गैरसैंण सत्र : सरकार और पुलिस, दोनों की अग्निपरीक्षा

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–भराड़ीसैंण से महिपाल गुसाईं –
सोमवार से गैरसैंण में शुरू हो रहा विधानसभा का बजट सत्र उत्तराखंड सरकार और पुलिस दोनों के लिए अग्नि परीक्षा के समान होने के आसार हैं। पुलिस ने सुरक्षा की दृष्टि से बेशक भराड़ीसैंण को अवेद्य किले में तब्दील किया हुआ है और प्रदर्शनकारियों को दिवालीखाल से पहले ही जंगल चट्टी में रोकने की तैयारी की है लेकिन पुलिस उसमें सफल हो पाएगी उसमें संदेह है।


मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने प्रदेश सरकार की नाकामी, अंकिता हत्याकांड से लेकर भर्ती परीक्षाओं में घपले घोटालों के विरोध में सत्र के पहले दिन धरना प्रदर्शन का ऐलान किया है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य इस धरने का नेतृत्व करेंगे। कांग्रेस इसकी तैयारी भी कर चुकी है पार्टी विधायकों के साथ नेता तथा कार्यकर्ता भी वहां पहुंचने जा रहे हैं। यशपाल आर्य सदन के बाहर और सदन के भीतर सरकार को घेरने का ऐलान पहले ही कर चुके हैं।


भर्ती परीक्षाओं में धांधली के शिकार युवा भी अपना आक्रोश जताने का ऐलान कर चुके हैं। इसके अलावा पुरानी पेंशन बहाली की मांग कर रहे सरकारी कर्मचारियों के तेवर भी तीखे हैं। इसके अलावा कई अन्य जनसंगठन भी विधानसभा घेराव का ऐलान कर चुके हैं।इस लिहाज से विधानसभा सत्र का पहला दिन जहां पुलिस के लिए भारी रहने वाला है, वहीं सदन के भीतर कांग्रेस के हमलों का सरकार को जवाब देना है। जोशीमठ की आपदा का मुद्दा भी इस सत्र में गरमाने के आसार हैं।

पिछले साल गैरसैंण में सत्र नहीं हो पाया था। तब चारधाम यात्रा का हवाला देकर गैरसैंण गहमागहमी से अछूता रह गया था लेकिन उससे पहले साल की घटनाओं को लोग भूले नहीं हैं। घाट प्रखंड के लोग एक अदद सड़क चौड़ीकरण की मांग ही तो कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने जिस तरह का बर्ताव किया, उसके बाद क्या कुछ हुआ यह सर्वविदित है। तब भी पुलिस ने जंगल चट्टी में बैरियर लगाया था लेकिन फिर भी लोग दिवालीखाल पहुंच गए थे।

हालांकि दिवालीखाल तक पहुंचने के लिए दो ही रास्ते हैं। या तो कुमाऊं की तरफ से आइए या कर्णप्रयाग की तरफ से लेकिन ग्रामीण लोग बिना रास्ते भी दिवालीखाल तक जंगल से होते हुए पहुंच सकते हैं, इस बात की जानकारी पुलिस को जरूर होगी। इस बार भी लोगों का जैसे तैसे वहां पहुंचने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।

कुल मिलाकर सोमवार से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में पुलिस बल के लिए बड़ी चुनौती रहने की संभावना है। उसे बल प्रयोग न करना पड़े, इसकी अपेक्षा तो की जानी चाहिए, क्योंकि जनता अथवा जन संगठनों के पास अपनी बात रखने के यही मौके होते हैं लेकिन स्थिति बिगड़ने न पाए, इसे लेकर यह सत्र अग्निपरीक्षा से कम भी नहीं है।

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