सुरक्षा

इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों में आग लगने की बढ़ी घटनाओं के मद्देनजर 1 अक्टूबर मानकों में अतिरिक्त सुरक्षा प्रावधान

नयी दिल्ली, 2  सितम्बर  (उहि)।  देश के विभिन्न हिस्सों में इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों में आग लगने की बढ़ी घटनाओं के मद्देनजर, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने श्री टाटा नरसिंह राव (निदेशक, एआरसी, हैदराबाद) की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। इसे सीएमवी नियमों के तहत अधिसूचित मौजूदा बैट्री सुरक्षा मानकों में अतिरिक्त सुरक्षा प्रावधानों की सिफारिश करनी थी। इस समिति में सदस्य के तौर पर श्री एम. के. जैन (वैज्ञानिक-जी, सीएफईईएस, डीआरडीओ), डॉ. आरती भट्ट (वैज्ञानिक-एफ, अतिरिक्त निदेशक, सीएफईईएस, डीआरडीओ), डॉ. सुब्बा रेड्डी (प्रिंसिपल रिसर्च साइंटिस्ट, आईआईएससी, बेंगलुरु), प्रो. एल उमानंद (अध्यक्ष, डीईएसई, आईआईएससी, बेंगलुरु), डॉ. एम. श्रीनिवास (वैज्ञानिक-ई, एनएसटीएल, विशाखापत्तनम), प्रो. देवेंद्र जलिहाल (प्रमुख, सी-बीईईवी, आईआईटी मद्रास, चेन्नई) शामिल थे।

विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट में दी गई सिफारिशों के आधार पर, मंत्रालय ने 29 अगस्त 2022 को एआईएस 156 में संशोधन 2 जारी किया है- इलेक्ट्रिक पावर ट्रेन के साथ एल श्रेणी (चार पहियों से कम वाले मोटर वाहन और क्वाड्रिसाइकल होते हैं) के मोटर वाहनों के लिए विशिष्ट आवश्यकताएं और एआईएस 038 रिवीजन 2 में संशोधन 2 – एम श्रेणी (यात्रियों को ले जाने वाली कम से कम चार पहिया मोटर गाड़ी) और एन श्रेणी (माल ढोने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला कम से कम चार पहियों वाला मोटर वाहन, जो माल के अलावा लोगों को भी ले जा सकता है) के मोटर वाहनों की इलेक्ट्रिक पावर ट्रेन के लिए विशिष्ट आवश्यकताएं। इन संशोधनों में बैट्री सेल, बीएमएस, ऑन-बोर्ड चार्जर, बैट्री पैक का डिजाइन, आंतरिक सेल में शॉर्ट सर्किट से आग लगने के कारण थर्मल प्रसार आदि से संबंधित अतिरिक्त सुरक्षा आवश्यकताएं शामिल हैं।

1 अक्टूबर 2022 से संबंधित श्रेणी के इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए संशोधित एआईएस 156 और एआईएस 038 रिवीजन 2 मानकों को अनिवार्य करने की अधिसूचना जारी की गई है।

मंत्रालय ने 25 अगस्त 2022 को केंद्रीय मोटर वाहन नियम (सीएमवीआर) 1989 के नियम 124 के उप-नियम 4 में संशोधन करने के लिए मसौदा अधिसूचना जीएसआर 659 (ई) भी जारी किया है, जिससे इलेक्ट्रिक पावर ट्रेन वाहनों में इस्तेमाल होने वाली ट्रैक्शन बैट्री के लिए उत्पादन की अनुरूपता (सीओपी) को अनिवार्य किया जा सके। प्रस्तावित नियम 1 अक्टूबर 2022 से प्रभावी होंगे। 30 दिनों के भीतर सभी हितधारकों से टिप्पणियां और सुझाव मांगे गए हैं।

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