परीक्षा होती है। परीक्षा पास होने पर मेडिकली फिट बच्चों को दाखिला दिया जाता है। इस कालेज में सभी राज्यों के लिये जनसंख्या के आधार पर कोटा तय किया गया है। सुप्रीमकोर्ट के आदेशानुसार अब पहली बार लड़कियों के लिये भी आरआइएमसी में अध्ययन की व्यवस्था हो गयी है। इस साल जुलाइ से शुरू होने वाले कालेज के शिक्षा सत्र के लिये लड़कियों से भी आवेदन आमंत्रित किये गये हैं।
साल में दो बार होती हैं बोर्ड परीक्षाएं
यह देश का ऐसा एकमात्र कालेज है जहां साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं आयोजित होती हैं। एक परीक्षा मई तो दूसरी परीक्षा नवंबर में होती है। चूंकि नेशनल डिफेंस अकैडमी के लिए वर्ष में दो बार एंट्रेस होते हैं और इसमें बारहवीं पास बच्चा ही शामिल हो सकता हैं इसीलिये इस कालेज में भी साल में दो बार परीक्षाओं की व्यवस्था की गयी है। स्कूल का बोर्ड सीबीएसई है, लेकिन परीक्षा का शैड्यूल पूरा अलग है। यहां मई व नवंबर माह में बोर्ड परीक्षा होती हैं। जिसे सेना मुख्यालय आयोजित कराता है। परीक्षा में पर्यवेक्षकों की भूमिका सेना के अधिकारी निभाते हैं। इन परीक्षाओं का परिणाम एक माह के भीतर घोषित किया जाता है। स्कूल की पढ़ाई का जिम्मा सिविलियन शिक्षकों का होता है, जबकि प्रबंधन सेना के हाथ में हैं। यहां कर्नल स्तर का अधिकारी स्कूल का प्रिंसिपल होता है।
कालेज में 12 साल के बच्चे ले सकते हैं आठवीं में दाखिला
इस कालेज में हर छह महीने में लगभग 25 कैडेटों को भर्ती किया जाता है। उम्मीदवारों की आयु 11 से 12 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए या 11 (जनवरी) या 01 (जुलाई) को 13 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं करनी चाहिए। यहां प्रवेश केवल आठवीं कक्षा में किए जाते हैं। कालेज में प्रवेश करते समय बच्चे को सातवीं कक्षा में पढ़ना चाहिए या किसी मान्यता प्राप्त स्कूल से सातवीं कक्षा उत्तीर्ण होना चाहिए। आवेदन पत्र संबंधित राज्य सरकारों को जमा किए जाने हैं। उम्मीदवारों का चयन वर्ष में दो बार आयोजित अखिल भारतीय प्रवेश परीक्षा में उनके प्रदर्शन के आधार पर किया जाता है, जिसमें अंग्रेजी (125 अंक), गणित (200 अंक) और सामान्य ज्ञान (75 अंक) में प्रश्न पत्रों की लिखित परीक्षा शामिल होती है, सफल उम्मीदवारों को बुलाया जाता है। वाइवा-वॉयस टेस्ट (50 अंक) के लिए होता है।