टीएमयू स्टुडेंट्स को दिए स्वस्थ जीवन शैली के टिप्स
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के आउटरीच एंड एक्सटेंशन एक्टिविटीज सेल की ओर से स्वास्थ्य जागरूकता पर तीन दिनी वर्कशॉप का समापन
ख़ास बातें :-
- वक्ताओं ने तनाव के कारणों और बचाव के उपायों पर डाला प्रकाश
- व्यायाम और पोषक आहार स्वस्थ जीवन के लिए बेहद जरूरी
- आधा दर्जन मेडिकल एक्सपर्ट्स ने की विभिन विषयों पर की चर्चा
मुरादाबाद, 8 दिसंबर (भाटिया )। तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के आउटरीच एंड एक्सटेंशन एक्टिविटीज सेल की ओर से स्वास्थ्य जागरूकता पर हुई तीन दिनी हैल्थ अवेयरनेस वर्कशॉप में तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर के डॉक्टर्स ने स्टुडेंट्स को स्वस्थ्य को प्रभावित करने वाले कारणों और उनसे बचाव के तरीकों को विस्तार से समझाया। सीनियर्स स्पीकर्स ने स्टुडेंट्स से स्वास्थ्य संबंधी बातों को अपने दैनिक जीवन शैली में अपनाने की सलाह दी। अंत में आउटरीच एंड एक्सटेंशन एक्टिविटीज सेल के ज्वाइंट डायरेक्टर डॉ. अमित शर्मा ने सभी स्पीकर्स और छात्रों को धन्यवाद दिया।
तीर्थंकर महावीर मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च सेंटर में मनोरोग विभाग के एचओडी डॉ. एस नागेन्द्र, डॉ. मनीष त्यागी और डॉ रिनी मौर्य ने मानसिक तनाव के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा, मानसिक स्वास्थ्य हमें अपने और दूसरों के बारे में सोचने, महसूस करने, घटनाओं की व्याख्या करने आदि को प्रभावित करता है। मनोरोग सीखने, संवाद करने, संबंधों को बनाने, बनाए रखने और समाप्त करने को भी प्रभावित करता है। यह परिवर्तन और जीवन की घटनाओं से निपटने की क्षमता को भी प्रभावित करता है। वक्ताओं ने चिंता और डिप्रेशन बारे में बताते हुए तनाव के विभिन्न स्तरों- अच्छा तनाव, सहनीय तनाव, और विषैला तनाव को भी विस्तार से समझाया।
टीएमएमसी एंड आरसी में सामुदायिक चिकित्सा विभाग के एचओडी डॉ. सुधीर कुमार गुप्ता ने दैनिक जीवन में स्वास्थ्य से जुड़ी बातों पर प्रकाश डालते हुए कहा, स्वस्थ जीवन जीने के लिए हमें प्रतिदिन व्यायाम अवश्य करना चाहिए। डॉ. गुप्ता ने कहा, हमें कम से कम 02 किमी पैदल चलना चाहिए। पोषक आहार लेना चाहिए। 07 से 08 घंटे की र्प्याप्त नींद लेनी चाहिए। इसके संग-संग हमें नशे से दूरी बनाए रखनी चाहिए। यदि हम ऐसा करते हैं तो हम स्वस्थ जीवन शैली को अपना सकते हैं। टीएमएमसी एंड आरसी में नेत्र विज्ञान विभाग की वरिष्ठ रेजिडेंस डॉ. सदफ खान ने कहा, वर्तमान में कंप्यूटर, लैपटॉप और मोबाइल का उपयोग बहुत अधिक किया जाता है। इनके उपयोग से आंखों पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हैं। प्रतिकूल प्रभाव से बचाव के लिए प्रत्येक 20 मिनट के बाद 20 सेकेंड के लिए अपनी आंखों को आराम दें। कंप्यूटर स्क्रीन आंखों के स्तर से 04-09 इंच नीचे की ओर रखें ताकि गर्दन में तनाव न हो। इसके अलावा डॉ. खान ने समय-समय पर आंखों की जांच, लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप, अपवर्तक त्रुटियों का सुधार, नियमित आदि करने की भी सलाह दी। कार्यशाला में फैकल्टी ऑफ एजुकेशन, टिमिट, फॉर्मेसी, फिजियोथैरेपी के अलावा दीगर कॉलेजों की फैकल्टीज एवम् स्टुडेंट्स ने प्रतिभाग किया।