विभिन्न शाखाओं के वैज्ञानिकों ने भू धंसाव और जलवायु परिवर्तन आदि बहुदेश्यीय पहलुओं पर गढ़वाल हिमालय में शुरु किया अध्ययन
-रिपोर्ट हरेंद्र बिष्ट–
थराली, 11 अगस्त । मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंस के तत्वाधान मे विज्ञान की अलग- अलग शाखाओं के वैज्ञानिक, शोध विशेषज्ञ के द्वारा थराली विकासखंड के प्राणमती बेसिन मे विभिन्न विषयो पर शोध कार्य किया जा रहा हैं। जिसके आने वाले समय में दूरगामी परिणाम आने के आसार बढ़ गए हैं।
प्राणमती बेसिन के द्वारा हिमालयन क्रिटिकल जोन ऑब्जेर्वेटिव पर रिसर्च कर मृदा आपदा ,भू धसाव ,जैव विविधता ,बारिश के चक्र में हो रहे परिवर्तन और इस क्षेत्र के गाडगदेरो एवं नदियों के जल स्तर के बढ़ने ,घटने एवं इसके डिस्चार्ज पर गहन सर्वेक्षण किया जा रहा हैं।
थराली मे आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में उक्त प्राणमती बेसिन प्रोजेक्ट के मुख्य कोडिनेट एवं दिल्ली यूनिवर्सिटी मे जियोलॉजी के प्रो विमल सिंह, कॉलेज ऑफ फारेस्ट्री के वैज्ञानिक डॉआयुष जोशी,दिल्ली यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक डॉ अरकाप्रभा सरकार ने बताया कि पूरे देश में 12 क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन, बारिश, जैवविविधता, पर्यावरण सहित अन्य विषयों पर व्यापक रूप से सर्वेक्षण किया जा रहा हैं। ताकि प्राकृतिक आपदाओं, जैवविविधता, पर्यावरण संरक्षण की सही जानकारी दी जा सकें इसी के तहत 2021 से उत्तराखंड में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से थराली के प्राणमती बेसिन पर कार्य किया जा रहा हैं। इसके तहत यहां पर मृदा परीक्षण,जल परीक्षण, जैवविविधता परीक्षा किया जा रहा हैं। क्षेत्र के रतगाँव एवं डूंग्री गांव की भूमि का विशेष प्रशिक्षण किया जा रहा हैं कि यहां की भूमि कितनी मजबूत हैं।
इसके अलावा प्राणमती बेसिन की नदी एवं गधेरों मे जीवो के डीएनए सैम्पल कलेक्क्ट किये जा रहें ताकि मालूम चल सके कि यहां नदियों के साथ ही आस पास के क्षेत्रों में किस तरह के जीव-जंतु विचरण कर रहे हैं। इसके अलावा अध्ययन किया जा रहा हैं कि हिमालयी गलेशियरों पर ब्लैक कार्बन का कितना प्रभाव पड़ रहा हैं। क्यूंकि प्राणमती बेसिन के पास ही हिमखंड मौजूद हैं। टीम ने बताया कि पूरे अध्ययन के बाद इस क्षेत्र में किस तरह के कार्य किए जा सकते हैं निष्कर्ष निकाला जाएगा एवं उसी के अनुरूप योजनाएं संचालित हो पाएगी। इसके साथ ही प्राकृतिक आपदाओं की सही एवं सटीक जानकारी लोगों को दी जा सकेगी। इन के लिए पूरे क्षेत्र में आधुनिक यंत्रों की स्थापना कर जांचें की जा रही हैं।ताकि सटिग जानकारी इकट्ठी की जा सकें। टीम ने बताया कि आने वाले एक दो वर्षों में वे सर्वेक्षणों से प्राप्त निष्कर्षों को सरकार एवं आम जानता के संमुख रख देंगे।