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भारत लैस है एक बेहद वैविध्य और समृद्ध खान-पान की संस्कृति से

India boasts of a profoundly rich food culture, where the act of eating is a holistic experience that encompasses both physical and emotional dimensions. Nostalgia often resurfaces with a familiar taste, connecting individuals to cherished memories. However, as awareness about conscious dietary choices grows, there’s a tendency for people to gravitate toward Western food items. The World Food India initiative seeks to dispel this notion by presenting a diverse array of traditional, authentic, and healthful Indian dishes that can leave a huge impact on food choices around the world. One can connect with authentic and traditional Indian cuisine without compromising on health. Millets, also known as Shree Anna, are venerable super grains deeply ingrained in the Indian diet for centuries. These remarkable superfoods not only bear the distinction of being gluten-free but are also densely packed with vital nutrients. They are celebrated for their adaptability to diverse environmental conditions and their eco-friendly nature. Millets, in their various forms, hold the promise of fortifying food security, enhancing nutrition, and contributing to sustainability amid the global challenges we face. India’s Millets initiative is set to raise awareness about this remarkable food, laying the foundation for millets to emerge as a popular and healthy dietary option worldwide.

 

-By-Usha Rawat

मोटे अनाजों पर आधारित इन खाद्य पदार्थों का उत्पादन एवं प्रचार हमारी जड़ों की ओर लौटने की दिशा में एक उल्लेखनीय शुरुआत है। मोटे अनाजों पर आधारित व्यंजनों के अपने आकर्षक प्रदर्शन के साथ, वर्ल्ड फूड इंडिया  इन प्राचीन अनाजों के आधुनिक पाक व्यंजनों में शामिल होने की उल्लेखनीय यात्रा का उदाहरण पेश करता है। ज्योंही हम इन पौष्टिक एवं पर्यावरण के अनुकूल खान-पान से संबंधी खजानों का आनंद लेते हैं, हम बेहतर कल्याण, स्थिरता और भारत की समृद्ध पाक विरासत की सराहना करने की दिशा में अग्रसर हो जाते हैं।

मोटे अनाज (मिलेट्स), जिन्हें श्री अन्न के नाम से भी जाना जाता है, सदियों से भारतीय आहार में गहराई से शामिल महत्वपूर्ण अनाज हैं। ये उल्लेखनीय सुपरफूड न केवल ग्लूटेन-मुक्त होने की खूबी से लैस हैं, बल्कि महत्वपूर्ण पोषक तत्वों से भी भरपूर हैं। विविध पर्यावरणीय परिस्थितियों के प्रति उनकी अनुकूलनशीलता और उनकी पर्यावरण-अनुकूल प्रकृति के लिए इन अनाजों की प्रशंसा की जाती है। अपने विभिन्न रूपों में, ये मोटे अनाज खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने, पोषण को बढ़ाने और हमारे सामने आने वाली विभिन्न वैश्विक चुनौतियों के बीच स्थिरता सुनिश्चित करने में योगदान देते हैं। मोटे अनाजों से जुड़ी भारत की पहल इन उल्लेखनीय खाद्य पदार्थों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए तत्पर है, जो दुनियाभर में इन खाद्य पदार्थों के लिए एक लोकप्रिय और स्वस्थ आहार के विकल्प के रूप में उभरने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

 

यह एक रेखांकित करने योग्य तथ्य है कि भारत के कृषि संबंधी निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। यह हिस्सेदारी 13 प्रतिशत से बढ़कर 23 प्रतिशत हो गई है। इसके परिणास्वरूप प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात में कुल मिलाकर 150 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। उद्घाटन सत्र के दौरान, इस तथ्य को रेखांकित किया गया कि भारत दुनिया में दूध, मसालों और दालों के अग्रणी उत्पादक के रूप में उभरा है। विशेष रूप से, खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में पिछले दो वर्षों के दौरान 7.26 प्रतिशत की एक ठोस प्रगति दर्ज की गई है। प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के निर्यात में आया बदलाव भी उतना ही उल्लेखनीय है। अब कृषि संबंधी निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 25.63 प्रतिशत है, जोकि 2013-14 में दर्ज की 13.7 प्रतिशत की हिस्सेदारी से काफी अधिक है। इसके अलावा, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का सकल मूल्यवर्धन 2014-15 में 1.34 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 2021-22 में 2.08 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

वर्ष 2023 को आधिकारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय पोषक अनाज (श्री अन्न) वर्ष के रूप में नामित किया गया था , जोकि इस प्रामाणिक एवं पौष्टिक भारतीय सुपरफूड को अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था । वर्ल्ड फूड इंडिया मोटे अनाजों की बहुमुखी खूबियों को प्रदर्शित करने के एक मंच के रूप में कार्य करता है और इसमें इन अनाजों को शामिल करके तैयार किए जाने वाले विभिन्न व्यंजनों, स्नैक्स और डेजर्ट सहित पाककला की एक विस्तृत श्रृंखला पेश की जाती है। मोटे अनाजों पर आधारित खाद्य पदार्थों का एक अनुकरणीय प्रदर्शन आयुष मंत्रालय द्वारा आयोजित फूड स्ट्रीट में किया गया है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरोपैथी की डॉ. रुतिका ने रागीलड्डू, हलीम नाचोस और रागी पॉप्स जैसे व्यंजन प्रस्तुत किए हैं, जो विटामिन ई, लेसिथिन, मेथियोनीन, मैग्नीशियम और आयरन जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर हैं जो हमारे समग्र स्वास्थ्य में योगदान करते हैं। हिंदुस्तान लेवल यूनाइटेड ने श्री अन्न के विभिन्न किस्मों से सजी ‘मिलेट इंडिया प्लैटर’ नाम की एक सुरुचिपूर्ण बड़ी थाली  भी पेश की है। इस अनूठी थाली में ज्वारचाट, मिलेट थालीपीठ, मिलेट मेथीथेपला और मिलेट बनारसी पान जैसे स्वादिष्ट व्यंजन शामिल हैं, जो इन अनाजों की विविध पाक संबंधी क्षमता को प्रदर्शित करते हैं।

 

वर्ल्ड फूड इंडिया में स्वास्थ्य और स्वाद का संगम

भारत खान-पान की एक बेहद समृद्ध संस्कृति से लैस है, जिसमें खाने की प्रक्रिया एक समग्र अनुभव होता है और इसमें शारीरिक एवं भावनात्मक आयामों का समावेश होता है। पुरानी यादें अक्सर एक परिचित स्वाद के साथ ताजा हो आती हैं, जो व्यक्ति को उसकी संजोयी हुई स्मृतियों से जोड़ती हैं। हालांकि जैसे-जैसे सचेत आहार विकल्पों के बारे में जागरूकता बढ़ती है, लोगों में पश्चिमी खाद्य पदार्थों की ओर रुझान बढ़ने लगता है। वर्ल्ड फूड इंडिया की पहल पारंपरिक, प्रामाणिक एवं स्वास्थ्यप्रद भारतीय व्यंजनों की एक विविध श्रृंखला पेश करके इस धारणा को दूर करने का प्रयास करती है, जो दुनिया भर में भोजन के विकल्पों के मामले में बड़ा प्रभाव छोड़ सकती है। कोई भी व्यक्ति अपने स्वास्थ्य से समझौता किए बिना प्रामाणिक और पारंपरिक भारतीय व्यंजनों से जुड़ सकता है।

 

वर्ल्ड फूड इंडिया में, कई पारंपरिक एवं पौष्टिक खाद्य पदार्थों को प्रदर्शित किया गया है, जो स्वास्थ्य के अनुकूल और स्वादिष्ट व्यंजनों के बीच की खाई को पाटते हैं। उदाहरण के लिए, बसवंत गार्डन ने पौष्टिक नाश्ते के विकल्प के रूप में जैविक शहद एवं किशमिश को पेश किया है। महिला की अगुवाई वाली कारी-कारी नाम की एक भारतीय कंपनी ने बिना-तले हुए चावल के कुरकुरे बनाने के लिए करी पत्ते और उड़द दाल जैसी सदियों पुरानी भारतीय सामग्री का उपयोग किया, जोकि स्नैक्स का एक पौष्टिक विकल्प है। आंध्र प्रदेश की फिकाना नाम की कंपनी ने घी में मिलावट के खिलाफ लड़ाई लड़ी और एक अनूठी मिठाई तैयार करने के लिए शुद्ध घी एवं अन्य सामग्रियों का उपयोग किया। एक अन्य भारतीय उद्यम साशिमी फूड्स ने एक संतुलित आहार के लिए प्रोटीन युक्त भारतीय समुद्री भोजन को शामिल किया जो आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर है। इसके अतिरिक्त, सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन यूनानी मेडिसिन ने पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का उत्पादन करने हेतु इलाजबिलगीज़ा (डाइटोथेरेपी) के उपयोग का प्रदर्शन किया। डायटोथेरेपी प्रतिरक्षा को बढ़ाने एवं बीमारियों से दूर रखने वाले आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर आहार प्रदान करके भोजन और दवा के बीच समन्वय स्थापित करने पर जोर देती है।

संक्षेप में, वर्ल्ड फूड इंडिया भारतीय व्यंजनों के क्षेत्र में स्वास्थ्य और स्वाद के अंतर्संबंधों को रेखांकित करते हुए, इन विस्मृत पाक खजानों का उत्सव मनाता है और उन्हें फिर से हमारे सामने पेश करता है।

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