राष्ट्रीय

उत्तराखंड की तीन हस्तियों को दिए गए पद्म पुरस्कार, राष्ट्रपति कोविंद ने किया सम्मानित

नयी दिल्ली,8   नवंबर (उ हि ) राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्‍द ने आज सुबह (8 नवम्‍बर, 2021) राष्ट्रपति भवन में आयोजित नागरिक अलंकरण समारोह-I में वर्ष 2020 के लिए चार पद्म विभूषण, आठ पद्म भूषण और इकसठ पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किए। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केन्‍द्रीय गृह मंत्री सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

उत्तराखंड की पांच प्रमुख हस्तियों को इस साल पद्म पुरस्कारों से नवाजा गया । सोमवार को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हैस्को प्रमुख पर्यावरणविद डॉ.अनिल प्रकाश जोशी को पद्मभूषण, जबकि पर्यावरणविद कल्याण सिंह और डॉ.योगी एरन को पद्श्री सम्मान देकर सम्मानित किया। इसके अलावा मंगलवार को चिकित्सा क्षेत्र में डॉ.भूपेंद्र कुमार सिंह और किसान प्रेम चंद शर्मा को पद्श्री सम्मान देकर सम्मानित  किया जायेगा  । वर्ष 2020 में कोरोना के चलते पद्म पुरस्कारों का वितरण नहीं किया जा सका था। इसलिए वर्ष 2021 में ही दोनों साल के पद्म विजेताओं को एक साथ सम्मानित   किया गया ।

Dr. Anil Prakash Joshi receiving padmbhushan award from president of india.

मुख्यमंत्री  पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति  रामनाथ कोविंद द्वारा प्रदेश के प्रमुख पर्यावरणविद श्री अनिल प्रकाश जोशी को पद्म भूषण, पर्यावरणविद तथा मैती आंदोलन के प्रणेता श्री कल्याण सिंह रावत तथा डॉ. योगी एरन को पद्म श्री पुरस्कार प्रदान किये जाने पर सभी को बधाई एवं शुभकामना दी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अनिल प्रकाश जोशी को पद्म भूषण तथा कल्याण सिंह रावत तथा डॉ. योगी ऐरन को पद्म पुरस्कार प्रदान किये जाने से राज्य को भी सम्मान मिला है। उन्होंने कहा कि इससे पर्यावरण एवं समाज सेवा के क्षेत्र में इन लोगों के द्वारा किये गये प्रयासों को तो सराहना मिली ही है, राज्य की पहल को भी बल मिला है।

हैस्को के संस्थापक पद्मश्री डॉ.अनिल प्रकाश जोशी

हैस्को के संस्थापक पद्मश्री डॉ.अनिल प्रकाश जोशी को पर्यावरण पारिस्थितिकी और ग्राम्य विकास से जुड़े मुद्दों और नदियों को बचाने के लिए चलाए जा रहे आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने के लिए पद्मभूषण से सम्मानित किया जा रहा है।  डॉ.जोशी के अनुसार  वह इस पुरस्कार को सामाजिक, प्रकृति और पर्यावरण के लिए किए जा रहे सामूहिक प्रयासों को समर्पित करते हैं। वह संदेश देना चाहते हैं कि जो कोई हिमालय को किसी भी रूप में भोग रहा है, बदले में हिमालय को कुछ वापस भी करे। डॉ.जोशी हमेशा जल, जंगल, प्राण वायु आदि के बदले सकल पर्यावरण उत्पाद की वकालत करते रहे हैं। इसके अलावा ग्राम्य विकास को आर्थिकी से जोड़ते हुए कई उदाहरण पेश किए हैं। पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम वर्ष 2006 में उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानित कर चुके हैं।

 

Kalyan Singh Rawat, founder of Maiti movement

कल्याण रावत ने मैती आंदोलन के जरिये दिया अनूठी परंपरा को जन्म

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में वर्षों से काम कर रहे कल्याण सिंह रावत ने उत्तराखंड में मैती आंदोलन के जरिये पर्यारण संरक्षण की दिशा में एक अनूठी परंपरा को जन्म दिया, जिसकी चर्चा आज विश्वभर में होती है। मैती आंदोलन के तहत गांव में जब किसी लड़की की शादी होती है तो विदाई के समय दूल्हा-दुल्हन को एक फलदार पौधा दिया जाता है। वैदिक मंत्रों के के साथ दूल्हा इस पौधे को रोपित करता है और दुल्हन इसे पानी से सींचती है। पेड़ को लगाने के एवज में दूल्हे की ओर से दुल्हन की सहेलियों को कुछ पैसे दिए जाते हैं। जिसका उपयोग पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में और समाज के निर्धन बच्चों के पठन-पाठन में किया जाता है। दुल्हन की सहेलियों को मैती बहन कहा जाता है। जो भविष्य में उस पेड़ की देखभाल करती हैं। पर्यावरण से जुड़े मैती आंदोलन की शुरुआत कल्याण सिंह रावत ने वर्ष 1994 में चमोली जिले के राइंका ग्वालदम में जीव विज्ञान के प्रवक्ता पद पर रहते हुए की थी।

static.pib.gov.in/WriteReadData/specificdocs/documents/2021/nov/doc202111801.pdf

Padm awards

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