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वाइब्रेंट विलेज योजना : सोल ऑफ स्टील हिमालयन चैलेंज में प्रतिभागियों ने दिखाया जोश और जज्बा


–गोपेश्वर से महिपाल गुसाईं —
‘सोल ऑफ़ स्टील हिमालयन चैलेंज’ 9 (स्वतंत्र) पर्वतीय उपखंड समूह के 120वें स्थापना वर्ष में शुरू किया गया है। यह अपनी तरह का पहला अनूठा अभियान है जिसे गढ़वाल हिमालयी सीमावर्ती क्षेत्रों के इलाके में आयोजित किया गया है। इसका उद्देश्य केंद्र सरकार की ‘वाइब्रेंट विलेज’ योजना के तहत सीमावर्ती गांवों से पलायन को रोककर यहाँ की पर्यटन क्षमता को बढ़ाना और लोगों के लिए आय का सृजन करना है।

सोल ऑफ़ स्टील अभियान में उच्च इलाकों में पर्वतारोहण, अत्यधिक ठंड में सरवाईव, मानसिक और शारीरिक कुशलता का अद्वितीय मिश्रण है। यह चुनौती एक औसत युवा के लिए सैन्य कौशल सिखाने के रास्ते खोलती है जो अपनी शारीरिक और मानसिक क्षमताओं को परखना चाहता है।

गौरतलब है कि कॉन्करलैंड एयर वाटर ग्लोबल के सहयोग से भारतीय सेना द्वारा समर्थित सोल ऑफ़ स्टील को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह द्वारा विगत 14 जनवरी को देहरादून में लॉन्च किया गया था।

इस अभियान ने 1401 (94 महिलाओं सहित) साहसिक खेलों के प्रति उत्साही कुशल एथलीटों, सशस्त्र बलों के उम्मीदवारों को इससे जुड़ने के लिए आकर्षित किया। इन आवेदकों को दो चरणों की कठिन स्क्रीनिंग प्रक्रिया से गुजरना पड़ा, जिसमें उनके पर्वतारोहण और साहसिक कौशल की क्षमता का परीक्षण किया गया। इनमें से केवल 23 (दो महिलाओं सहित) को भारतीय सशस्त्र बलों और कॉन्कट लैंड एयर वाटर ग्लोबल के विशेषज्ञों की संयुक्त टीम के द्वारा 10 सप्ताह के प्रशिक्षण कार्यक्रम के लिए चुना गया, जिसमें बचाव कौशल, पर्वतारोहण और अत्यधिक ठंड में स्वयं को बचाये रखने का प्रशिक्षण दिया गया।

उल्लेखनीय है कि इस अभियान का अंतिम चरण 10 से 17 जून 2023 तक गढ़वाल हिमालय के पर्वतीय क्षेत्रों में एक प्रतिस्पर्धा के रूप में आयोजित किया गया, जिसमें सोल ऑफ स्टील वॉरियर्स 17000 फीट की ऊंचाई पर ऊबड़-खाबड़ पहाड़ियों और चोटियों के बीच से तीन-तीन की कुल छह टीमों के रूप में प्रतिस्पर्धा पर निकलें। इस दौरान इन्होनें ग्लेशियरों, बर्फ की दीवारों, चट्टानों और बर्फ से ढकी हिमालय की चोटियों के बीच से गुजरते हुए 65 किलोमीटर की दूरी का कठिन सफ़र तय किया, जिसमें इनके आत्मनिर्भर पर्वतारोहण, नेविगेशन कौशल, मानसिक सहनशक्ति और शारीरिक मजबूती का परीक्षण किया गया। “इस चुनौती में दिग्गजों के बीच कड़ा मुकाबला हुआ, जिनमे से कुछ कायम रहे, सर्वश्रेष्ठ जीते और सबका विकास हुआ।

इस अभियान का समापन समारोह रविवार को घमशाली क्षेत्र में आयोजित किया गया, जिसमें ले. जनरल एन एस राजा सुब्रमणि, जीओसी-इन-सी मध्य कमान, ले. जनरल आर सी तिवारी, जीओसी उत्तर भारत एरिया, सेना के अधिकारी और सैनिक, आईटीबीपी, एनडीआरएफ, स्कूली बच्चे और स्थानीय ग्रामवासियों ने भाग लिया गया। समारोह में सेना के द्वारा युद्ध कौशल आधारित रॉक क्लाइम्बिंग, मिक्स्ड मार्शल आर्ट, कलरिपयट्टू जैसे सामरिक कार्यक्रम पेश किये गए तथा साथ ही स्थानीय ग्रामवासियों द्वारा क्षेत्रीय लोक नृत्यों और लोक गीतों ने सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। मुख्य अतिथि ने विजेता व उपविजेता टीम को मेडल व ट्राफी देकर सम्मानित किया। विजेता टीम में श्री विशाल बन्ने, रवि ठाकुर, और नवनीत पाण्डेय जबकि उपविजेता टीम में अंकुश मंधोत्रा, हिमांशु कुमावत और तन्मय मगरडे शामिल हैं। तत्पश्चात उन्होंने ह्यूमन एबिलिटी बायोम का उद्घाटन किया जो भूमि, वायु और जल के क्षेत्र में साहसिक गतिविधियों, जीवन कौशल प्रशिक्षण, पर्यावरण संरक्षण, वानिकी के क्षेत्र में एक आधार के तरह कार्य करेगा।

’’सोल ऑफ स्टील, इंडिया-साहस की भावना के माध्यम से मानव एकता के लिए एक प्रकाश स्तम्भ है।

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