भर्ती घोटालों की श्रृंखला में सहकारिता का योगदान भी जुड़ा : दोषी को सजा के तौर पर पदोन्नति मिली
—उत्तराखंड हिमालय ब्यूरो —
देहरादून] 7 सितम्बर। उत्तराखण्ड में हुये भर्ती घोटालों की कड़ी में सहकारिता विभाग की भर्तियां भी जुड़ गयी हैं। इन भर्तियों की पुष्टि सहकारिता सचिव द्वारा की तो गयी और दण्ड स्वरूप दोषी अधिकारी की चरित्र पंजिका में प्रतिकूल प्रवृष्टि के आदेश भी जारी हुये मगर उस अधिकारी को दंडित करने के बजाय उसे पदोन्नति दे दी गयी। कांग्रेस ने दोषी अधिकारी पुरस्कृत करने वालों की भूमिका पर भी सवाल उठाये हैं।

उत्तराखण्ड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा माहरा दसौनी ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तराखंड में एक के बाद एक भर्ती घोटालों की पोल खुल रही है। अभी तक हाकम सिंह जैसे लोगों को नौकरियों का सौदागर माना जा रहा था पर अब विभागों में तैनात अधिकारी औऱ नेताओ का गठजोड़ भी उत्तराखंड के नौजवानों के हकों पर डाका डालकर नौकरियां बेचने का काम कर रहे हैं। दसौनी ने बताया कि खबर सहकारिता विभाग के उत्तराखंड राज्य भंडारण निगम से है। जहाँ तैनात एमडी मान सिंह सैनी ने विभाग में अपने दर्जनो रिश्तेदारों, चहेतो औऱ सगे सम्बन्धियों को यहां फिट कर दिया है।
दसौनी ने जानकारी देते हुए कहा कि जब उत्तराखंड में 2017 में चुनाव शुरू होने वाले थे उस दौरान आचार सहिंता लागू होने से ठीक एक दिन पहले मान सिंह सैनी ने ये कारनामा कर डाला। सूचना के अधिकार में मिली जानकारियों के मुताबिक मान सिंह सैनी ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए रातों रात यहां 39 कार्मिकों की नियुक्तियों को अंजाम दिया।
दसौनी के अनुसार तत्कालीन सचिव मीनाक्षी सुंदरम ने उन भर्तियों को भ्रस्ट आचरण मान कर सैनी को लिखा था की “उत्तराखण्ड राज्य भण्डारागारण निगम हेतु स्थापित प्रक्रिया एवं नियम कानून को दरकिनार करते हुए राज्य विधानसभा चुनाव-2017 हेतु आर्दश आचार संहिता प्रभावी होने से 01 दिन पूर्व प्रश्नगत निगम में 39 कार्मिकों की अवैधानिक नियुक्ति करने तथा हैण्डलिंग एवं ट्रांसपोर्ट ठेकेदारों में से अपात्र व्यक्तियों का पंजीकरण कराये जाने सम्बन्धी अनियमितता किये जाने के फलस्वरूप आप द्वारा शासकीय कार्य एवं दायित्वों के प्रति बरती गयी घोर उदासीनता एवं लापरवाही के लिए उन्हें उत्तराखण्ड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 2003 के प्रस्तर-3 (क) के प्राविधानानुसार उक्त कृत्य हेतु लघु शास्ति के रूप में आलोच्य वर्ष 2018-19 के लिए दण्ड स्वरूप परिनिन्दा जाती है ” लेकिन थोड़े समय बाद ही सैनी को पदोन्नति गयी।
दसौनी ने कहा कि मान सिंह सैनी यहाँ एक बेलगाम अधिकारी की तरह काम कर रहे हैं । सबसे पहला सवाल तो यह है कि जब मान सिंह सैनी ने अपने लोगो की यहाँ नियुक्ति की तो उस वक्त राज्य भंडारण निगम के ढांचे की ही स्वीकृति नहीं थी। ऐसे में सैनी द्वारा कैसे यहाँ कर्मचारियों का नियमतिकरण किया गया यानी कि साफ है कि बिना किसी बड़े लेन देन के यह सम्भव ही नही है।
दसौनी ने कहा कि दूसरा बड़ा सवाल राज्य भंडारण निगम में प्राविधिक सहायक का एक पद स्वीकृत है ऐसे में मान सिंह सैनी द्वारा 09 प्राविधिक सहायकों को नियमो को ताक पर रखते हुए यहाँ तैनाती दे दी गयी।
दसौनी ने खुलासा करते हुए कहा कि यहाँ निगम के संसोधित ढांचे में चौकीदार ,अनुसेवक श्रमिको के नियमित स्वीकृत पद शून्य हैं बाबजूद इसके मान सिंह सैनी ने 23 चौकीदार चपरासियों को धन बल के आधार पर कानून औऱ नियमो की धज्जियां उड़ाकर नियुक्तिया दे दी। मान सिंह सैनी यहीं नही रुके उन्होंने हरिद्वार की आर एस नाम की एक मैंन पावर सप्लाई को फायदा पहुंचाने के लिए पहले से कार्यरत संविदा कर्मचारियों को आउटसोर्सिंग एजेंसी के हवाले कर दिया।