विविध रोगों के समग्र उपचार हेतु ‘‘हर्बल रिसर्च, डॉटा एनालाइसिस एण्ड वैलिडेशन ऑफ आयुर्वेदिक ड्रग्स पर कार्यशाला
हरिद्वार, 17 दिसम्बर। पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल के तत्वाधान तथा पतंजलि अनुसंधान संस्थान के सहयोग से विविध रोगों के समग्र उपचार हेतु ‘‘हर्बल रिसर्च, डॉटा एनालाइसिस एण्ड वैलिडेशन ऑफ आयुर्वेदिक ड्रग्स (Herbal Research, Data Analysis and Validation of Ayurvedic Drugs)’’ विषय पर पतंजलि अनुसंधान संस्थान के सभागार में एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। आयुष मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल को सेंटर ऑफ एक्सिलेंस चुना गया है जिसके अन्तर्गत इस कार्यशाला का आयोजन किया गया है जिसमें मुख्य अतिथि अध्यक्ष-एम्पॉवर्ड कमेटी आयुष, ओडिशा सरकार, प्रो. डॉ. गोपाल सी. नन्दा जी रहे। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि के स्वागत व दीप प्रज्ज्वलन के साथ किया गया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रो. नन्दा ने कहा कि वनस्पतियां ऐसे सार तत्वों का संश्लेषण करती हैं जो मनुष्य तथा अन्य प्राणियों के स्वास्थ्य के लिए उपयोगी होते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हर्बल अनुसंधान, डॉटा विश्लेषण तथा आयुर्वेदिक दवाओं का सत्यापन नितांत आवश्यक है। जहाँ एक ओर कोरोना महामारी में एलोपैथी चिकित्सा पूरी तरह विफल रही वहीं हर्बल औषधियों तथा आयुर्वेदिक काढ़ों ने मानव जाति की रक्षा की। पतंजलि की कोरोनिल किट अपने औषधीय गुणों के कारण सबसे ज्यादा डिमांड में रही, जिससे आम जनता में आयुर्वेद के प्रति विश्वास पुनर्स्थापित हुआ। प्रो. नन्दा ने कहा कि पतंजलि की दुष्प्रभाव रहित इंटिग्रेटेड चिकित्सा पद्धति एक उदाहरण है जिसने रोगियों को निरोगी जीवन प्रदान कर आशा की नई किरण दिखाई है।

कार्यशाला की व्यवस्थापिका एवं पतंजलि हर्बल रिसर्च डिविजन की प्रमुख डॉ. वेदप्रिया आर्य ने कहा कि पतंजलि से पहले किसी भी सरकार या शोध संस्थान ने आयुर्वेद के क्षेत्र में क्लिनिकल कंट्रोल का कार्य इतने बड़े पैमाने पर नहीं किया जिस कारण पूर्व में ऋषियों का यह ज्ञान वैश्विक पहचान से वंचित रहा।

कार्यशाला में पतंजलि अनुसंधान संस्थान के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अनुराग वार्ष्णेय ने कहा कि पतंजलि अनुसंधान संस्थान के शोध-पत्र निरंतर विश्वस्तरीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं। हमने अश्वगंधा, गिलोय, हल्दी, शतावर, मूसली, अष्टवर्ग पादप, शिलाजीत आदि पर गहन शोध कर अनुसंधान आधारित अनेक गुणकारी आयुर्वेदिक औषधियाँ यथा- श्वासारी गोल्ड, पीड़ानिल गोल्ड, बी.पी. ग्रिट, मधुग्रिट, कार्डियोग्रिट, लिवोग्रिट, इयरग्रिट, आईग्रिट, थायरोग्रिट, लिपिडोम आदि निर्मित की हैं। पतंजलि के सफल प्रयासों से वैश्विक स्तर पर लोगों में आयुर्वेद के प्रति विश्वास बढ़ा है।

इस अवसर पर पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अनिल यादव ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन निरंतर होते रहने चाहिए, इससे आयुर्वेद को बल मिलता है।
कार्यक्रम में पतंजलि की साइंटिस्ट-सी, डॉ. प्रियंका चौधरी ने जैव सक्रिय यौगिकों के अलगाव पर हर्बल निष्कर्षण तकनीकों और उनके प्रभावों का अवलोकन विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि पतंजलि वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में निरंतर कुशलतापूर्वक कार्य कर रहा है। हमने साक्ष्य-आधारित अध्ययनों के बल पर आयुर्वेद को नई पहचान दिलाई है। साइंटिस्ट-डी डॉ. भास्कर जोशी ने ‘औषधीय और सुगंधित पौधों की रूपात्मक पहचान’ विषय पर अपने शोध को साझा किया।
कार्यशाला के द्वितीय सत्र में साइंटिस्ट-सी डॉ. अनुराग डबास ने ‘फेफड़ों के कैंसर के लिए हर्बल मेडिसिन पर वैश्विक अनुसंधान रुचि और नेटवर्क विजुअलाइजेशन: एक क्लस्टर-आधारित बिब्लियोमेट्रिक विश्लेषण’ तथा साइंटिस्ट-सी डॉ. सौरव घोष ने ‘दैनिक जीवन में सांख्यिकीय तकनीकों के मौलिक और प्रायौगिक आशय’ विषय पर सभी प्रतिभागियों को विभिन्न नए सॉफ्रटवेयर पर प्रैक्टिकल प्रशिक्षण दिया।
कार्यशाला में पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के छात्र-छात्राओं तथा पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने भाग लिया। पतंजलि हर्बल रिसर्च डिविजन की प्रमुख डॉ. वेदप्रिया आर्य ने सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापित किया।