Front Page

नंदाष्टमी के पर्व पर आराध्य कालिंका देवी को बेहद भावुक माहौल में दी विदाई

-गौचर से दिग्पाल गुसांईं–
तीन दिनों की पूजा अर्चना के बाद क्षेत्र की आराध्य कालिंका देवी को नंदाष्टमी के पर्व पर मायके पक्ष के लोगों द्वारा विधि विधान व गाजे बाजे के साथ मूल मंदिर के लिए विदा कर दिया गया है।इस अवसर पर माहौल इतना करूणामय हो गया कि सबकी आंखें छलछला गई।


पालिका क्षेत्र की आराध्य देवी कालिंका का मूल मंदिर अलकनंदा नदी के तट पर भटनगर गांव के समीप स्थित है। पूर्व से चली आ रही परंपरा के अनुसार पनाई, रावलनगर, बंदरखंड, आदि गांवों के लोग देवी के मायके तथा भटनगर गांव निवासी ससुराल पक्ष के माने जाते हैं।शैल गांव के शैली पंडित देवी के गुरु माने जाते हैं। पूर्व में मायके पक्ष के लोग अपनी आराध्य देवी कालिंका को ध्याण के रूप में नंदाष्टमी के पर्व पर एक दिन की पूजा अर्चना के लिए पनाई सेरे में स्थित मायके के मंदिर में लाकर अष्टवलि देकर क्षेत्र की खुशहाली की कामना करते थे। लेकिन सन् 70 के दशक में आए सामाजिक बदलाव के बाद अष्टवलि की जगह तीन दिनों तक हवन पूजन शुरू किया किया गया।तब से आज तक यह परंपरा चलती आ रही है।इसी परंपरा के तहत मायके पक्ष के लोग अपनी आराध्य ध्याण को बुधवार को तीन दिनों की पूजा अर्चना के लिए मायके के मंदिर में लाए थे।इन तीन दिनों में मायके पक्ष के अलावा तमाम क्षेत्रवासियों ने अपनी आराध्य ध्याण को विभिन्न प्रकार के समूण श्रृंगार सामग्री आदि अर्पित कर क्षेत्र की खुशहाली की कामना की। मंगलवार नंदाष्टमी के पर्व पर जब कालिंका देवी मूल मंदिर में जाने के लिए मायके के मंदिर से बाहर निकली तो मंदिर परिसर का माहौल करुणामय हो गया और सबकी आंखें छलछला गई। देवी पुजारी राधावल्लभ थपलियाल पर अवतरित होकर आशीर्वाद स्वरूप फल आदि वितरित किए।इस अवसर पर महिलाओं ने मांगल गीतों के माध्यम से देवी से कहा कि क्षेत्र में खुशहाली का माहौल बनाए रखना तो तुझे अगली बार इसी तरह बुलाते रहेंगे। देवी को भेजने के लिए मायके पक्ष के लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। मायके पक्ष के लोग तथा रावलनगर के रावल मूल मंदिर तक गए जहां पहले से ससुराल पक्ष के लोग मौजूद थे। नंदाष्टमी को कालिंका देवी को बाहरी खूंटे रख कर रावल देवता के निशाण भी अपने मूल मंदिर के लिए चले गए हैं। रविवार नवमी के एक बार पुनः देवी व देवी के भाई माने जाने वाले रावलनगर रावल देवता की विधिविधान से पूजा अर्चना कर गर्भगृह में रख दिया जाएगा। जहां पुजारियों द्वारा नित्य देवी व रावल देवता की पूजा की जाएगी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!