जॉलीग्रांट हवाई अड्डे के नामकरण को लेकर खड़ा हुआ विवाद
आदि गुरु शंकराचार्य से क्यों तकलीफ हो गई भाजपाइयों को : गरिमा दसौनी
देहरादून, 20 मार्च। जॉलीग्रांट हवाई अड्डे का नामकरण स्वर्गीय अटल विहारी बाजपेई के नम पर करने की मांग को लेकर विवाद छिड़ गया है। कुछ सामाजिक संगठनों ने इसका नामकरण वीर चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम पर करने की मांग उठायी है तो कांग्रेस मुख्य प्रवक्ता के अनुसार इसका नामकरण आदि गुरु शंकराचार्य के नाम पर करने का प्रस्ताव पूर्व में हरीश रावत सरकार केंद्र को भेज चुकी थी।
सोशियल मीडिया पर इन् दिनों जॉलीग्रांट हवाई अड्डे का नामकरण पेशावर कांड के हीरो और महान स्वाधीनता सेनानी चंद्र सिंह गढ़वाली के नाम पर करने की मुहिम प्रेम बहुखंडी की अगुवाई में सामाजिक संगठबनों और बुद्धिजीवियों ने चला रखी है। जबकि भाजपा नेता इसे बाजपेई जी के नाम करने की मुहिम चला रहे हैँ
उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने निशंक समेत त्रिवेंद्र रावत को भी आड़े हाथों लिया है। दसोनी ने कहा की जिस जौलीग्रांट हवाई अड्डे की नींव स्वर्गीय ब्रह्मदत्त जीने रखी हो और जिसका नाम 2016 में मुख्यमंत्री रहते हुए हरीश रावत जी ने आदि गुरु शंकराचार्य जी के नाम पर रखने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा हो उसके बावजूद कभी त्रिवेंद्र रावत और कभी निशंक बार-बार जब जौलीग्रांट हवाई अड्डे को अटल जी के नाम पर करने की बात करते हैं तो कहीं ना कहीं आदि गुरु शंकराचार्य का ही नहीं बल्कि 80 करोड़ हिंदू सनातन धर्म में आस्था रखने वालों का अपमान करते हैं।
दसोनी ने कहा कि यदि भाजपा किसी संस्थान की बुनियाद से लेकर उसकी इबारत तक स्वयं लिखे तो उसका नाम अपने दल के नेताओं के नाम पर रखना तो समझ में आता है परंतु कॉन्ग्रेस के द्वारा जो संस्थान बनाए गए हैं उन पर राजनीति करने से भाजपा को बाज़ आना चाहिए।
दसौनी ने कहा की गनीमत है कि त्रिवेंद्र रावत और निशंक ने कम से कम गौतम अडानी सावरकर या गोवलकर के नाम पर हवाई अड्डे को करने का प्रस्ताव नहीं रखा क्योंकि इस में कोई शक नहीं की स्व ० अटल बिहारी वाजपई एक सर्व मान्य नेता थे जो सम्मान के अधिकारी भी हैं।
परंतु दोनों ने ही यह भी नहीं बताया कि कांग्रेस से बैर होते होते उन्हें या भाजपा को अब आदि गुरु शंकराचार्य जी से क्या परेशानी हो गई?