कच्चे तेल की खुदाई और प्रसंस्करण के दौरान निपटाए गए अपशिष्ट जल को पहले जैसा करने का हरित रामबाण

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संयंत्र आधारित बॉयोमेटेरियल, बॉयोसर्फेक्टेंट तथा एनपीके उर्वरक का संयुक्त मिश्रण निकले हुए जल को फिर से पहले जैसा करने में सहायक हो सकता है। – कच्चे तेल की खुदाई और प्रसंस्करण के दौरान निपटाए गए अपशिष्ट जल।

कच्चे तेल की खुदाई और प्रसंस्करण के दौरान निकले पानी का भारी मात्रा में निपटान किया जाता है। इसमें तैलीय घटक, नमकीन सोल्यूशंस और सोलवेंट होते हैं, जो तेल उद्योग में विभिन्न चरणों के दौरान उपयोग में लाए जाते हैं। सामान्यत: यह बह जाता है और नदियों और धाराओं तक पहुंच जाता है तथा अंनत: जल की गुणवत्ता को खराब कर देता है और वर्तमान जलीय जीवन को खतरे में डालता है। इसके अतिरिक्त ऐसे दूषित स्थानों से एकत्र की गई मछली और पौधों की बड़े जानवरों द्वारा खपत संबंधी जोखिमों को स्थानांतरित और यहां तक कि बढ़ा सकती है। इस तरह एक सुरक्षित और टिकाऊ कल के लिए पर्यावरण में छोड़ने से पहले निकले हुए  जल की सफाई करने की आवश्यकता है।

इस चुनौती से निपटने के लिए डॉक्टर अरूणधुती देवी के नेतृत्व में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त संस्थान इंस्टीट्च्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टेक्नॉलोजी (आईएएसएसटी) के वैज्ञानिकों ने निकले हुए जल के शोधन के लिए एक हरित दृष्टिकोण विकसित करने की दिशा में काम किया। उन्होंने बार-बार परीक्षण और त्रुटि, अनेक प्रयोंगों और अध्ययनों के साथ पौध आधारित बॉयोमेटेरियल, बॉयोसर्फेक्टेंट, जो रोगाणुओं के द्वितीयक मेटाबोलाइट्स हैं, और एनपीए उर्वरक का मिश्रण तैयार किया ताकि निकले हुए जल को पहले जैसा किया जा सके। लगभग 2.5 ग्राम फॉर्मूलेशन 12 घंटे में एक लीटर जल का शोधन कर सकता है। टीम ने इस विकास कार्य पर एक भारतीय पेटेंट दायर किया है।

यह अद्भुत मिश्रण जल के बहाव से प्रदूषण को रोकने में सहायता कर सकता है और हरित क्रांति को बनाए रखने के लिए पुन: उपयोगी बना सकता है। यह लगातार बढ़ती खाद्य मांग को पूरा करने के लिए फसल उत्पादन को बढ़ाने में सहायता कर सकता है।

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