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हमारा संविधान, हमारा सम्मान : लोकतंत्र और मानवाधिकारों को बचाकर रखना

The Indian Constitution, adopted on 26th November 1949 and coming into effect on 26th January 1950, serves as the foundational document that defines India’s democratic, secular, and egalitarian framework. Over the past seven decades, it has guided the nation through political, social, and economic transformations, ensuring justice, liberty, equality, and fraternity—the core principles of India’s governance.

भारतीय संविधान 26 नवम्बर 1949 को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू किया गया। भारत का संविधान भारत के लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और समतावादी ढांचे को परिभाषित करने वाला आधारभूत दस्तावेज है। पिछले सात दशकों में, इसने राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तनों के माध्यम से राष्ट्र का मार्गदर्शन किया है, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व सुनिश्चित किया है – जो भारत के शासन के मूल सिद्धांत हैं। इन मूल्यों को हर साल संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।

 

भारत की संवैधानिक भावना का जश्न

संविधान दिवस हर साल 26 नवम्बर को भारतीय संविधान को अपनाने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। नागरिकों के बीच संवैधानिक मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने 19 नवम्बर 2015 को घोषणा की कि भारत सरकार हर वर्ष 26 नवम्बर को संविधान दिवस के रूप में मनाएगी। इसका पालन राष्ट्र का मार्गदर्शन करने वाले लोकतांत्रिक सिद्धांतों की याद दिलाता है। संवैधानिक आदर्शों के बारे में जागरूकता पैदा करने के इस प्रयास के तहत, हमारा संविधानहमारा सम्मान अभियान शुरू किया गया है।

हमारा संविधानहमारा सम्मान” अभियान

इस प्रतिबद्धता के अनुरूप, 24 जनवरी, 2024 को भारत के माननीय उपराष्ट्रपति द्वारा नई दिल्ली में डॉ. बी.आर. अंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय केन्द्र में शुरू किए गए “हमारा संविधान, हमारा सम्मान” अभियान का उद्देश्य संविधान के बारे में नागरिकों की समझ को गहरा करना है। साल भर चलने वाले इस अभियान का उद्देश्य भारतीय समाज को आकार देने में संविधान के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और नागरिकों को उनके कानूनी अधिकारों के बारे में शिक्षित करना है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि संविधान के मूलभूत सिद्धांत हर भारतीय के साथ जुड़े रहें। अभियान निम्नलिखित लक्ष्यों को बढ़ावा देता है:

  1. संविधान जागरूकता का निर्माण: “हमारा संविधान, हमारा सम्मान” संविधान के मूल सिद्धांतों को आम जनता के लिए सरल बनाने और लोकप्रिय बनाने पर केन्द्रित है। यह नागरिकों को न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व के मूल्यों को समझने में मदद करता है जिन्हें संविधान बढ़ावा देता है। क्षेत्रीय कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और सेमिनारों के माध्यम से, अभियान यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक पृष्ठभूमि के लोगों तक इस आवश्यक ज्ञान की पहुँच हो।
  2. कानूनी अधिकारों और जिम्मेदारियों को बढ़ावा देना: यह अभियान लोगों को भारतीय संविधान के तहत उनके कानूनी अधिकारों, कर्तव्यों और अधिकारों के बारे में शिक्षित करने के लिए बनाया गया है। यह व्यक्तियों को उनके अधिकारों का दावा करने के लिए सशक्त बनाता है और यह भी सुनिश्चित करता है कि वे राष्ट्र और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करें। इस पहल के हिस्से के रूप में, नागरिकों को संविधान द्वारा गारंटीकृत मौलिक अधिकारों सहित उनके अधिकारों पर चर्चा में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जैसे कि समानता का अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार और निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार।
  3. उप-अभियान और विषयगत पहल: मुख्य अभियान के अतिरिक्त, संवैधानिक ज्ञान और लोकतांत्रिक भागीदारी के विशिष्ट पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए तीन प्रमुख उप-विषय शुरू किए गए:
  1. सबको न्यायहर घर न्याय: यह उप-अभियान यह सुनिश्चित करने पर केन्द्रित है कि न्याय हर नागरिक के लिए सुलभ हो। यह नागरिकों के लिए न्याय पाने के लिए मौजूद कानूनी तंत्रों के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देता है, चाहे वह अदालतों में हो, कानूनी सहायता सेवाओं के माध्यम से हो, या पूरे भारत में कानूनी संस्थानों की पहुँच बढ़ाने के उद्देश्य से सुधारों के माध्यम से हो

 

  1. नव भारतनव संकल्प

यह पहल नागरिकों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में खुद को सक्रिय भागीदार के रूप में सोचने के लिए प्रोत्साहित करती है। इसका उद्देश्य नागरिकों के बीच संवैधानिक मूल्यों का सम्मान और संरक्षण करके प्रगतिशील और समावेशी राष्ट्र के निर्माण में योगदान देने के लिए “नया संकल्प” पैदा करना है।

  1. विधि जागृति अभियान

विधि जागृति अभियान का उद्देश्य लोगों को, खास तौर पर ग्रामीण और उपेक्षित क्षेत्रों में, उनके कानूनी अधिकारों और उन्हें प्राप्त करने के तरीकों के बारे में शिक्षित करना है। यह अभियान नागरिकों को कानून के तहत मिलने वाले विभिन्न अधिकारों के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करने का प्रयास करता है, जिसमें सामाजिक कल्याण लाभ, सकारात्मक कार्रवाई नीतियां और उपेक्षित समुदायों के लिए कानूनी सुरक्षा शामिल है।

क्षेत्रीय कार्यक्रम और आगे निकलने के अवसर

साल भर चलने वाले “हमारा संविधान, हमारा सम्मान” अभियान की शुरुआत बीकानेर में अपने पहले क्षेत्रीय कार्यक्रम के साथ हुई, जिसका उद्घाटन मार्च 2024 में मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने किया। तब से बीकानेर, प्रयागराज और अब गुवाहाटी में क्षेत्रीय कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं, जिनका उद्देश्य विविध समुदायों को शामिल करना और पूरे भारत, विशेष रूप से पूर्वोत्तर में, संविधान की समझ को बढ़ावा देना है।

डिजिटल सहभागिता और नागरिक भागीदारी

“हमारा संविधान, हमारा सम्मान” अभियान का एक प्रमुख तत्व इसका डिजिटल जुड़ाव घटक है। नागरिकों को अभियान के समर्पित पोर्टल के माध्यम से सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जो शिक्षा, प्रबंधन और कार्य के लिए एक ऑनलाइन मंच के रूप में कार्य करता है। इस पोर्टल के माध्यम से, नागरिक संविधान के बारे में अपने ज्ञान का परीक्षण करने के लिए वीडियो, लेख, इन्फोग्राफिक्स और क्विज़ जैसे संसाधनों तक पहुँच सकते हैं। यह नागरिकों को भारत के भविष्य को आकार देने में संविधान की भूमिका के बारे में प्रतिज्ञा लेने और ऑनलाइन चर्चाओं में भाग लेने की भी अनुमति देता है।

अभियान की 2047 के भारत की कल्पना को आकार देने में भूमिका

गणतंत्र के रूप में भारत के 75वें वर्ष के अवसर पर, “हमारा संविधान, हमारा सम्मान” अभियान 2047 तक विकसित भारत की कल्‍पना का समर्थन करता है। यह नागरिकों को संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने, लोकतांत्रिक सिद्धांतों का सम्मान करने और देश के भविष्य को आकार देने वाली कानूनी और राजनीतिक प्रक्रियाओं में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करता है। संवैधानिक जागरूकता और इसके व्यावहारिक अनुप्रयोग को बढ़ावा देकर, अभियान का उद्देश्य नागरिकों को संविधान की रक्षा करने और एक समावेशी, लोकतांत्रिक और समृद्ध भारत के निर्माण में योगदान देने के लिए सशक्त बनाना है।

गुणवत्तापूर्ण कानूनी सहायता प्रदान करने में सरकार की भूमिका

  1. दिशा (न्याय तक समग्र पहुंच के लिए अभिनव समाधान तैयार करना) योजना :

दिशा के तहत टेली लॉ कार्यक्रम पंचायत स्तर पर कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) पर वीडियो या टेलीफोन पर परामर्श के माध्यम से मुकदमेबाजी से पहले के चरण में नि:शुल्क कानूनी सलाह के लिए उपेक्षित व्यक्तियों को पैनल वकीलों से जोड़ता है। 2017 में शुरू किया गया यह टेली-लॉ मोबाइल ऐप के माध्यम से भी सुलभ है। पैरा लीगल वालंटियर्स (पीएलवी) मध्यस्थ के रूप में कार्य करते हैं, नागरिकों और सेवा के बीच की खाई को पाटते हैं, जबकि ग्राम स्तरीय उद्यमी (वीएलई) पंजीकरण में सहायता करते हैं। राज्य समन्वयक राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करते हैं।

  1. न्याय बंधु (प्रो बोनो लीगल सर्विसेज):

न्याय बंधु भारत सरकार की एक पहल है जो मोबाइल तकनीक के माध्यम से उपेक्षित लाभार्थियों को मुफ्त कानूनी सेवाएं देने के इच्छुक अधिवक्ताओं से जोड़ती है। न्याय विभाग का लक्ष्य प्रत्येक उच्च न्यायालय में प्रो-बोनो पैनल स्थापित करके इस नेटवर्क को मजबूत करना है, जिसे संबंधित न्यायालयों द्वारा क्यूरेट और प्रबंधित किया जाएगा। इससे अधिकतम प्रभाव के लिए न्यायिक प्रणाली में कार्यक्रम का प्रभावी एकीकरण सुनिश्चित होगा।

निष्कर्ष

हमारा संविधानहमारा सम्मान संविधान में निहित न्याय, समानता और स्वतंत्रता के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए भारत की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह अभियान न केवल कानूनी जागरूकता को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि गांव से लेकर शहरी केन्‍द्रों तक हर नागरिक को उनके अधिकारों की रक्षा करने के साधनों के साथ सशक्त भी बना रहा है।

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