पिछले 15 सालों से वन्य जीवों के आश्रय बने हैँ लावारिश सरकारी भवन

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-रिखणीखाल से प्रभूपाल रावत –

रिखणीखाल प्रखंड के सीमांत गाँव द्वारी में 15 साल पहले  दो सरकारी भवन बने थे जिनका उपयोग न होने से जर्ज़र हालत में  जंगली जानवरों के आश्रय बने हुए हैँ।

ये भवन ए एन एम केंद्र व राजस्व उप निरीक्षक ( पटवारी) कार्यालय के लिए बने थे।जो कि पूर्ण रूप से खिड़की, दरवाजे, रंग रोगन आदि तक पूरा निर्माण कार्य हो गया था। लेकिन  न जाने क्यों इनका उपयोग नहीं किया गया। जिस उद्देश्य से बनाये गये थे।आज भी ए एन एम केन्द्र और राजस्व उप निरीक्षक( पटवारी) कार्यालय किराये के भवन में चल रहे हैं।

ये भवन सिर्फ सरकारी खजाने का दुरुपयोग व बन्दरबांट के लिए बनाये गये होगें। अनुमानतः उस समय के हिसाब से इन भवनों पर लागत कम से कम बीस पच्चीस लाख तो आयी होगी तथा इन भवनों का गृह प्रवेश तक नहीं हो पाया।

आज की तिथि में दोनों भवन जर्जर हालत में है तथा जंगली जानवरों भालू, गुलदार ,बन्दर, लंगूर, सांप, बिच्छू, छिपकली व भूतों का आवास बन चुका है।भंगलची व नशेड़ियों  का अड्डा बन गया है।कभी कभार मजदूर व नेपाली भी रहा करते हैं।  भवन पर जो भी खिड़की, दरवाजे, ग्रिल, बिजली फिटिंग आदि सब स्थानीय चोर उखाड़ ले गये हैं।पहले भवन निर्माण में खाया अब निर्माण सामाग्री भी गायब है।सिर्फ ईट, पत्थर, रेत, बजरी पर भवन टिका है।चारों तरफ कंटीली झाड़ियां ,घास फूस उग गई ।

इन लावारिश भावनों के बारे में तत्कालीन जिलाधिकारी धीरज सिंह गर्ब्याल, विजय कुमार जोगदंडे व तत्कालीन मुख्य विकास अधिकारी प्रशान्त कुमार आर्य आदि कोभी अवगत कराया गया।  दो बार तत्कालीन खंड विकास अधिकारी एस पी थपलियाल व तत्कालीन प्रभारी तहसीलदार राजेन्द्र पंत द्वारा जांच व मौका मुआयना कराया गया।लेकिन न जांच आख्या का पता लगा और न मरम्मत आदि कार्य हुआ।

अब बतायें इन भवनों का क्या उपयोग हो सकता है? खाली व खंडहर रहने से तो अच्छा है किसी गरीब परिवार व आवास विहीन लोगों को दे दिया जाये।इन खंडहर भवनों को इस हालत में देखने पर स्थानीय बुद्धिजीवीड लोगों में रोष पनपता जा रहा है।

स्थानीय सरपंच,वन पंचायत द्वारी व अन्य लोग चाहते हैं कि सरकार इसका कुछ जरूरी समाधान निकाले।

One thought on “पिछले 15 सालों से वन्य जीवों के आश्रय बने हैँ लावारिश सरकारी भवन

  • January 12, 2023 at 1:19 pm
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    निर्माण कार्यों में सबसे ज्यादा कमिशन मिलता है, हिस्सा मिल गया , भाड़ में जाए भवन . गोला पार हल्द्वानी में अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम व अन्य भवन इसके सटीक उदाहरण हैं.

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