धर्म/संस्कृति/ चारधाम यात्राब्लॉग

श्रद्धालु ने उठाए कुछ सवाल, सीएम हेल्पलाइन ने कहा – हो गया निस्तारण

-दिनेश शास्त्री-
उत्तराखंड सरकार चारधाम यात्रा की तैयारियों में जुट गई है। संबंधित विभागों को निर्देश दिए जा चुके हैं कि व्यवस्थाएं अभी से चुस्त दुरुस्त कर ली जाएं। वैसे इस तरह के आदेश निर्देश रस्मी ही सिद्ध होते रहे हैं। धरातल पर स्थिति एक तरह से श्रद्धालु को भेड़ियों के सामने छोड़ देने की सी होती है। इससे न सिर्फ देवभूमि की प्रतिष्ठा धूमिल होती है बल्कि देश विदेश में गलत छवि भी बनती है। यात्रा का अर्थ कुछ लोगों ने रातोंरात करोड़पति बनने का लगा दिया है और इस पर कोई नियंत्रण नहीं है।  खाने पीने की वस्तुओं के दाम हों या सुविधाओं की बात हो, मूल्य नियंत्रण का कोई भी तंत्र आज तक विकसित नहीं हो पाया है।
बीती 14 जनवरी को हरियाणा के फरीदाबाद से एक श्रद्धालु राजेश गुप्ता अपने साथियों संग देवभूमि के शीतकालीन पूजास्थलों की यात्रा पर आए थे। उन्होंने अपने अनुभव मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ इस उम्मीद से साझा किए कि अन्य श्रद्धालुओं को उन असुविधाओं का सामना न करना पड़े। मुख्यमंत्री कार्यालय से उनका पत्र। सीएम हेल्पलाइन को भेज दिया गया और कागज दौड़ाने के बाद सीएम हेल्पलाइन से श्री गुप्ता सूचित कर दिया गया कि उनकी शिकायत का निराकरण कर दिया गया है।
श्री गुप्ता पिछले कई वर्षों से उत्तराखंड की यात्रा पर आ रहे हैं। एक तरह से यह उनके वार्षिक कलेंडर का हिस्सा है। उन्होंने मुख्यमंत्री धामी को भेजे पत्र में तीन बिंदु उठाए थे।
पहला बिंदु था त्रियुगीनारायण में जीएमवीएन के बंगले तक पहुंचने के रास्ते का। यह मोड़ उत्तराखंड के इंजीनियरों के कौशल का नमूना है। दो तीन बार वाहन को आगे पीछे किए बिना बंगले तक नहीं पहुंचा जा सकता, या फिर एक बार वाहन आगे ले जाओ और वहां से मोड़ कर लाने के बाद ही बंगले तक पहुंचा जा सकता है। मोड़ पर जो निर्माण चल रहे हैं, उससे तो सुधार की संभावनाएं भी खत्म हो गई हैं। इस बिंदु का निराकरण कैसे हुआ, यह समझ से परे है।
श्री गुप्ता ने दूसरा बिंदु उठाया, सेवाओं का। वे अक्सर त्रियुगीनारायण में भंडारा करवाते हैं। यह उनकी आस्था है। 2019 में जब उन्होंने भंडारा करवाया था तब जीएमवीएन की अपनी व्यवस्था थी। इस कारण खाने पीने की वस्तुओं के दाम नियंत्रित थे। अब आउटसोर्स के दौर में बेलगाम व्यवस्था है। किचन ठेके पर देने का नतीजा यह हुआ कि दाम अत्यंत ऊंचे हो गए हैं। वे बताते हैं कि उनके शहर में ओम हलवाई के यहां से प्रति व्यक्ति 90 रुपए की दर से भोजन उपलब्ध हो जाता है। पहाड़ का दूरस्थ क्षेत्र होने तथा परिवहन लागत ऊंची होने से दाम ज्यादा हो सकते हैं। उनके मुताबिक भंडारे के सादे भोजन की लागत अधिकतम 150 रुपए प्रति व्यक्ति स्वीकार्य है किंतु ढाई सौ रुपए प्रतिव्यक्ति की दर बहुत ज्यादा है। वे वहां एक सौ स्थानीय लोगों को भोजन करवाना चाहते थे किंतु बजट ज्यादा होने के कारण उन्हें संख्या साठ तक सीमित करनी पड़ी। अब मुख्यमंत्री कार्यालय से श्री गुप्ता को सूचित किया गया है कि उनकी शिकायत का निस्तारण हो चुका है। यह निस्तारण किस रूप में हुआ होगा, यह अब अगले साल ही पता चलेगा। बंगले के किचन ठेकेदार ने तो उनसे अभी तक कोई खेद नहीं जताया है।
श्री गुप्ता ने अपने पत्र में तीसरा बिंदु चोपता में सार्वजनिक शौचालय का उठाया। तुंगनाथ धाम का आधार शिविर और श्रद्धालुओं और पर्यटकों का पसंदीदा गंतव्य होने के कारण चोपता वर्षभर गुलजार रहता है किंतु अभी तक वहां एक अदद सार्वजनिक शौचालय की व्यवस्था नहीं हो पाई है। वहां दुकानदारों से इस बाबत पूछने पर कहा जाता है कि पहाड़ की ओट में कहीं भी चले जाओ। श्री गुप्ता के मुताबिक यह स्थिति महिलाओं के लिए अत्यंत अपमानजनक है। वे हैरानी जताते हैं कि आखिर इस महत्वपूर्ण विषय की आज तक कैसे अनदेखी की जा रही है। संभव है सेंचुरी एरिया होने से यहां निर्माण प्रतिबंधित हो, किंतु खुले में शौच की विवशता तो व्यवस्था पर दाग ही तो लगाती है। खैर अब सीएम हेल्पलाइन से कहा गया है कि शिकायत का निस्तारण हो गया है तो उसके लिए श्री गुप्ता को खुद अपनी आंखों से देख कर जाना होगा। त्रियुगीनारायण में जीएमवीएन बंगले में प्रवेश बिंदु का मोड़ हो, खानपान की दर हो अथवा विश्वप्रसिद्ध चोपता में सार्वजनिक शौचालय की सुविधा की बात। फिलवक्त तो स्थानीय स्तर पर व्यवथाओं की पुष्टि तो नहीं हो पाई है, शायद यात्रा सीजन शुरू होने पर संभव हुआ तो श्रद्धालुओं को राहत जरूर मिलेगी।

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