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भारतीय नौसेना ने गोवा मुक्ति संग्राम की डायमंड जुबली मनाई

नयी दिल्ली, 15  (उ हि ) । गोवा नौसेना क्षेत्र ने गोवा मुक्ति की डायमंड जुबली मनाने के लिए  दाबोलिम के राज हंस सभागार में एक सेमिनार का आयोजन किया। इस सेमिनार में सेना के साथ-साथ शिक्षा जगत के प्रख्यात वक्ताओं और वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

गोवा मुक्ति संग्राम, गोवा मुक्ति आन्दोलन या गोवा मुक्ति संघर्ष सन् 1961 में भारतीय सशस्त्र सेना द्वारा किया गया एक अभियान (ऑपरेशन) था जिसके परिणाम स्वरूप गोवा को पुर्तगाल के आधिपत्य से मुक्त कराकर भारत में मिला लिया गया। इसमें वायुसेनाजलसेना एवं थलसेना – तीनों ने भाग लिया। यह संघर्ष 36 घण्टे से अधिक समय तक चला। इसको “आपरेशन विजय” का कूटनाम दिया गया था।

गोवा के राज्यपाल श्री पीएस श्रीधरन पिल्लई इस सेमिनार में मुख्य अतिथि थे। उन्होंने उद्घाटन सत्र में मुख्य भाषण दिया। गोवा क्षेत्र के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग रियर एडमिरल फिलिपोज जी पिनुमूटिल ने स्वागत भाषण दिया, जिसके बाद आगे का आयोजन शुरू हुआ।

राज्यपाल श्री पीएस श्रीधरन पिल्लई ने मुख्य भाषण देते हुए गोवा की मुक्ति के इतिहास की गहराई में लोगों को ले जाने की नौसेना की इस पहल की सराहना की और बताया कि इस तरह के विचार-विमर्श की आवश्यकता है ताकि जनता, विशेष रूप से युवाओं में राष्ट्र निर्माण के लिए सशस्त्र बलों सहित पिछली पीढ़ियों के बलिदानों के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके।

सेमिनार को संबोधित करते हुए फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, पश्चिमी नौसेना कमान वाइस एडमिरल एबी सिंह ने बताया कि इस क्षेत्र में गोवा और भारतीय नौसेना का विकास एक-दूसरे का पर्यायवाची रहा है। उन्होंने बताया कि भारतीय नौसेना के पहले विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत के नौसेना में शामिल होने के साथ-साथ गोवा की मुक्ति हुई थी। इसी दौरान दाबोलिम हवाई क्षेत्र को पूर्ण विकसित हवाई स्टेशन के रूप में विकसित किया गया।

पहले सत्र में रियर एडमिरल एसवाई श्रीखंडे (सेवानिवृत्त) ने गोवा की मुक्ति में समुद्री शक्ति का व्यापक विश्लेषण किया। इसके बाद 2 सिग्नल ट्रेनिंग सेंटर, गोवा के ब्रिगेडियर ए एस साहनी और कर्नल मानवेंद्र नागाइच ने गोवा की मुक्ति में भारतीय सेना की भूमिका के बारे में बताया।

दूसरे सत्र में गोवा विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीमा एस रिसबड ने “गोवा की स्वतंत्रता के लिए संघर्ष: आज़ाद गोमांतक दल और गनपाउडर प्रतिरोध” के साथ अपनी प्रस्तुति पेश की और फिर इसके बाद प्रस्तुतियों का एक दिलचस्प सिलसिला चल पड़ा। कमोडोर जॉनसन ओडक्कल (सेवानिवृत्त) ने भू-राजनीतिक संदर्भ और गोवा मुक्ति के राष्ट्रीय मंथन पर बात की, जिससे मालाबार कनेक्शन सामने आया। सेमिनार का समापन गोवा विश्वविद्यालय में इतिहास के एसोसिएट प्रोफेसर पराग डी पारोबो द्वारा प्रस्तुत औपनिवेशिक काल के बाद के गोवा और बदलाव की इसकी राजनीतिक अर्थव्यवस्था के एक अवलोकन के साथ हुआ।

दोनों सत्रों में प्रस्तुत पत्रों में गोवा के इतिहास, मुक्ति और विकास पर चर्चा की गई। सभी चर्चाओं का संचालन मैरीटाइम वारफेयर सेंटर, मुंबई के निदेशक कमोडोर श्रीकांत केसनूर ने किया।इस अवसर पर राज्यपाल श्री पीएस श्रीधरन पिल्लई ने गोवा मुक्ति प्रयास के दिग्गजों को भी सम्मानित किया।

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