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जेब्राफिश में पाया जाने वाला प्रोटीन से पीठ के निचले हिस्से, गर्दन और उपांग में दर्द सहित कई संबंधित स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं दूर हो सकती हैं

Because of its fully sequenced genome, easy genetic manipulation, high fecundity, external fertilization and rapid development, and nearly transparent embryo, zebrafish are a unique model animal for biomedical research, including studies of biological processes and human disease

—-uttarakhandhimalaya.in —–

जेब्राफिश की रीढ़ की हड्डी में पाया जाने वाला एक प्रोटीन, जो डिस्क रखरखाव में सकारात्मक भूमिका निभाता है और मेरुदण्ड अस्थिखण्ड में उम्रदराज डिस्क को फिर से पैदा करने को बढ़ावा देता है, में कमजोर पड़ चुके मानव डिस्क फिर से पैदा करने की प्रक्रिया को बढ़ावा देने संबंधी चिकित्सीय प्रभाव के मौजूद होने की संभावना हो सकती है।

जेब्राफिश में मेटाबोलिज्म की प्रक्रिया में शामिल सभी मुख्य अंग होते हैं और इसका उपयोग कई मानव मेटाबोलिज्म  संबंधी विकारों जैसे गैर मादक वसायुक्त यकृत रोग, टाइप 2 मधुमेह मेलेटस, डिस्लिपिडेमिया और अन्य यकृत रोगों का अध्ययन करने के लिए किया जा सकता है।

मनुष्यों में, डिस्क स्वाभाविक रूप से कमजोर पड़ जाती है, जिससे पीठ के निचले हिस्से, गर्दन और उपांग में दर्द सहित कई संबंधित स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं। वर्तमान में, कमजोर पड़ चुके डिस्क के लिए केवल रोगसूचक उपचार उपलब्ध हैं, जिनमें दर्द निवारक या सूजन-रोधी दवाएं शामिल हैं। गंभीर मामलों में डिस्क विस्थापन या डिस्क फ्यूजन सर्जरी की जाती है। इस प्रकार, कमजोर होते डिस्क की गति को कम करने या मनुष्यों में डिस्क को फिर से पैदा करने पर आधारित एक उपचार प्रक्रिया को विकसित करने की तत्काल आवश्यकता है। चिकित्सा परीक्षण मानव डिस्क के कमजोर होते जाने के चरणों से सम्बंधित आवश्यक जानकारी प्रदान करते हैं, लेकिन डिस्क के रखरखाव में भूमिका निभाने वाली कोशिका और आणविक प्रक्रियाओं के बारे में सीमित जानकारी उपलब्ध है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कमजोर होते डिस्क की गति को कम करने या मनुष्यों में डिस्क को फिर से पैदा करने पर आधारित कोई चिकित्सा प्रक्रिया या उपचार ज्ञात नहीं है।

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विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान, आगरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट (एआरआई), पुणे द्वारा किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि अंतर-मेरुदंड डिस्क कोशिकाओं से स्रावित कोशिका कम्युनिकेशन नेटवर्क फैक्टर 2ए (सीसीएन2ए) नामक एक प्रोटीन, कमजोर व उम्रदराज होते डिस्क में डिस्क को फिर से पैदा करने को उत्प्रेरित करता है तथा इसके लिए एफजीएफआर 1-एसएचएच (फाइब्रोब्लास्ट ग्रोथ फैक्टर रिसेप्टर-सोनिक हेजहोग) पाथवे नामक तरीके को संशोधित करके कोशिका प्रसार करता है और कोशिका को संरक्षित करता है।

 

एक मॉडल जीव के रूप में ज़ेब्राफिश का उपयोग करने वाला यह अध्ययन विवो अध्ययन में पहला है, जो दिखाता है कि अन्तःविकसित सिग्नलिंग कैस्केड को सक्रिय करके कमजोर व उम्रदराज होते डिस्क में डिस्क को फिर से पैदा करने को उत्प्रेरित करना संभव है। वैज्ञानिकों ने यह भी पाया कि सीसीएन2ए- एफजीएफआर 1-एसएचएच, सिग्नलिंग कैस्केड डिस्क के रखरखाव और डिस्क को फिर से पैदा करने की प्रक्रिया में सकारात्मक भूमिका निभाता है। जर्नल, डेवलपमेंट में प्रकाशित इस अध्ययन में आनुवांशिकी और जैव-रसायन दृष्टिकोण का उपयोग किया गया है और यह डिस्क के कमजोर होती प्रक्रिया की गति को धीमा करने या कमजोर हो चुके मानव डिस्क में डिस्क को फिर से पैदा करने की प्रक्रिया को उत्प्रेरित करने के लिए एक नई रणनीति तैयार करने में मदद कर सकता है।

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