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एक अभिनव, हरित, अनूठी रोगाणुरोधी वायु निस्पंदन (एयर फिल्ट्रेशन) तकनीक वायु जनित संक्रमण को कम कर सकती है

A newly developed air filter can deactivate the germs ‘self-cleaning’ them out of the system using ingredients commonly found in green tea. Impure air might make our life shorter, to the extent that Indians lose 5-10 years of their lives because of air-borne contaminants leading to respiratory diseases, adversely affecting physical health as well as mental health according to a report by University of Cigaco.

–उत्तराखंड हिमालय ब्यूरो

एक नया विकसित वायु निस्यन्द्क (एयर फिल्टर) आमतौर पर ग्रीन टी में पाए जाने वाले अवयवों का उपयोग करके कीटाणुओं को ‘स्व- स्वच्छता (सेल्फ-क्लीनिंग) ‘द्वारा’ किसी व्यवस्था  से बाहर कर सकता है।

सिगाको विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, अशुद्ध वायु हमारे जीवनकाल को इस सीमा तक कम कर सकती है कि भारतीय अपने जीवन के 5-10 वर्ष मात्र इसलिए गँवा देते हैं क्योंकि हवा में घुले दूषित पदार्थों से ऐसे श्वांस जन्य रोग होते हैं जो शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।

भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु में प्रोफेसर सूर्यसारथी बोस और प्रोफेसर  कौशिक चटर्जी के नेतृत्व में एक शोध दल ने कीटाणुओं को नष्ट करने वाले ऐसे एयर फिल्टर विकसित किए, जो आमतौर पर ग्रीन टी में पाए जाने वाले पॉलीफेनोल्स और पॉलीकेशनिक बहुलकों (पॉलिमर्स) जैसे अवयवों का उपयोग करके कीटाणुओं को निष्क्रिय कर सकते हैं। ये ‘हरे’ तत्व साइट-विशिष्ट बंधन के माध्यम से रोगाणुओं को तोड़ते हैं।

चुनौतीपूर्ण कोविड-19 महामारी के दौरान विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) के विशेष अनुदान और विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड– प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग पुरस्कार (एसईआरबी-टेक्नोलॉजी ट्रांसलेशन अवार्ड्स-टीईटीआरए) निधियों द्वारा इस अनुसंधान का समर्थन किया गया था और इस पर एक पेटेंट के लिए आवेदन भी किया गया है।

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                             एआईआरटीएच के फिल्टर और एक सामान्य फिल्टर के बीच रोगाणुओं की (माइक्रोबियल) वृद्धि की तुलना

निरंतर उपयोग के कारण काम कर रहे वर्तमान एयर फिल्टर उनमे रोके गए कीटाणुओं के लिए प्रजनन स्थल बन जाते हैं। इन कीटाणुओं की वृद्धि फिल्टर के छिद्रों को बंद कर देती है, जिससे उस निस्यन्द्क (फिल्टर) का जीवनकाल कम हो जाता है। इन कीटाणुओं का फिर से वहां रुकना (पुनर्निलंबन) आसपास के लोगों को संक्रमित कर सकता है। राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (नेशनल ऐक्रेडीटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेट्रीज-एनएबीएल) से मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला में इस अनूठे रोगाणुरोधी एयर फिल्टर का परीक्षण किया गया और 99.24% की दक्षता के साथ एसएआरएस– सीओवी-2 (डेल्टा संस्करण) को निष्क्रिय करने के लिए उपयुक्त पाया गया। इस तकनीक को स्टार्ट-अप एआईआरटीएच को स्थानांतरित किया गया था, एक ऐसा स्टार्टअप जो व्यावसायीकरण के लिए वर्तमान रोगाणु-बढाने वाले एयर फिल्टर्स को रोगाणु-नष्ट करने वाले एयर फिल्टर्स के साथ बदल रहा है।

चूंकि यह नवाचार ऐसे रोगाणुरोधी (एंटीमाइक्रोबियल) फिल्टर विकसित करने का आश्वासन देता  है जो वायु-जनित रोगजनकों के कारण होने वाले स्थानिक रोगों को रोक सकता है, इसे 2022 में एक पेटेंट प्रदान किया गया था। अतः हमारे वायु प्रशीतन संयंत्रों (एसी), केंद्रीय नलिकाओं और एयर शोधक संयंत्रों (प्यूरीफायर्स) में ये अनूठे एंटीमाइक्रोबियल फिल्टर प्रदूषण और कोरोनावायरस जैसे वायु जनित रोगजनकों के प्रसार को कम करने एवं अशुद्ध हवा के विरुद्ध  हमारी लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

 

 

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