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भारत में भोजन बेशुमार व्यंजनों, खाना पकाने की शैलियों का एक जीवंत संकलन है

-उषा रावत –

भारत में भोजन बेशुमार व्यंजनों, खाना पकाने की शैलियों का एक जीवंत संकलन है और जिसकी विशेषता स्‍पष्‍ट रूप से मसालों, अनाज, सब्जियों और फलों के सूक्ष्म और परिष्कृत उपयोग से पता चलती है जो स्थानीय रूप से उपलब्ध हैं। भारतीय भोजन एक संतुलित भोजन है, क्योंकि यह सभी प्रकार के स्वादों के साथ तृप्त करता है जैसे नमकीन, मीठा, कड़वा या मसालेदार एक या अधिक खाद्यान्न, सब्जियों के मसाले आदि के साथ।

भारत में परिदृश्य, संस्कृति, भोजन हर सौ किलोमीटर में बदलता है और यह कितना सच है! हमारे असाधारण देश भर में उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक खाना पकाने की शैलियों और व्यंजनों की अंतहीन किस्में हैं। भारतीय भोजन स्थानीय रूप से उपलब्ध खाद्यान्नों, सब्जियों, मसालों आदि के साथ पोषण के समग्र दृष्टिकोण पर आधारित है। भारत में खाद्य संस्कृति बहुत ही जीवंत और विभिन्न रूपों और शैली में घर के पके हुए भोजन, स्ट्रीट फूड से लेकर बढ़िया भोजन के अनुभव तक उपलब्ध है।

भारतीय उपमहाद्वीप में कृषि की शुरुआत के कुछ आरंभिक प्रमाण इसके उत्तर-पश्चिमी भाग से आते हैं। उत्तरी राजस्थान में पाए गए पुरातात्विक साक्ष्य बताते हैं इस क्षेत्र में 8000 ईसा पूर्व से ही जंगलों को साफ किया गया और फसलों को उगाया गया। कृषि के विकास के संदर्भ में सबसे महत्वपूर्ण प्रागैतिहासिक स्थलों में से एक बलूचिस्तान में मेहरगढ़ है। गेहूँ और जौ इस क्षेत्र में 6500 ईसा पूर्व से उगाए गए थे। लगभग तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व तक, उपमहाद्वीप के दक्षिणी भाग में गोदावरी, कृष्णा और कावेरी की नदी घाटियों में भी बस्तियाँ स्थापित हो गईं थीं। बड़े खुले कटोरे और बर्तनों के प्रमाण बताते हैं कि इस अवधि के दौरान दलिया और माँड़ जैसे भोजन का उपभोग किया जाता होगा। यह सामुदायिक भोजन की प्रथाओं की मौजूदगी का सुझाव भी दे सकता है।

भारतीय पाक कला के प्रधान भोजन जेसे की बाजरा अट्टा और अलग अलग प्रकार की दाल जेसे धूलि मूंग, उरड यह सब भारत में ज्यादा उपयोग होती हैं। उत्तर क्षेत्र में चना छोले,राजमा, लोबिया यह सब बहुत ही आम है। बहुत सरे भारत के व्यंजन सब्जियों के तेल में ही बनते हे पर उत्तर और पश्चिम में मूंगफली का तेल इस्तेमाल होता हैं। पूर्व में सर्सो का और दक्षिण में नारियल के तेल का इस्तेमाल होता है । भारत में बहुत तरह के मसलो का इस्तेमाल होता है इनमे से कुछ महत्वपूर्ण मसलों के नाम हे, मिर्च जो पुर्तगालियों से आई, सर्सो,इलाइची, जीरा, हल्दी,हींग, अदरक,धनिया और लसुन यह सब साधारण मसाले है।भारत के हर एक क्षेत्र में अपने अलग मसाले बनाए जाते है। कुछ जगह पे स्वाद लाने के लिए तेज़ पत्ता, कॉरिअन्देर पत्ता, वगेरा मिलाया जाता है।

लगभग पाँचवीं शताब्दी ईस्वी से शुरू होकर पुराण नामक एक महत्वपूर्ण वर्ग के धार्मिक ग्रंथों की रचना हुई।  इन देवताओं की पूजा करकर इन्हें प्रसन्न किया जा सकता था जिसमें भोग या नैवेद्य के रूप में विशिष्ट खाद्य पदार्थों को भेंट चढ़ाना शामिल था। लोकप्रिय हिंदू धर्म में प्रत्येक देवी-देवता की अपनी पाक प्राथमिकताएँ हैं। उदाहरणतः विष्णु को आम तौर पर घी और दूध आधारित खाद्य पदार्थ अर्पित किए जाते हैं। गणेश को उनके मिठाई के प्रति प्रेम के लिए जाना जाता है, खासकर मोदक नामक एक विशेष मिठाई। भोजन को देवता को अर्पित करने के बाद, प्रसाद नामक बचे हुए भोजन को भक्तों के बीच वितरित किया जाता है और माना जाता है कि यह देवता के आशीर्वाद से संपन्न होता है। इस अवधि के दौरान तांत्रिकवाद की उत्पत्ति हुई। मुख्यधारा के ब्राह्मणवादी धर्म के विपरीत, तांत्रिकवाद में ममसा (माँस) और मद्य (शराब) को भगवान को चढ़ाने योग्य माना गया, और भक्तों के बीच उनके उपयोग को प्रोत्साहित किया गया।

अबुल फ़ज़ल की आइन-ए-अकबरी में यख़नी (माँस का रसा), मुसम्मन और भरवाँ भुना हुआ मुर्ग जैसे व्यंजनों का उल्लेख है और खाना पकाने की तकनीक जैसे कि दम पुख़्त (धीमी आँच पर खाना पकाने की तकनीक) और बिरयानी (तलना या भूनना) का भी उल्लेख है। शीरमाल, रूमाली और तंदूरी रोटी जैसी रोटियाँ भी भारतीय व्यंजनों को मुग़लों की भेंट हैं। यह भी माना जाता है कि कुल्फ़ी, एक लोकप्रिय समकालीन भारतीय मिठाई, मुग़ल भारत में ही उत्पन्न हुई थी। निमतनामा-ए-नसीरुद्दीन-शाही मालवा के शासक घियाथ शाह (सन 1469-1500) द्वारा लिखवाई गई एक मध्यकालीन रसोई की किताब थी। फ़ारसी में रचित यह ग्रंथ, मध्ययुगीन व्यंजनों का संकलन है, जो समृद्ध चित्रों से सजा हुआ है।

वर्तमान समय में ढाबा नामक रेस्तराँ की एक श्रेणी काफी लोकप्रिय हो गई है। इनके ग्राहकों में मूल रूप से भारवाहन चालकों के शामिल होते हुए, ये भोजन स्थल आज के शहरी युवाओं के बीच लोकप्रिय हो गए हैं। भारत और चीन की पाक संस्कृतियों के मिलन से भारत में लोकप्रिय चीनी भोजन की एक नई शैली विकसित हुई है, जिसे भारतीय-चीनी कहा जाता है। एक और महत्वपूर्ण विकास यह है कि भारत में सड़क का भोजन (स्ट्रीट फ़ूड) सड़कों से आगे बढ़ गया है और बड़ी खाद्य श्रृंखलाओं द्वारा इसे अपना लिया गया है। भोजन से जुड़े मोबाइल-आधारित अनुप्रयोगों (मोबाइल एप्स) की हाल ही में शुरूआत के साथ, घर बैठे विभिन्न प्रकार के व्यंजनों तक पहुँचना संभव हो गया है।

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