राजनीति

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी की पाती

 

आदरणीय मुख्यमंत्री जी
सादर प्रणाम

इस उत्तराखंड को बचा लीजिए।
लकड़ी चोरी पर कृपया लगाम लगाइए और चोरों पर कार्यवाही कीजिए। पर्यावरण की दिशा में मजबूर नहीं मजबूत कदम उठाइए।

मुख्यमंत्री जी,

उत्तराखंड में बड़े पैमाने पर जंगल काटे जा रहे हैं, धर्मांतरण कानून ,लव जिहाद,लैंड जेहाद और यूसीसी पर तो आप काफी एक्शन में दिखे पर आज जंगलों और पेड़ों के कटान पर चुप्पी क्यों साध रखी है?

साहब अगर इस पर रोक नहीं लगाई गई तो जोशीमठ में जो हुआ वह आने वाले सालों में प्रदेश के और जिलों में भी देखने को मिलेगा।

प्रदेश में एक तरफ जहां टाउन प्लानिंग नदारद है, वहीं ऑल वेदर रोड काल बनकर उभरी है ।बुरा न माने पर इस भारी वर्षा ऋतु के समय ऑल वेदर रोड करेला ऊपर से नीम चढ़ा वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है, ऊपर से इतनी बड़ी संख्या में पेड़ काटे जाएंगे तो राज्य में अन्य जगहों पर भी भूस्खलन होना तो लाजमी ही है ।
मुख्यमंत्री जी पहले पुरोला में 778 सूखे पेड़ों की आड़ में 108 हरे पेड़ों पर आरी चलाने के मामला सामने आया परंतु इस पूरे प्रकरण में संलिप्त लोगों पर क्या कार्यवाही हुई उसका अभी तक कुछ पता नहीं है।

अब दुखद जानकारी मिली है की चकराता में पिछले तीन साल से संरक्षित प्रजाति के देवदार और कैल जैसे हजारों हरे पेड़ काटे जा रहे थे, लेकिन किसी को भनक तक नहीं लगी। हर रोज सैकड़ों स्लीपर बरामद हो रहे हैंै, लेकिन वन विभाग पूरे मामले में लीपापोती में जुटा है।

आपको निश्चित रूप से उपरोक्त दोनों ही मामलों में वन मंत्री को तलब करना चाहिए और यदि वह जवाब देने में अक्षम होते हैं तो उन्हें तत्काल प्रभाव से बर्खास्त करना चाहिए।

मुख्यमंत्रीजी हमारा देश पूरे विश्व में अकेला देश है जो वनस्पति की पूजा करता है और उसे देवता की भांति पूजता है। आज पूरे प्रदेश में लकड़ी चोरी अपने चरम पर है ऐसे में वन मंत्री सुबोध उनियाल को अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है
मुख्यमंत्री जी, हो ना हो इतने बड़े स्तर पर लकड़ी चोरी को अंजाम बिना राजनीतिक संरक्षण के नहीं दिया जा सकता,इस पूरे खेल में बड़े लोगों की सांठगांठ होने की पूरी संभावना है ।ऐसे में छोटी मछलियों के बजाय लकड़ी चोरों के इस रैकेट के बड़े मगरमच्छों को पकड़ने का प्रयास करें।

आपको भी पता है छोटे-छोटे अधिकारी और कर्मचारी तो जो हुक्म उन्हे मिलता है उसकी तामील करते हैं, इन कठपुतलियों का मास्टरमाइंड तो कोई और ही है।

एक तरफ 6 साल से राज्य में आपकी सरकार है लेकिन राज्य लोकायुक्त गठन की तरफ एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाया है ,और दूसरी तरफ चाहे सहकारिता में 30 करोड़ का लोन घोटाला हो या प्रदेश को शर्मसार करने वाले और बेरोजगार युवाओं के सपनों को कुठाराघात करने वाले भर्ती घोटाले,ऐसे में लोकायुक्त की बड़ी कमी महसूस होती है।

और अब प्रदेश में धड़ल्ले से चल रहे पेड़ों के अवैध कटान ने तो जैसे भौगोलिक विषमताओं और आपदाओं वाले हमारे उत्तराखण्ड की कमर तोड़ कर रख दी है।

मुख्यमंत्री जी सच्चाई यह है कि आज उत्तराखंड राज्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है । पीएमजीएसवाई की सड़क हो या फिर खनन के पट्टों का आवंटन ,हर क्षेत्र और विभाग में कमीशन खोरी अपने चरम पर है

आप एक कमजोर मुख्यमंत्री के रूप में सामने आए हैं जिनकी लाठी और बुलडोजर गरीब शोषित वंचितों पर तो चलती है लेकिन अपनी पार्टी के भ्रष्टाचारी लेकिन पहुंच और रसूखदार लोगों के गिरेबान में हाथ डालने पर आप कमज़ोर दिखाई देते हैं।

मुख्यमंत्री जी,

पुरोला तहसील में सांद्रा रेंज, देवता रेंज और कोटिगाड़ रेंज में हुई जांच में बड़ी संख्या में देवदार और कैल के हरे पेड़ाें को काटे जाने की पुष्टि हुई है।

उधर, चकराता वन प्रभाग की कनासर रेंज में पुरोला की तुलना में बहुत बड़े स्तर पर अवैध कटान का मामला सामने आया है। यहां देवदार और कैल के करीब 3800 स्लीपर बरामद हो चुके हैं। तलाशी अभियान अभी भी जारी है। प्रकरण के खुलासे के वक्त वन विभाग ने संरक्षित वन क्षेत्र से देवदार के सिर्फ सात पेड़ों के कटान की पुष्टि कर कनासर रेंज के वन दरोगा और एक वनरक्षक को निलंबित करने के अलावा रेंजर को कार्यालय से अटैच कर दिया था। इसके बाद से चल रहे छापों में बड़ी संख्या में स्लीपर मिलने का सिलसिला आज तक जारी है।

पुरोला मामले में वन विकास निगम की ओर से यहां 788 सूखे पेड़ों का छपान किया गया था, जबकि ठेकेदार ने इनकी आड़ में 108 दूसरे हरे पेड़ (14 प्रतिशत अतिरिक्त) काट दिए। सांद्रा रेंज में आवंटित 42 वृक्षों की आड़ में 21 पेड़ों का अवैध रूप से कटान किया गया। वहीं देवता रेंज में आवंटित 409 पेड़ों की आड़ में 20 पेड़ों का अवैध रूप से कटान किया गया। इसके अलावा कोटीगाड़ रेंज में आवंटित 337 पेड़ों की आड़ में 67 पेड़ों का अवैध रूप से कटान किया गया।

हजार पेड़ों के कटान की आशंका जताई जा रही है।
मुख्यमंत्री जी अगर आपके बूते में है तो बचा लीजिए इस उत्तराखंड को इससे पहले की वो नेस्त नाबूद होकर देश के नक्शे से गायब हो जाए। मुझे विश्वास है कि आप इतिहास में उत्तराखंड के एक विनाशकारी मुख्य मुख्यमंत्री के रूप में दर्ज नहीं होना चाहेंगे।

इस आशा के साथ कि पर्यावरण की दिशा में आप सार्थक कदम उठाएंगे आपके स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं

सादर,

गरिमा मेहरा दसौनी
मुख्य प्रवक्ता
उत्तराखंड कांग्रेस

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