पवनदीप राजन उत्तराखण्ड का कला और संस्कृति ब्राण्ड एम्बेसेडर
देहरादून 25 अगस्त, 2021
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पवनदीप राजन को कला, पर्यटन और संस्कृति में उत्तराखण्ड का ब्राण्ड एम्बेसेडर बनाया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पवनदीप राजन ने सामान्य स्थितियों से उठकर अपनी प्रतिभा से देश दुनिया में उत्तराखण्ड का नाम रोशन किया है। पवनदीप राजन ने सीएम आवास में मुख्यमंत्री से शिष्टाचार भेंट की।
15 अगस्त, 2021 को संपन्न हुए सिंगिंग रियलिटी शो ‘इंडियन आइडल 12’ के ग्रैंड फिनाले में उत्तराखंड के पवनदीप राजन विजेता बने। उन्हें पुरस्कारस्वरूप लग्जरी कार और 25 लाख रुपए मिले।
- उत्तराखंड के चंपावत निवासी पवनदीप को संगीत विरासत में मिला है। उनके पिता सुरेश राजन और ताऊ सतीश राजन ने उन्हें संगीत सिखाया है।
- उनके पिता सुरेश राजन कुमाऊँ के मशहूर लोकगायक हैं तथा दादाजी स्व. रति राजन भी प्रसिद्ध लोकगायक थे।
- पवनदीप की नानी विख्यात लोकगायिका थीं। पवनदीप की बहन ज्योतिदीप भी एक गायिका हैं।
- पवनदीप राजन गीत गाने के साथ ही विभिन्न तरह के म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट बजाने में माहिर हैं।
पवन की नानी कपोतरी देवी विख्यात लोक गायिका थी
भारतीय संगीत एवं सिनेमा को मिले एक नायाब हीरे पवनदीप राजन की नानी कबूतरी देवी जिनको प्रायः कपोत्तरी देवी के नाम से पुकारा जाता था, उत्तराखंड की विख्यात लोकगायिका थीं और उन्हें कुमाऊँ की तीजनबाई भी कहा जाता था। नेपाल-भारत की सीमा के पास लगभग 1945 में पैदा हुई कबूतरी दी को संगीत की शिक्षा पुश्तैनी रूप में हस्तांतरित हुई। परम्परागत लोकसंगीत को उनके पुरखे अगली पीढ़ियों को सौंपते हुए आगे बढ़ाते गए। कपोतरी देवी जी का 7 जुलाई 2018 को पिथौरागढ़ में निधन हो गया। विवाह के बाद कपोतरी देवी अपने ससुराल पिथौरागढ़ जिले के दूरस्थ गांव क्वीतड़ (ब्लॉक मूनाकोट) आईं। उनके पति दीवानी राम सामाजिक कार्यकर्ता थे। उन्होंने अपनी पत्नी कपोतरी की प्रतिभा को निखारने और उन्हें मंच पर ले जाने का सराहनीय काम किया। वह स्वयं अपनी पत्नी को लेकर आकाशवाणी नजीबाबाद और आकाशवाणी रामपुर रिकर्डिंग के लिये ले जाते थे।। उस समय के प्रसिद्ध संगीतज्ञ और गीतकार
भानुराम सुकौटी ने भी कपोतरी की प्रतिभा को निखारने का बेहतरीन काम किया। 1984-85 तक कपोतरी देवी उत्तराखंड लोकसंगीत के क्षेत्र में एक बड़ा नाम बन चुकी थी, लेकिन परिवार का भरण-पोषण आर्थिक परेशानियों से गुजरते हुए बड़ी ही मुश्किल से हो पा रहा था। इसी बीच कपोतरी के पति दीवानी राम का देहांत हो गया। छोटे बच्चों के बीच कबूतरी दी अकेली रह गईं। पवनदीप की माता समेत उनके तीनों बच्चे अभी बहुत छोटे थे। मजबूरी में कबूतरी दी ने बच्चों को पालने की खातिर एक बार फिर से खेती-मजदूरी करना शुरू कर दिया।
कुछ संस्थाओं के प्रयास से कपोतरी (कबूतरी) को मंच पर आने का मौका मिला तो वह फिर से अपने प्रशंसकों के बीच छा गईं। उनकी छोटी बेटी हेमा देवी ने परिवार की जिम्मेदारी निभाते हुए कबूतरी दी का पूरा साथ दिया। कई मौकों पर जागरूक लोगों के संयुक्त प्रयासों से बीमारी की स्थिति में कपोतरी को इलाज के लिए । प्प्डै तक ले जाया गया। वहां से स्वस्थ होकर लौटने के बाद कपोतरी अपनी दो बेटियों के साथ कभी पिथौरागढ़, कभी खटीमा रहने लगीं और जब भी अवसर मिला उन्होंने नई पीढ़ी के कलाकारों तक अपनी विरासत को पहुंचाने की भरसक कोशिश भी की। कई बार उन्हें मिलने वाली सरकारी पेंशन का महीनों तक इंतजार करना पड़ता था। कपोतरी देवी का 7 जुलाई 2018 को पिथौरागढ़ में निधन हो गया।