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टीएमयू में शास्त्रीय नृत्य की अद्भुत, अकल्पनीय और अविश्वसनीय प्रस्तुति

परम्परा-02 में कथक नृत्यांगना संजुक्ता सिन्हा एंड ग्रुप की गणेश वंदना, शिव तांडव और तराना के संग-संग गज़ल पर एकल और सामूहिक भावनृत्य प्रस्तुतियों से जीवंत हो उठा तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी का ऑडिटोरियम, देश की यूनिवर्सिटीज में टीएमयू में मेरी पहली प्रस्तुति, टीएमयू के स्टुडेंट्स ने बदला मेरा नजरिया

-प्रो. श्याम सुंदर भाटिया

घुंघरूओं की खनक, आकर्षक लिबास, रंग-बिरंगी रोशनी में नहाया मंच, जुदा-जुदा भाव-भंगिमाओं के जरिए कथक नृत्यांगना संजुक्ता सिन्हा एंड उनके ग्रुप ने ठुमरी, दादरी, कथक, तराना और भावरूपी गज़ल की बेहतरीन प्रस्तुतियां तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम में सैकड़ों मौजूद संगीत प्रेमियों के लिए सौगात की मानिंद रहीं। नतीजन इन अविस्मरणीय परफॉर्मेस पर कुलाधिपति श्री सुरेश जैन, एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री अक्षत जैन, एमएलसी डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त, रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, समाज सेवी श्री गुरविन्दर सिंह, परम्परा के सहयोगी ब्रीथिंग आर्ट्स के फाउंडर श्री अनुराग चौहान, लॉ कॉलेज के डीन प्रो. हरबंश दीक्षित समेत सभी मेहमानों और मुकम्मल ऑडी ने स्टेंडिंग ऑवेशन दिया। इससे पूर्व ऑडी में मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके परम्परा-02 के द्वितीय चरण के कार्यक्रम का आगाज़ हुआ। अंत में कथक नृत्यांगना संजुक्ता सिन्हा को मुख्य अतिथि डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त ने शाल ओढ़ाकर जबकि कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने बुके देकर सम्मानित किया। साथी कलाकारों को भी बुके और शाल भेंट की गईं।

ऑडी के मंच पर बिखरी रंग-बिरंगी रोशनी और दर्शकों से खचा-खच भरे ऑडिटोरियम के बीच कथक नृत्यांगना संजुक्ता सिन्हा एंड ग्रुप ने गणेश वंदना- गजमुख गजानन गणेश.. पर मनमोहनी नृत्य प्रस्तुति से इस संगीतमय सांझ का आगाज़ किया। आस्थामय इस प्रस्तुति ने खूब तालियां बटोरीं। शिव तांडव और ओम नमः शिवाय, महादेव देव शिव शंकराय… पर सामूहिक कथक नृत्य के जरिए शिव की विभिन्न मुद्राएं पेश कीं। मंच पर आरोही-अवरोही क्रम में थिरकते पैर, घुंघरूओं की खनक, चेहरे के भाव-भंगिमाएं, आंखों और हाथों की विभिन्न मुद्राओं से गज़ल, ठुमरी, दादरी पर नृत्य की ऐसी प्रस्तुति दी कि दर्शक निर्निमेष नेत्रों से देखते ही रहे।  नृत्यांगना संजुक्ता सिन्हा ने गज़ल- आज जाने की जिद न करो… पर भाव नृत्य की अकल्पनीय प्रस्तुति दी, जिसने ऑडिटोरियम में मौजूद सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। अंतिम प्रस्तुति- तराना पर संजुक्ता सिन्हा एंड ग्रुप के सदस्यों की एक्सीलेंट प्रस्तुति ने सबको दीवाना कर दिया। श्वेत परिधानों में सह कलाकारों के संग-संग बिस्मिल्लाह ख़ां युवा पुरस्कार विजेता एवम् नृत्यांगना संजुक्ता सिन्हा ने कथक को जीवंत कर दिया।

बतौर मुख्य अतिथि एमएलसी डॉ. जयपाल सिंह व्यस्त ने कहा, जहां कला है, वहां जिन्दगी है। जिन्दगी है तो नई रोशनी है। वहीं आनन्दानुभूति है, सुखानुभव है। यह नाग ब्रहम का स्वरूप है। संजुक्ता सिन्हा ने की आज जाने की जिद ना करो… गजल पर मनमोहनी प्रस्तुति के लिए मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हुए बोले, निबध्य गजल को भावगीत के रूप में आप ही कर प्रस्तुत सकती हैं। गजल और भावगीत का उतना तारतम्य नहीं है, जितना ठुमरी और दादरी का तारतम्य है। तारतम्य न होने के बावजूद आप और आपकी टीम की प्रस्तुति एक्सीलेंट थी। तराना को आपकी टीम ने विभिन्न मुद्राओं में उसके अनेक रूप प्रस्तुत किए हैं, वह निश्चित रूप से अकल्पनीय है। हम आपका शब्दों के जरिए धन्यवाद व्यक्त नहीं कर सकते हैं। डॉ. व्यस्त बोले, टीएमयू परिवार की ओर से ऐसे आयोजन कराने की एक निरन्तर परम्परा है।

इस परम्परा के तहत आयोजित यह प्रोग्राम अद्भुत, अनुपम, अद्वितीय, अनुकरणीय और प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा, टीएमयू के मंच पर ऐसी अमृत वर्षा होती रहे और इसमें हम जी भर कर डुबकी लगाते रहें। इससे पूर्व कथक नृत्यांगना संजुक्ता सिन्हा बोलीं, कला को किसी भाषा की आवश्यकता नहीं होती है, इसीलिए शो के दौरान मैंने माइक का प्रयोग नहीं किया। टीएमयू की ऑडियन्स बेमिसाल हैं। मैंने और मेरी टीम ने शिद्दत से महसूस किया, टीएमयू के स्टुडेंट्स को क्लासिक म्यूजिक की समझ है। मैं टीएमयू में पहली बार आई हूं। टीएमयू के स्टुडेंट्स ने मेरी मानसिकता को बदल दिया है। इस मौके पर मुरादाबाद जैन सभा के अध्यक्ष श्री अनिल जैन, व्यापारी श्री राजेन्द्र सिंह, सीनियर एडवोकेट श्री संजीव राघव, डीन स्टुडेंट्स वेलफेयर प्रो. एमपी सिंह, ज्वाइंट रजिस्ट्रार एआरसी प्रो. निखिल रस्तोगी, फॉर्मेसी के प्राचार्य प्रो. अनुराग वर्मा, लॉ कॉलेज के प्रिंसिपल प्रो. एसके सिंह, टिमिट के निदेशक प्रो. विपिन जैन आदि मौजूद रहे। कुलाधिपति की सुपौत्री सुश्री नंदिनी जैन की भी इस संगीत समारोह में उल्लेखनीय उपस्थिति रही। संचालन फैकल्टी श्री विपिन चौहान और श्रीमती सुगंधा जैन ने किया।

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