गौचर के विख्यात पनाई सेरा में सजेगी आराध्य देवी कालिंका की उत्सव डोली
-गौचर से दिगपाल गुसाईं –
पालिका क्षेत्र के सात गांवों की आराध्य देवी कालिंका की उत्सव डोली को तीन दिनों की पूजा अर्चना के लिए बुधवार को पनाईं सेरे में स्थित मायके के मंदिर लाई जाएगी। इसके लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं मंदिर को विशेष रूप से सजाया गया है।
पूर्व से चली आ रही परंपरा के अनुसार बुधवार को सुबह पुजारी द्वारा कालिंका के फर्स को गर्भ गृह से बाहर निकालकर स्नान कराने के बाद श्रृंगार किया जाएगा। इसके पश्चात देवी के गुरु माने जाने वाले शैल गांव के शैली पंडितों द्वारा विधिवत देवी की पूजा अर्चना की जाएगी।शाम चार बजे के आसपास देवी के भाई माने जाने वाले रावलनगर के रावल के दोनों कटार गाजे बाजे के साथ देवी के भटनगर गांव की सीमा में स्थित मूल मंदिर में जाएंगे जहां से वे अपनी बहिन मां भगवती को अगवा कर पनाईं सेरे में स्थित मायके के मंदिर में लाएंगे।
इस अवसर पर भगवती के ससुराली माने जाने वाले भटनगर गांव निवासी देवी की विदाई के लिए ससुराल की सीमा तक आते हैं तो वहीं मायके पक्ष के लोग बड़ी संख्या में भगवती की आगवानी के लिए हाथों में फूल अक्षत लेकर पूरे रास्ते में खड़े होकर अपनी ध्याण का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं। मायके के मंदिर में पहुंचने के पश्चात कर्मकांडी पंडितों द्वारा पूजा अर्चना व आरती की जाती है तो महिलाओं द्वारा पूरी रात जागरण किया जाता है।
दूसरे दिन सुबह से ही जहां कर्मकांडी पंडितों द्वारा भगवती की पूजा अर्चना व हवन शुरू किया जाता है वहीं देवी के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़नी शुरू हो जाती है। तीन दिनों तक यह सिलसिला जारी रहने के पश्चात नंदा अष्टमी के दिन भगवती को मूल मंदिर में भेज दिया जाता है।विदाई की रिश्म ठीक उसी तरह निभाई जाती है जिस तरह शादी के बाद मायके पक्ष के लोग साजो सामान के साथ अपनी लड़की को ससुराल के लिए विदा करते हैं मंदिर समिति के अध्यक्ष उमराव सिंह नेगी के अनुसार आयोजन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।