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मेडिक्लेम निरस्त करने पर उपभोक्ता आयोग ने दिलवाया 178 प्रतिशत भुगतान

–उत्तराखंड हिमालय ब्यूरो —
काशीपुर, 8 सितम्बर। उपभोक्ता का मेडिक्लेम पूर्व बीमारी का बहाना करके निरस्त करने पर उपभोक्ता आयोग ने परिवादी को उसके क्लेम का पौने दो गुने से अधिक 178 प्रतिशत भुतान कराया है। उधमसिंह नगर उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष सुरेन्द्र पाल सिंह के आदेश पर बीमा कम्पनी द्वारा जमा कराये गये चैक, धन व ब्याज के चैक को प्राधान सहायक दिनेश चन्द्र ने परिवादी विनोद कुमार भल्ला को प्राप्त करा दिया।
काशीपुर के विनोद कुमार भल्ला की ओर से अधिवक्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने जिला उपभोक्ता फोरम उधमसिंह नगर में परिवाद दायर करके कहा गया था कि परिवादी ने न्यू इंडिया एश्योरेंस कम्पनी लि0 के काशीपुर कार्यालय से एक मेडी क्लेम पालिसी रू. 11287 का प्रीमियम भुगतान करके करायी। इसके अन्तर्गत परिवादी की बीमित राशि ढाई लाख तथा उसकी पत्नी व पुत्र की डेढ़-डेढ़ लाख रूपये थी। परिवादी को बीमा अवधि में ह्रदय रोग होने पर उसने काशीपुर व बरेली के अस्पतालों में इलाज कराया जिस पर 2,19,619 का खर्च हुआ जिसके भुगतान के लिये बीमा कम्पनी को क्लेम प्रस्तुत किया। समय सीमा के बाद मण्डलीय प्रबंधक ने अपने पत्र दिनांक 12-10-2012 से पालिसी की क्लॉज 4.1 के अन्तर्गत पालिसी के प्रारम्भ में पूर्व बीमारी तथा क्लॉज 4.3 के अन्तर्गत हाई ब्लड प्रेशर व डायबिटीज के इलाज का क्लेम नहीं दिया जा सकता सूचित किया। जबकि परिवादी को न ही कोई पूर्व बीमारी थी और न ही हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी का कोई क्लेम किया गया है। परिवादी ने अपने अधिवक्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट के माध्यम से नोटिस भिजवाया जिस पर भी कोई कार्यवाही न करने पर परिवाद दायर किया गया।
बीमा कम्पनी की ओर से कहा गया है कि परिवादी की बीमारी का जब इतिहास जाना गया तब ज्ञात हुआ कि परिवादी को पूर्व से डायबिटीज तथा ह्रदय रोग था। हाई ब्लड प्रेशर तथा डायबिटीज की बीमारी का इलाज खर्च पालिसी की शर्तों के आधार पर नहीं मिल सकता है। इसलिये बीमा क्लेम को सही खारिज किया गया है।
जिला उपभोक्ता फोरम के तत्कालीन अध्यक्ष आर0डी0पालीवाल तथा सदस्या नरेश कुमारी छाबड़ा तथा सदस्य सबाहत हुसैन खान ने परिवादी के अधिवक्ता नदीम उद्दीन के तर्कों से सहमत होते हुये अपने निर्णय में लिखा कि बीमा कम्पनी ने चिकित्सक का यह प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया है कि परिवादी की पूर्व बीमारी के कारण ही स्टेन्टिंग की गयी। परिवादी ने हाई ब्लड प्रेशर तथा डायबिटीज के इलाज का कोई क्लेम नहीं मांगा है उसने केवल अपने ह्रदय रोग की स्टेन्टिंग में जो खर्च आया उसके लिये क्लेम प्रस्तुत किया है। इस प्रकार बीमा कम्पनी द्वारा केवल सम्भावना के आधार पर परिवादी के क्लेम को खारिज करके सेवा में कमी की गयी है।
जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कम्पनी को बीमा क्लेम की धनराशि दो लाख उन्नीस हजार छः सौ उन्नीस, 7 प्रतिशत वार्षिक की दी से साधारण ब्याज सहित जो परिवाद करने की तिथि 21-05-2013 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक देय होगा का भुगतान एक माह के अन्दर करने का आदेश दिया है। साथ ही मानसिक व आर्थिक क्षति के लिये रू. 10 हजार तथा वाद व्यय रू. 5 हजार का भी भुगतान करने का आदेश दिया है।
बीमा कम्पनी ने इस आदेश के विरूद्ध अपील सं0 30/2018 राज्य उपभोक्ता आयोग को कर दी। राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष जस्टिस डी.एस. त्रिपाठी तथा सदस्य उदय सिंह टोलिया की पीठ ने अपने निर्णय में पूर्व बीमारी का सम्बन्ध ह्रदय रोग के इलाज से न होना मानते हुये जिला आयोेग/फोरम के आदेश को पूर्णतः सही माना।
राज्य आयोग से कोई राहत न मिलने के बाद बीमा कम्पनी ने रू. 240766 का चैैक तथा रू. 28211 का आयकर टी.डी.एस. प्रमाण पत्र तथा बीमा कम्पनी द्वारा अपील करने पर पूर्व में जमा कराये गये धन व उसके ब्याज रू. 121942 कुल 3,90919 रूपये का भुगतान के चैक जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष सुरेन्द्र पाल सिंह के आदेश पर आयोग के प्रधान सहायक दिनेश चन्द्र द्वारा परिवादी के अधिवक्ता नदीम उद्दीन की मौजूदगी में उपभोक्ता विनोद कुमार भल्ला को प्राप्त करा दिये।

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