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 न्याय के लिए भटकता अर्जुन पुरस्कार विजेता 

गौचर, 13 जून (धस्माना)।नौकायन खेल में भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक मात्र पदक दिलाने वाले अर्जुन पुरस्कार विजेता सुरेंद्र सिंह कनवासी जमीन पर मालिकाना हक के लिए 20 वर्षों से शासन की चौखट पर दस्तक दे रहे हैं, किंतु न्याय न मिलने के बाद अब हक की लड़ाई न्यायालय तक पहुंच गई है ।

बीजिंग एशियाड में भारत को कांस्य पदक दिलाने वाले और विश्व प्रतियोगिता में कांस्य पदक दिलाने वाले सुरेंद्र कंवासी 1992 में उत्तर प्रदेश द्वारा गौचर मे आधी नाली जमीन उपलब्ध कराई गई थी किंतु , बी.ई.जी. रुड़की से जब अवकाश लेकर घर पहुंचे तो इस जमीन पर अन्य लागों ने कब्जा कर लिया। दुबारा जिला प्रशासन ने उन्हें 2011 में जिस जमीन का पट्टा दिया गया उस पर उन्होंने ढाबे का संचालन शुरू किया। फिर रेस्टोरेंट बनाया और दस साल के बाद अब प्रशासन अपने ही आदेशों से मुंह मोड़ते हुए, उनकी जमीन के पट्टे को रद्द करते हुए, होटल को गिराने के आदेश दिए हैं जिसके विरुद्ध कनवासी को अब न्यायालय की शरण में जाना पड़ा है। इस बीच सुरेंद्र ने प्रशासन से शासन तक, मुख्यमंत्री से राज्यपाल तक गुहार लगाई है । किंतु हर जगह उसे निराशा ही मिली ।

उत्तराखंड सरकार का यह व्यवहार हमारे खिलाड़ियों को किस नजर से देखता है यह केस इसकी मिसाल है । सरकार ने भी इसे पहले सुरेंद्र कंवासी को टिहरी झील एडवेंचर और उत्तरकाशी स्थित नेहरू पर्वतारोहण संस्थान में अपनी सेवाएं देने के लिए आमंत्रित किया था किंतु , आखिर में राजनैतिक षडयंत्र के चलते उसे यहां भी न्याय नहीं मिल सका । सुरेंद्र राष्ट्रीय स्तर पर खिलाड़ियों की चयन समिति के कोच भी रहे हैं । साथ ही उन्होंने उत्तराखंड पुलिस में अनेक राष्ट्रीय स्तर तक के खिलाड़ियों को तैयार किया । इस योगदान के बाद भी सुरेंद्र कनवासी आज जमीन पर मालिकाना हक के लिए भटक रहे हैं । किंतु कोई भी राजनीतिक एवम सामाजिक संगठन उनके हक की लड़ाई के लिए एक शब्द कहने को तैयार नहीं है । आखिर कहां है हमारी सरकार की , खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की नीति ? भारत को 1984 सेकनवासी 1992 तक भारत को 7 बार गोल्ड मेडल दिलाने वाले सुरेंद्र कनवासी सरकार की नीतियों से परेशान हो चुके हैं । उनका कहना है कि, उन्होंने तो केवल सैनिक रहते हुए देश धर्म का पालन किया और खेलों में भारत के लिए अपनी जान तक लगा दी । अब उसकी आंखों के सामने न्यायालय से भी न्याय नहीं मिलता है तो वह बेघर हो जाएगा ।

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