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भारत के आर्थिक विकास को, जी-20 के संदर्भ में सक्षम बनाना

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2047 तक 30 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के महत्वाकांक्षी, लेकिनहासिल करने योग्य, लक्ष्य तक पहुंचने के लिए, विनिर्माण क्षेत्र, भारत के समक्ष सबसे बड़े औरसर्वाधिक परिवर्तनकारी अवसरों में से एक प्रस्तुत करता है। भारत का विशाल एवं कुशलकार्यबल, एक उभरता हुआ आपूर्ति आधार, प्राकृतिक संसाधनों तक स्थानीय पहुंच, उद्यमिताकी क्षमता और एक मजबूत घरेलू बाजार, देश को एक आकर्षक विनिर्माण केंद्र बनाते हैं।उद्योग जगत में वर्तमान के कुछ उभरते हुए रुझानों में शामिल हैं: विनिर्माण को तकनीक
के आधार पर सक्षम बनाना (उद्योग 4.0) तथा आईओटी, 3डी प्रिंटिंग, उन्नत रोबोटिक्स,कृत्रिम बुद्धिमत्ता, वर्चुअल और संवर्धित वास्तविकता पर ध्यान देने के साथ उत्पादन प्रक्रियाको इनके अनुरूप बनाना। इसके अलावा, विनिर्माण क्षेत्र के लिए सेवा प्रदाता के अनुरूपसंरचना तैयार करने एवं सतत विकास को बढ़ावा देने पर अधिक जोर दिया जा रहा है: हरितप्रोत्साहन, बेहतर अपशिष्ट प्रबंधन, चक्रीय अर्थव्यवस्था का निर्माण तथा पर्यावरण, सामाजिकऔर कॉर्पोरेट प्रशासन (ईएसजी) श्रेणी मूल्यांकन और लक्ष्यों को अपनाना। विशेष रूप सेमहामारी के बाद के परिदृश्य में, वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ व्यापक एकीकरण इस प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

इस संदर्भ में, वर्तमान भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए, प्रमुख मुद्दों कोरेखांकित करने में भारत की जी-20 अध्यक्षता की महत्वपूर्ण भूमिका है। भारत की अध्यक्षतावैश्विक दक्षिण के मुद्दों को उठाने एवं नवाचार, सतत विकास और ज्ञान आधारित रूपरेखा केनिर्माण से संबंधित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के साथ-साथ वर्तमान औद्योगिक परिवेशमें उभरती हुई प्रवृत्तियों को बढ़ावा देने, डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं को प्रोत्साहन देने औरसमाज के सभी स्तरों और सभी देशों के लिए खुले स्रोत आधारित डिजिटल अवसंरचना तकपहुंच को सक्षम बनाने में मदद कर सकती है।

20 देशों का समूह (जी-20) अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। यह सभी प्रमुखअंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक आर्किटेक्चर व शासन को आकार देने और मजबूतकरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 20 देशों के समूह (जी-20) में 19 देश (अर्जेंटीना,ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरियागणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्तराज्य अमेरिका) और यूरोपीय संघ शामिल हैं। जी-20 के सदस्य देश वैश्विक सकल घरेलू
उत्पाद के लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार के 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व कीजनसंख्या के लगभग दो-तिहाई का प्रतिनिधित्व करते हैं। जी-20 की अध्यक्षता करने वालादेश एक वर्ष के लिए जी-20 के एजेंडे हेतु मार्गदर्शन करता है और शिखर सम्मेलन कीमेजबानी करता है। भारत के आमंत्रित देश हैं: बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया,ओमान, सिंगापुर, संयुक्त अरब अमीरात और स्पेन (स्थायी आमंत्रित)।भारत 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है। जी-20की इसकी अध्यक्षता का मूल विषय- 'वसुधैव कुटुम्बकम' यानी 'एक धरती, एक परिवार, एकभविष्य' की अवधारणा से प्रेरित है।

बिजनेस 20 (बी-20) कनाडा की अध्यक्षता के तहत 2010 में बनाया गया जी-20 काआधिकारिक संवाद समूह है, जिसका उद्देश्य वैश्विक व्यापार जगत के नेताओं को वैश्विकआर्थिक और व्यापार शासन के मुद्दों पर उनके विचारों के लिए प्रेरित करना और पूरे जी-20व्यवसाय समुदाय के लिए एक स्वर में बात करना है। यह कार्यक्रम समूह विभिन्न कार्यबलोंके माध्यम से काम करता है, जिसकी सिफारिशों का बी-20 शिखर सम्मेलन में सार प्रस्तुतकिया जाता है और जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले जी-20 नेताओं को प्रस्तुत किया जाता
है। भारत की अध्यक्षता में बी-20 का काम सात (7) टास्कफोर्स और दो (2) एक्शन काउंसिल केमाध्यम से संचालित किया जाना है, अर्थात्
टास्क फोर्स:
1. सुदृढ़ वैश्विक व्यापार और भविष्य के कार्य के लिए निवेश,
2. कार्य, कौशल और गतिशीलता का भविष्य
3. ऊर्जा, जलवायु परिवर्तन और संसाधन संबंधी दक्षता
4. डिजिटल परिवर्तन
5. वैश्विक आर्थिक सुधार हेतु वित्तपोषण
6. प्रौद्योगिकी, नवाचार और अनुसंधान एवं विकास

7. आर्थिक सशक्तिकरण के लिए वित्तीय समावेशन

एक्शन काउंसिल:

1. व्यापार में ईएसजी
2. अफ्रीकी आर्थिक एकीकरण

इस एजेंडे के तहत अनेक कार्यक्रमों की एक श्रृंखला आयोजित की जानी है जिसमें विषय-विशिष्ट कार्यदलों की बैठकें भी शामिल हैं जिनमें उद्योग जगत की हस्तियों, नीतिनिर्माताओं, विशेषज्ञों और अंतर्राष्ट्रीय राजनयिकों की भागीदारी होगी। भारत की अध्यक्षता मेंपूरे भारत और विदेश में हाइब्रिड एवं आमने-सामने दोनों ही तरह की लगभग 100 बैठकेंऔर कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई गई है। बी-20 की आरंभिक बैठक जनवरी,2023 में गांधीनगर में होनी है।‘रेज’ – ‘उत्तरदायी, त्वरित, अभिनव, सतत और न्यायसंगत व्यवसाय’ के आदर्श वाक्य के साथ बी-20 इंडिया दरअसल जलवायु कार्रवाई, नवाचार, डिजिटल सहयोग, सुदृढ़ जीवीसी और वित्तीय समावेश जैसे विभिन्न मुद्दों पर चर्चा एवं विचार-विमर्श करने के लिए एक महत्वपूर्ण फोरम होगा। स्टार्ट-अप्‍स दरअसल नवाचार-आधारित आर्थिक रिकवरी, कायाकल्‍प, और विकास के लिए प्रभावशाली इंजन बन गए हैं। जी-20 की भारतीय अध्यक्षता में शुरू किए जा रहे स्टार्ट-अप 20 सहभागिता समूह का उद्देश्‍य स्टार्ट-अप्‍स को आवश्‍यक सहयोग देने और स्टार्ट-अप्‍स, कॉरपोरेट जगत, निवेशकों, नवाचार एजेंसियों एवं संबंधित परिवेश के अन्य प्रमुख हितधारकों के बीच उचित तालमेल सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्‍त वैश्विक माहौल बनानाहै। नए सहभागिता समूह का मुख्‍य उद्देश्य जी-20 देशों में रणनीतिक सहयोग के जरिए अभिनव स्टार्ट-अप्‍स को आवश्‍यक सहयोग देने के लिए एक समावेशी रूपरेखा विकसित
करना है।
इस पूरे परिप्रेक्ष्य को देखते हुए, चर्चा के केन्द्र में रहने वाली कुछ प्रमुख पहल हैं:

→ डिजिटलीकरण एवं उद्योग 4.0 पर जोर और व्यवसाय जगत को वैश्विक बाजारों मेभागीदारी बढ़ाने और विभिन्न व्यवसायों द्वारा निर्यात विविधीकरण के लिए जीवीसी केविकास एवं अनुकूलन से संबंधित वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने की जरूरत है। आर्थिकविकास को बढ़ावा देने और व्यावसायिक प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार लाने के लिए जीवीसी केभविष्य को स्थायी एवं समावेशी तरीके से आकार देना महत्वपूर्ण है।
→ भविष्य की नौकरियों के अनुरूप बड़े पैमाने पर रोजगार सृजित करने के तरीके औरउन्नत तकनीकों को अपनाने पर ध्यान केंद्रित करने वाली दुनिया में काम करने के लिए श्रमशक्ति को फिर से कुशल बनाने और उनके कौशल को बेहतर करने की कार्ययोजना।

→ आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए वित्तपोषण में तेजी लाना, विशेषकर सूक्ष्म, लघुएवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के प्रति समर्थन को प्रोत्साहन।
→ सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं के लिए ऋण चुकाने और वित्तीय सहायता की सुविधा प्रदानकरने की दिशा में प्रयासों को बढ़ावा देना।
→ विशेष रूप से डिजिटल वित्तीय सेवाओं के माध्यम से जी-20 के देशों के बीच वित्तीयसमावेशन को बढ़ावा देना।
→ वित्तीय सेवाओं के डिजिटलीकरण पर केन्द्रित रणनीतियों से संबंधित उत्कृष्टकार्यप्रणालियों को साझा करना।
→ पर्यावरणीय संबंधी अनिवार्यताओं के अलावा, स्थानीय एवं क्षेत्रीय सन्दर्भों को ध्यान मेंरखते हुए स्थायी, संतुलित एवं समावेशी निवेश तथा सामाजिक एवं आर्थिक अनिवार्यताओं को संतुलित करने से जुड़े कदमों को प्राथमिकता दी जाएगी।

उपरोक्त सभी पहल/उद्देश्यों के लिए कोविड के बाद की दुनिया में ठोस कदम उठाने हेतु जी-20 के सभी देशों के बीच सामूहिक एवं समन्वित प्रयासों की जरूरत है। अब जबकि सभीदेश महामारी के बाद अपनी अर्थव्यवस्थाओं को उबारने के लिए अधिकतम कदम उठाने पर
ध्यान केन्द्रित कर रहे हैं, साझेदारी एवं सहयोग के सिद्धांतों को आत्मसात करते हुए सभीदेशों के बीच समन्वित एवं पारस्परिक आर्थिक विकास की दिशा में काम करने के लिएसहयोगी तथा संयुक्त प्रयासों की देखने की जरूरत बेहद महत्वपूर्ण है।अपनी अध्यक्षता के आधारस्तंभ के तौर पर भारत द्वारा दुनिया को एक परिवार के रूप में देखने पर जोर दिए जाने के साथ, यह सभी देशों में आर्थिक विकास और एक देश के भीतर सभी आय वर्ग के लोगों को सक्षम बनाने वाले स्थायी एवं सकारात्मक कदमों को अपनाने का समय है।

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