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चिपको की स्वर्ण जयंती पर चंडी प्रसाद भट्ट और आंदोलन के वयोबृद्ध साथियों ने सुनाये 50 साल पुराने अनुभव

–गोपेश्वर से विनय सेमवाल की रिपोर्ट —
चिपको आंदोलन की स्वर्ण जयंती पर चिपको आंदोलन की मातृ संस्था दशोली ग्राम स्वराज्य मंडल तथा सीपीबीसीईडी गोपेश्वर के संयुक्त तत्वाधान आयोजित समारोह में इस विश्व विख्यात आंदोलन के प्रणेता चंड प्रसाद भट्ट ने अपने कुछ पुराने साथियों के साथ यादें ताजा करने के साथ ही चिपको की भावना सदा जीवित रखने का भावुक अवहन कुया ताकि पर्यावरण का संतुलन बना रहे और मानव जाति का संकट उससे सदैव दूर रहे। इस आयोजन में मंडल घाटी के गाव- गाव से लोगों ने बड़ी संख्या में उल्लासपूर्वक भागीदारी की, क्यूंकि रेण  से पहले इसी घाटी में वनों के कटान के विरुद्ध बिगुल बज  चुका था।

 

चिपको की स्वर्ण जयंती समारोह का माहौल तब और अधिक भावुक हो गया जब पद्मभूषण चंडी प्रसाद भट्ट के साथ उनके वयोवृद्ध साथी दयाल सिंह, ज्ञानसिंह तथा मुरारीलाल भी समारोह में शामिल हुए। इस अवसर पर आंदोलन के इन बुजुर्ग योद्धाओं को सम्मानित भी किया गया।

 

उल्लेखनीय है कि, आज से ठीक पचास वर्ष पूर्व चिपको आंदोलन का सूत्रपात 24अप्रैल 1973 को मंडल घाटी से हुआ था। बाद में जंगलो को बचाने की यह लहर रामपुर फाटा से होते हुए रैणी तक पहुँची थी। जिसके बाद तत्कालीन सरकार को झुक कर वनों की नीलामी को रद करते हुए वनों पर आश्रित स्थानीय लोगों के हक हकूको को यथावत रखना पड़ा था।

मंडल घाटी के केंद्रीय स्थान गडसेरा के रामलीला मैदान में 91वर्षीय समाज सेवी सर्वोदयी कार्यकर्ता मुरारी लाल की अध्यक्षता मे आयोजित कार्यक्रम में चिपको आंदोलन के प्रणेता पद्म भूषण श्री चंडी प्रसाद भट्ट ने  इस समारोह में शामिल लोगों को उस दौर के चिपको के अनुभव साझा किए। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि चिपको आंदोलन में महिलाओं की अतुलनीय भूमिका रही है और अनेक कष्टों को सहते हुए उन्होंने कंपनी और सरकार के खिलाफ डटकर मुकाबला किया और अंतत: अपने जंगलो को बचाने के संघर्ष में विजय हासिल की। इस दौरान उनके द्वारा सभा में आज से ठीक 50 वर्ष पूर्व चले चिपको आंदोलन के अनुभव और संस्मरणों बताए।

 

उनके द्वारा वहां उपस्थित सभी लोगों एवं मातृशक्ति से पुनः अपने जंगलों को आग की विभीषिका से बचाने का भी आवाहन किया गया और यहीं से उन्होंने चिपको की 50 वीं वर्षगांठ के शुभ अवसर पर चिपको के बाद यही पुकार यही पुकार जंगल नहीं चलेंगे अबकी बार के संदेश के साथ कार्यक्रम में उपस्थित मातृशक्ति के साथ ही युवाओं एवं पर्यावरण कार्यकर्ताओं से अधिक से अधिक संख्या में वृक्षारोपण करने के साथ-साथ ही अपने जंगलों को आग से बचाने का भी आवाह्न किया ।

कार्यक्रम में प्रभागीय प्रभागीय वन अधिकारी केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग इंद्र सिंह नेगी ने कहा कि अपने जंगलो को बचाने के लिए चिपको आंदोलन पूरी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान रखता है। वर्तमान में चिपको आंदोलन की सफलता के बाद अब हमें अपने जंगलो के साथ ही वन्य जीव जंतुओं को बचाने की कोशिशें भी करनी चाहिए।

कार्यक्रम में मुख्य विकास अधिकारी चमोली डॉ.ललित नारायण मिश्र ने कहा कि हमें जंगलों पर ज्यादा चारापत्ती के लिए आश्रित रहने के बजाय अपने घरों के आस-पास नेपियर घास के साथ ही अन्य सदाबहार प्रजाति की घास का रोपण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जंगली जानवरों द्वारा फसलों को नष्ट करने की घटनाएं बढ़ रही है ऐसी स्थिति में हमें कीवी के साथ ही जड़ी बूटी की खेती को भी अपनाना होगा। जिसे जंगली जानवरो द्वारा नुकसान भी नही पहुंचता है और यह हमारी आजीविका का भी प्रमुख साधन बन सकता है। उन्होंने कहा कि इस घाटी द्वारा पर्यावरण संरक्षण के प्रसिद्ध आंदोलन चिपको का सूत्रपात हुआ था। एैसे मे यह हमारी यह नैतिक जिम्मेदारी भी है कि अपने पूर्वजो के इस पर्यावरण संरक्षण के इस संदेश को अग्रसारित करते हुए नयी पीढी को भी इससे जोड़ें।

चिपको स्वर्णजयंती आयोजन समिति के अध्यक्ष भगत सिंह बिष्ट ने कहा कि चिपको आंदोलन की स्वर्ण जयंती समारोह के तहत आंदोलन की मातृ संस्था तथा पर्यावरण एवं विकास केंद्र द्वारा पूरे वर्ष गोपेश्वर, मंडल ,तथा रामपुर न्यालसु में कार्यक्रमआयोजित किए गए। इस दौरान उनके द्वारा 24 मई 1973 को चिपको आंदोलन के प्रस्ताव का वाचन करने के साथ ही सभी दिवंगत आंदोलनकारियों का स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि भी ज्ञापित की गयी।

इस अवसर पर कार्यक्रम में रा.ई.का.वैरागना की ईको क्लब की छात्राओं ने छात्रों ने स्वागत गान, तथा क्षेत्र के सिरोली, मंडल, कोटेश्वर,वैरागना के महिला मंगल दलों द्वारा वन एवं वन संरक्षण का संदेश देते हुए लोकगीतों तथा लोक नृत्यों,के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति भी दी गयी।

इस दौरान कार्यक्रम में आयोजन समिति के अध्यक्ष पूर्व प्रमुख दशोली भगत सिंह बिष्ट, पूर्व प्रमुख दशोली नंदन सिंह , मंडल घाटी रामलीला कमेटी के अध्यक्ष दुर्गा प्रसाद सेमवाल, आयोजन समिति के सचिव प्रधान मंडल पुष्कर सिंह बिष्ट ,महिला मंगल दल अध्यक्षा गोपेश्वर सुशीला सेमवाल, सामाजिक कार्यकर्ता सत्येंद्र रावत, मंगला कोठियाल, राजकीय इंटर कॉलेज वैरागना के प्रधानाचार्य मनोज तिवारी, सर्वोदयी कार्यकर्ता दरबान सिंह नेगी, चिपको आंदोलन की मातृ संस्था दशोली ग्राम स्वराज्य मंडल के मंत्री अब्बल सिंह नेगी ,वरिष्ठ पत्रकार अनुसूया प्रसाद मलासी, प्रधान वैरागना आशा देवी,प्रधान सिरोली आरती देवी,प्रधान बंणद्वारा सरोजनी देवी, देवेशवरी देवी,सुनीता सेमवाल, संगीता देवी,पुष्पा देवी,हरिता देवी,यशोदा देवी,मीना देवी, सावित्री तिवारी,जमुना देवी,धीरेंद् राणा,सतेंद्र रावत, सवेंद्र सिंह,भरत रावत,हरेंद्र बिष्ट,मातृका प्रसाद,सहित घाटी के सभी गांव के वन सरपंचों के साथ ही सभी सामाजिक कार्यकर्ता मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन विनय सेमवाल द्वारा किया गया ।

कार्यक्रम की अध्यक्षता वयोवृद्ध समाजसेवी तथा चिपको आंदोलन के नेता रहे सर्वोदय कार्यकर्ता श्री मुरारी लाल जी द्वारा की गई।

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