पहाड़ों की आर्थिकी का मजबूत आधार बन सकता है मछली पालन

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रिपोर्ट-हरेंद्र बिष्ट/महिपाल गुसाईं

चमोली जिले में तेजी के साथ मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में सरकार जिला प्रशासन एवं मत्स्य विभाग के सहयोग से जिस तरह से किसान आकर्षित हो रहे उससे माना जाने लगा हैं कि मत्स्य पालन से जिले की आर्थिकी मजबूत होने के साथ ही  स्वरोजगार के क्षेत्र में भी जिला मजबूत स्थिति में पहुंच सकता हैं।

दरअसल पिछले एक दशक से सरकारी पहल पर चमोली जिले के ऊंचाई पर स्थित गांव में सदाबहार गधेरों के आसपास मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए जिस तरह से मत्स्य विभाग के द्वारा पहल की और किसानों को तकनीकी सहयोग के साथ ही आर्थिक मदद की उसके अब सुखद परिणाम सामने आने लगे हैं। अकेले पिंडर घाटी के देवाल ब्लाक के वांण, बगड़ीगाडझ एवं ल्वाणी नारायणबगड़ के चलिया पानी में मत्स्य समूहों के द्वारा महंगे दामों पर बिकने वाली ट्राउट मछली को बेच कर प्रति वर्ष लाखों रूपए कमाये जा रहे हैं। ल्वाणी मत्स्य समूह के मोहन सिंह गांववासी ने बताया कि पिछले वर्ष उसके समूह ढाई लाख रुपए से अधिक मछलियों को देश के बड़े, बड़े शहरों में भेजा है।

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जिले में मत्स्य पालन के प्रति किसानों के बढ़ते रूझान को देखते हुए चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना भी आगे आएं हैं। उन्होंने व्यक्तिगत रूचि लेते हुए वर्ष 2022-23 में जिलायोजना मद से मनु मत्स्य जीवी सहकारी समिति वांण को एक रेफ्रीजरेटेड वाहन उपलब्ध कराया गया। जिस पर 15 लाख की धनराशि व्यय हुई। इसमें 40 प्रतिशत जिला योजना से तथा 60 प्रतिशत एनसीडीसी से लाभार्थी को ऋण के रूप में दिया गया हैं। इस वाहन में मत्स्य बीज की सुरक्षित आपूर्ति एवं मछलियों को बाजारों तक पहुचाने में काफी सहायता मिल रही हैं।इस वाहन में मछलियों का मांस खराब नही होता हैं। प्रभारी सहायक निदेशक मत्स्य जगदंबा ने बताया कि दिए गए वाहन से वांण की समिति ने कुछ ही महीनों में 11 लाख से अधिक मूल्य के मत्स्य बीज का जिला चमोली एवं बागेश्वर में विपणन किया जा चुका है। समिति इस वाहन के माध्यम से किसानों के तालाबों तक स्वयं ही मत्स्य बीज की आपूर्ति कर मत्स्य बीज के मूल्य के साथ-साथ वाहन के किराये के रूप में भी आय अर्जित कर रही है। एक तरह से रेफ्रीजरेटर वाहन मत्स्यपालकों के लिए वरदान साबित हो रहा हैं

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