पर्यावरण

बिना वर्षा के चिंता में पड़ गए पहाड़ के किसान

गौचर,24 जून(उहि)।बरसात का सीजन शुरू हुए आठ दिन बीत जाने के बाद भी क्षेत्र में बारिश न होने की वजह से कास्तकार भारी चिंता में पड़ गए हैं उन्हें इस बात की चिंता शताने लगी है कि समय रहते मेघ नहीं बरसे तो उनकी फसल बरबाद हो जाएगी।

अमूमन 15 जून से बरसात का सीजन माना जाता है।इस बार मौसम विभाग ने भी मानसून के समय आने के साथ ही सामान्य बारिश की भविष्यवाणी की थी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है। जनपद चमोली के गौचर क्षेत्र में बड़े पैमाने पर धान की फसल उगाई जाती है। लेकिन दुख इस बात का है कि शासन प्रशासन की घोर लापरवाही के चलते सिंचाई व्यवस्था दुरूस्त न होने की वजह से यहां के कास्तकारों को धान की रोपाई के लिए हर साल बारिश का इंतजार करना पड़ता है।यह समय कास्तकारी के व्यस्तता का समय है यही है समय जब कास्तकार अपने फसलों की निराई गुड़ाई व रोपाई में व्यस्त रहते हैं लेकिन बारिश की वेरुखी ने उनकी व्यस्तता में खलल डाल दिया है।नौबत यहां तक पहुंच गई है कि हैरान परेशान कास्तकार देवी देवताओं की शरण में जाने लगे हैं। उन्हें इस बात की चिंता शताने लगी है कि समय रहते बारिश नहीं आई तो मुरझाने के कगार पर पहुंच गई खेतों में खड़ी फसल बरबाद हो जाएगी। प्रगतिशील कास्तकार रघुनाथ बिष्ट, उमराव सिंह, विजया देवी, कंचन कनवासी जशदेई देवी, आदि का कहना है सिंचाई नहरों की दशा खराब होने की वजह से गर्मी के दिनों में कम पानी आधे हिस्से से आगे पहुंच ही नहीं पाता है।धान की रोपाई का समय निकलता जा रहा है।बिना बारिश के ऊसर वाले खेतों की फसलें मुरझाने लगी हैं।

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