उत्तराखंडसर्विस ट्रिब्युनल ने किया एस.एस.पी. व आई. जी. का आदेश निरस्त
सत्तारूढ़ दल के नेता की शिकायत पर विभागीय कार्यवाही में कांस्टेबिल के विरूद्ध किये गये थे आदेश
-उषा रावत-
देहरादून, 9 जून। उत्तराखंड में सरकारी कर्मचारी अधिकारियों के सेवा सम्बन्धी मामलों का निर्णय करने वाले विशेष न्यायालय (ट्रिब्युनल) की नैनीताल पीठ ने एस.एस.पी. उधमसिंह नगर तथा आई.जी. कुमाऊं नैैनीताल के कांस्टेबिल कपिल कुमार के विरूद्ध विभागीय कार्यवाही में किये गये आदेेशों को निरस्त कर दिया। ट्रिब्युनल चैयरमैन जस्टिस यू.सी.ध्यानी तथा वाइस चैयरमैैन राजीव गुुप्ता की बेेंच ने कांस्टेेबिल कपिल कुमार की याचिका पर यह निर्णय दिया हैै।
उधमसिंह नगर में तैनात पुलिस कांस्टेबिल कपिल कुमार की और से अधिवक्ता नदीम उद्दीन ने लोक सेवा अधिकरण नैैनीताल की पीठ में याचिका संख्या 73 सन 2021 दायर की थी। इसमें कहा गया था जब 2017 में वह थाना काशीपुर पर नियुक्त था तो दिनांक 23-09-2017 को थाना जसपुर में किसी मामले में पूछताछ हेतु लाये गये महुआडावरा निवासी युवक को जसपुर पुलिस ने छुपाने के एवज में एक लाख रूपये की मांग कर तत्समय 50 हजार रूपये रिश्वत लेने की सत्तारूढ़ पार्टी के नेता द्वारा फोन पर की गयी झूठी शिकायत मिलने पर बिना शासनादेश संख्या 690 की प्रक्रिया अपनाये तत्कालीन पुुलिस उपाधीक्षक काशीपुर द्वारा नेता के रिजोर्ट पर एस.एस.आई. को भेजकर उससे लिखित शिकायत जो अन्य नेता के नाम से थी, मंगवाकर कांस्टेबिल कपिल कुमार के विरूद्ध रिपोर्ट परिष्ठ पुुलिस अधीक्षक को भेजी गयी जिस पर उसे अवैैध रूप से निलम्बित कर दिया। जिसके बाद प्र्रारंभिक जांच तथा विभागीय जांच में अवैैध रूप से उसे दोषी मानकर सेवा में पदच्युत (बर्खास्त) करने की संस्तुति अपर पुलिस अधीक्षक, अपराध, उधमसिंह नगर द्वारा की गयी। इस पर एस.एस.पी. द्वारा नोेटिस दिया गया। नोटिस के उत्तर पर नियमानुसार विचार किये बगैैर ही 06 फरवरी 2020 के आदेश से कांस्टेबिल को 3 वर्ष के लिये न्यूनतम वेेतन मान पर अवनत (डिमोशन) कर दिया गया। इस की अपील आई.जी. को की गयी। उन्होंने इसे कालबाधित कहते हुये विचार करनेे से इंकार कर दिया। इस पर कांस्टेबिल ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय की शरण ली। उच्च न्यायालय के अपील पर विचार करने आदेेश के बाद आई.जी. कुमाऊं ने अपील को अवैैध रूप से 01 मार्च 2021 के आदेश से खारिज कर दिया। इस पर कांस्टेबिल कपिल कुमार द्वारा अपने अधिवक्ता नदीम उद्दीन के माध्यम सेे उत्तराखंड लोक सेवा अधिकरण की नैैनीताल पीठ में दावा याचिका दायर की। याचिका में विभागीय दण्ड के आदेेश व अपील आदेश को निरस्त करके तथा उसके आधार पर रूके सेवा लाभों को दिलाने का निवेदन किया गया।
याचिकाकर्ता की ओर नदीम उद्दीन ने विभागीय जांच तथा दण्ड आदेश व अपील आदेश अवैध, निराधार तथा प्र्राकृतिक न्याय के उल्लंघन केे आधार पर निरस्त होने योेग्य बताया।
अधिकरण के अध्यक्ष जस्टिस यू.सी.ध्यानी तथा उपाध्यक्ष राजीव गुप्ता की पीठ ने श्री नदीम के तर्कों से सहमत होते हुये वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उधमसिंह नगर के दण्ड आदेश तथा पुलिस महानिरीक्षक कुमाऊं के अपील आदेश को गलत मानते हुये निरस्त कर दिया। अधिकरण नेे विभागीय जांच में कर्मचारी द्वारा बताये गये दस्तावेजोें पर विचार न करने तथा विचार न करने का कोई कारण लिखित न करने तथा दण्ड आदेश में कर्मचारी के नोटिस को अवैध, निराधार, गलत तथ्यों पर आधारित होने के कारण निरस्त होने योग्य होने के कथन को स्वीकार हैै लिखने को आधार माना हैै। अधिकरण ने मामले को पुनः कार्यवाही हेतु वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक उधमसिंह नगर को भेज दिया है तथा उन्हें नियमानुसार नये सिरे से आदेश तीन माह के अंदर पारित करने को आदेशित किया है। साथ ही याचिकाकर्ता के निलम्बन काल केे वेतन भत्तों केे लिये भी उपयुक्त आदेश पारित करने को आदेशित किया है।