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बच्चीराम कौंसवाल की पुण्यतिथि पर विशेष -जिनका सारा जीवन समाज की बेहतरी में बीत गया

-अनन्त आकाश
वयोवृद्ध माकपा नेता कामरेड बच्चीराम कौंसवाल जिनका निधन हुऐ एक बर्ष व्यतीत हो गया है आज ही के दिन 24फरवरी 022 को हुआ था।  गत बर्ष उनकी अन्तिम यात्रा में समाज के हर वर्ग के लोग शामिल थे। भले ही कामरेड कौंसवाल का निधन एक बर्ष पूर्व हो गया हो किन्तु माकपा  व हमारे समाज के लिए उनका चले जाना अपूरणीय क्षति है। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाऐगा ।

आज ही के दिन ऋषिकेश स्थित पूर्णानंद घाट में उनके सुपुत्रगण डाक्टर मदन मोहन कौंसवाल एवं  जाने माने पत्रकार प्रमोद कौंसवाल ने मुखाग्नि दी । इससे पूर्व देहरादून मोहकमपुर स्थित आवास पर उनके अन्तिम दर्शन के लिए जनसैलाब उमड़ा , जिन्होंने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित की

कामरेड कौंसवाल ने अपना राजनैतिक एवं सामाजिक जीवन शिक्षक नेता के रूप में शुरू किया तथा शिक्षा की बेहतरी तथा शिक्षकों के अधिकारों के लिए लड़ते -लड़ते शिक्षक पद छोड़कर वह  पूर्णकालिक तौर पर शिक्षकों अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे। वह  अपने जमाने में उत्तर प्रदेश के कदावर शिक्षक नेताओं में से थे । उन्होंने एमएलसी का चुनाव भी लड़ा कुछ ही गिने चुने मतों से पिछड़े । वह 1980 से पूर्व बिजनौर में कम्युनिस्टों के सम्पर्क में आये तथा उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टी के लिए आजीवन कार्य करने का निर्णय लिया । कामरेड शंकरदयाल तिवारी , कामरेड रामपाल ,कामरेड प्रमोद कुमार ,कामरेड विपिन उनियाल ,कामरेड विजय रावत ने उन्हें अपने गृह जनपद पार्टी निर्माण के कार्य पर जुटने की सलाह दी। जिसे उन्होंने सहर्ष स्वीकार करते हुए पार्टी के निर्माण करने में लग गये। अनेकों सफल आन्दोलनों के बाद, वह  बर्षों तक अपने गृह जनपद टिहरी जिले के सीपीएम के जिलासचिव तत्पश्चात उत्तर प्रदेश राज्य कमेटी सदस्य के लिए चुने गये ।

उत्तराखंड राज्य बनने के बाद पार्टी राज्य सचिव मण्डल के सदस्य भी रहे तथा किसान सभा के प्रथम राज्य अध्यक्ष बनें। उनके नेतृत्व में उधमसिंहनगर बंगाली बिस्थापितों का ऐतिहासिक आन्दोलन तथा उसकी उपलब्धि उल्लेखनीय रही है ।उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन के दौरान पुलिस दमन के खिलाफ हुऐ अनेक आन्दोलनों में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही ।

वह लेखनी के धनी थे तथा अपने लेखोँ के माध्यम से भी समाज की सेवा करते रहे । उन्होंने बर्षो पूर्व किसान सभा के लिए तिलाड़ी काण्ड पर एक बुकलेट लिखी। तबसे से ही ,हर साल इस दिवस को मनाकर किसान जनता को संगठित करने के संकल्प के साथ किसान सभा निरन्तर आगे बढ़ रही है । पत्रकार उमेश डोभाल हत्याकांड के खिलाफ हुऐ संघर्ष में उनकी अंग्रणी भूमिका रही।

अपनी जान की परवाह किये बिना  कौंसवाल ने माफियाओं को सलाखों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उत्तराखण्ड के जाने माने पत्रकार समाजसेवी रमेंश पहाड़ी उनकी उल्लेखनीय भूमिका को रेखांकित करते हुऐ मानते हैं कि उनकी पहल के कारण ही पत्रकार उमेश डोभाल हत्याकांड का खुलासा हो सका ।

टिहरी बांध विस्थापितों के हकों के लिए उनका संघर्ष तथा योगदान सदैव याद किया जाऐगा। वह एक कम्युनिस्ट के रूप में जीवन के अन्तिम क्षणों तक जनमुद्दों के लिए संघर्षरत रहे । देहरादून में पार्टी के 7वें राज्य सम्मेलन में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कामरेड सीताराम येचुरी ने उनके योगदान को देखते हुए उनको साल पहनाकर सम्मानित किया था।

पार्टी सम्मेलन में जो कि उनके जीवन का अन्तिम भाषण था ,उन्होंने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं सीपीएम का सिपाही हूँ ,जो समाज की न केवल चिन्ता करती है ,बल्कि समाज की बेहतरी के लिए अनवरत संघर्ष कर रही है । उनके निधन से न केवल पार्टी ही नहीं अपितु समाज ने एक बेहतरीन इन्सान खो दिया है ।उनकी कमी हमेंशा बनी रहेगी।  ऐसे जन नायक को क्रांतिकारी सलाम।

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