धामी सरकार की समान नागरिक संहिता-कितनी हकीकत कितना ढकोसला, देखिए और सुनिए बहस
संविधान का अनुच्छेद 254 समवर्ती सूची के विषयों में राज्य सरकार को बहुत सिमित अधिकार देता है। इसके अनुसार अगर राज्य विधान मंडल और संसद दोनो एक ही विषय पर कानून बनाते हैँ तो विधान सभा का कानून अमान्य होगा। यहाँ सांसद 155 और 1956 में कानून बना चुकी है। इसलिए राज्य विधान मंडल का कानून मान्य मान्य नहीं है, लेकिन इसी अनुच्छेद 254 B में प्रावधान है कि अगर राष्ट्रपति अनुमति दे तो ऐसे विषय पर राज्य का बनाया कानून उसी राज्य की सीमा में लागू हो सकता है। उत्तराखंड में अकेले ऐसा कानून व्यवहारिक नहीं होगा। लेकिन उसके बाद भी इस कानून में अनुच्छेद 25 से 28 तक बाधक हैँ जो कि धर्म और धार्मिक रीति रीवाजों के मौलिक अधिकार देते हैँ। यही नहीं सरकार जनजातियों की रीति रिवाजों की संवैधानिक गारंटी का उल्लंघन नहीं कर सकती। उत्तराखंड मे 5 जनजातियों की 3 लाख जनसंख्या है।
कुल मिला कर देखा जाय तो समान नागरिक संहिता का ढकोसला केवल साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण के अलावा कुछ नहीं है। –जयसिंह रावत