कास्तकारों के नाक में दम कर दिया बंदरों और लंगूरों ने
-गौचर से दिगपाल गुसाईं –
सरकार भले ही कास्तकारों के हितैषी होने का दावा करती हो लेकिन हकीकत यह है इन दिनों बंदरों, लंगूरों ने कास्तकारों की बरसाती फसलों को भारी नुक़सान पहुंचाना शुरू कर दिया है।सब जानते हुए शासन प्रशासन क्यों मौन साधे हुए है यह बात किसी के समझ में नहीं आ रही है।
जनपद चमोली का पालिका क्षेत्र बंदरों व लंगूरों के लिए लंबे समय से ऐशगाह बना हुआ है। दरअसल गौचर पालिका क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। यही नहीं पालिका के कूड़ेदानों से भी बंदरो को भरपेट भोजन मिल जाता है। लंगूर अमूमन बांज के जंगलों में यानी ढंडे इलाकों में निवास करते हैं। लेकिन लंबे समय से बंदरों के साथ ही लंगूरों ने कास्तकारों के नाक में दम करके रखा हुआ है।
सरकार द्वारा पहले उद्यान व कृषि विभाग के माध्यम से सब्जियों के अलावा अन्य बरसती फसलों के बीज उपलब्ध कराए जाते थे लेकिन इस बार बीज उपलब्ध भी नहीं कराए गए हैं। बाजारों में सब्जी के दाम आसमान छू रहे हैं। कास्तकार ने किसी तरह बाजारों से महंगे सब्जियों के बीज खरीदकर मंहगाई से निबटने से निबटने के प्रयास में जुटे हुए थे। लेकिन उत्पाती बंदरों व लंगूरों ने फल लगने से पहले ही सब्जियों के वेलों व पौधों को तहस नहस कर कास्तकारों को भारी नुक़सान पहुंचा दिया दिया है।
व्यापार संघ अध्यक्ष राकेश लिंगवाल का कहना है पालिका क्षेत्र में लंबे समय से कास्तकार ही नहीं बल्कि व्यापारी वर्ग भी उत्पाती बंदरों व लंगूरों से खासा परेशान है। उनका कहना था कि सरकार बंदरों व लंगूरों से क्षेत्र की जनता को निजात दिला दे तो काफी हद तक मंहगाई से निजात मिलने के साथ ही कास्तकारों की आजीविका भी मजबूत हो सकती है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि समय रहते शासन प्रशासन ने लंगूरों व बंदरों से निजात नहीं दिलाई तो आंदोलन किया जाएगा।