भूमि बन्दोबस्त के नाम पर ये कैसा गड़बड़झाला ?
—प्रभुपाल रावत की रिपोर्ट ––
देहरादून के तहसील सदर के अन्तर्गत कुछेक ऐसे मौजा व क्षेत्र हैं,जहाँ लगभग दस- पन्द्रह साल पहले भूमि बन्दोबस्त हुआ था।उसके बाद भू स्वामियों के खाता खतौनी व खसरा नम्बर वास्तविक व धरातलीय खसरा नम्बरों से अलग हो गये थे।तब से भूमि विक्रय वास्तविक खसरा नम्बर पर न होकर दूसरे खसरा नम्बर की हो रही है। कहने का तात्पर्य ये है कि यदि भूमि खसरा नम्बर 1524 बेची जा रही है तो उसे खसरा नम्बर 1520 दिया गया है।इसी प्रकार मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण भी भवनों के मानचित्र स्वीकृत कर रहा है।
यदि भवन का मानचित्र वास्तविक व धरातलीय खसरा नम्बर का कराना है तो वह भी इसी प्रकार दूसरे खसरा नम्बर का स्वीकृत हो रहा है।लोग जानते हुए भी मौन व अज्ञान बने हुए हैं।इसका मुख्य कारण भूमि बन्दोबस्त के दौरान खसरा नम्बरों का गलत होना पाया है।जमीन किसी और की बेची जा रही है।ऐसा नहीं है कि तहसील व एम डी डी ए को पता न हो,उन्हें पता है।लेकिन शासन प्रशासन के आगे नतमस्तक हैं,और कार्रवाई कोई करना भी नहीं चाहता,और न करने वाले करेगें।बहुत बड़ा घालमेल है।जैसा चल रहा है,चलने दो की फार्मूले पर चल रहे हैं।