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चुनावों की रणभेरी और मुर्गी बाजार की पौबारह

-प्रभुपाल सिंह रावत-
निर्वाचन आयोग द्वारा अट्ठारहवीं लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। वाया संसद के निम्न सदन, देश के सत्ता के गलियारे तक पहुंचने के लिये आयोजित हो रहे आम चुनाव के मैदान में उम्मीदवार प्रतिद्वन्दियों पर आक्रमण के लिये सींग पैने कर चुके हैं। राजनीतिक दलों ने किलेबंदी करने के साथ ही सत्ता पर काबिज होने के लिये बिसातें बिछा दी हैं। निर्वाचन आयोग द्वारा आचार संहिता घोषित करने के साथ ही तथाकथित निगरानी शुरू कर दी है। चुनाव खर्च की सीमा तो पहले से ही तय है। लेकिन पहाड़ों में चुनाव लड़ने की जो मुख्य सामग्री है उस पर न तो निर्वाचन आयोग और ना ही पक्ष विपक्ष का ध्यान जाता है। इस सामग्री पर न तो निर्वाचन आयोग का और ना ही प्रशासन का इस ओर ध्यान जाता है। इस मुख्य सामग्री में शराब के साथ मुर्गी या बकरी (दारू सहित)। शामिल होती है। बिना इसके कोई चुनाव लड़ने का दावा करता है तो उससे बड़ा झूठा कोई और नहीं हो सकता।

अब लोग सोच रहे होंगें कि लोकसभा चुनाव में इसकी क्यों आवश्यकता  है? लोगों का मानना है कि 50%मतदान व रातोंरात उलटफेर इसी से होता है।ये चुनाव  प्रचार, प्रसार  व वोटरों को लुभाने व घोषणाएं करने का सशक्त व सटीक माध्यम है।ये प्रचलन लगभग 20-25 सालों से चलता आ रहा है।इससे इन  महापर्व में  कुक्कुट पालकों की अच्छी आय हो जाती है।यही एक ऐसा समय है जब इस उद्यान का अधिक प्रयोग  होता है तथा ये सौदा मनमर्जी का भी है।इसके साथ एक दो चीजें और  भी हैं लेकिन  उसके लिए  अलग या अगल-बगल से मिलेगा।ये मतदाताओं को भाषणों से ज्यादा लाभकारी है।

जैसे कि हमारी संस्कृति में देवी देवताओं को स्मरण करने का प्रचलन  आदि काल से चलता आ रहा है।अभी इस 15 मार्च से 14 अप्रैल तक  गढ़वाल, कुमाऊँ परिक्षेत्र में चैत्र मास के दिनों में छलभूत, मसाण, भूत पिचाश, घर भूत आदि पूजा कार्यों के लिए मुर्गा की जरूरत  होती है।अधिकतर काला मुर्गा, लाल मुर्गा की ज्यादा मांग होती है।इस कार्य को करने से हमारे देवी देवता प्रसन्न  होकर हमें अनेक कष्टों, विघ्न वाधाओ से मुक्त करते हैं। इस बार अच्छा सुअवसर आया है कि चैत्र  मास  व लोकसभा चुनाव  भी साथ साथ  ही तिथि आ रही है।ऐसे में मुर्गों की भारी मांग होगी।शायद  चुनाव  की तिथियों की घोषणा आजकल में होने वाली है।वैसे फेसबुक व सोशल मीडिया में तो एक हफ्ते  से जोर पकड़ने लगा है।

अभी अभी रिखणीखाल के एक  गांव कोटडी छनी  निवासी देवेश आदमी ने जानकारी दी है कि उनके कुक्कुट फार्म में इन दोनों उत्सवों को सम्पन्न  करने के लिए कुक्कुट उद्यान का भरपूर,व पर्याप्त मात्रा में भंडारण है।यही इस क्षेत्र का एक बड़ा भंडारण  केंद्र  भी है।जो कि रिखणीखाल प्रखंड के गाँव कोटडी  छनी में कयी  सालों  से आपकी सेवा में तत्पर है।अल्प समय में भी फोन के माध्यम  से आर्डर बुक  कर सकते हैं।

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