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अभी हजारों साल और जियेगी नीली आंखों जैसी नैनीताल झील

The Naini Lake is 1,433 m (1,567 yd) long and 463 m (506 yd) wide and is approximately two miles in circumference. The population in the hill station spread over 11.73 sq km, has swelled from 7,589 in 1881 to 41,377, according to the 2011 census. Add to this the floating population of 10,000 to 15,000 tourists and a substantial number of lawyers who reach here every day to attend hearings in the high court. The number of buildings in Nainital, most of them on slopes, has increased from 520 in 1901-02 to over 7,000 at present, including over 150 hotels and resorts.

-जयसिंह रावत
वियों की कल्पनाओं की किसी सौन्दर्य साम्राज्ञी की खूबसूरत आखों की जैसी नैनीताल झील प्रदूषण के कारण नीली से पीली तो जरूर हो रही है, मगर तमाम खतरों के बावजूद यह अगले दो हजार सालों से भी अधिक समय तक जीवित रह कर दुनियांभर के सैलानियों लुभाने वाली है। जल वैज्ञानिकों ने इसकी अल्पायु के पूर्वानुमानों को खारिज कर दिया है।

नैनीताल झील की खोज 1839 में चीनी व्यापार से जुड़े एक अंग्रेज व्यापारी श्री पी. बैरन ने की थी। नैनी झील तीन पर्वत चोटियों से घिरी हुई है – उत्तर-पश्चिम में नैनी पीक; दक्षिण-पश्चिम में टिफ़िन टॉप; उत्तर में बर्फ से ढकी चोटियाँ। झील 1,433 मीटर (1,567 गज) लंबी और 463 मीटर (506 गज) चौड़ी है, और इसकी परिधि लगभग दो मील है।

राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रूड़की तथा भाभा परमाणु अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा उत्तराखण्ड के कुमायूं की नैनीताल सतताल, भीमताल और नौकुचिया ताल के अलावा जम्मू कश्मीर की डल झील और मनसार तथा मध्य प्रदेश की भोपालऔर सागर झीलों की उम्र के बारे में किये गये ताजा अध्ययन में नैनीतालझील की उम्र लगभग 2200 साल पाई गयी है। जबकि पूर्व के एक अन्य अध्ययन में नैनीताल के चारों और हो रहे भूस्खलनों तथा भूक्षरण से गाद भरने की गति बढ़ जाने से इसकी अल्पायु की भविष्यवाणी की गयी थी। नैनी झील की यह उम्र भी उपयोगिता के आधार पर तय की गयी है अन्यथा इसमें थोड़ा बहुत गहराई तो इससे भी आगे तक चलने का अनुमान है।

डा0 भीष्म कुमार के नेतृत्व में देश के इन दो प्रतीष्ठित संस्थानों के वैज्ञानिक आर.एम.पी. नच्चिप्पन, एस.पी.राय, श्रवण कुमार और एस.वी.नवादा के ताजा अध्ययन में नैनीताल झील में बढ़ते प्रदूषण पर तो चिन्ता अवश्य ही व्यक्त की गयी है, मगर इस झील के जल्दी मर जाने की भविष्यवाणी को यह कह कर खारिज कर दिया कि वह अधूरी जानकारी और अपर्याप्त वैज्ञानिक विधि पर आधारित थी। इन जल विज्ञानियों ने नैनी झील के जियोक्रोनोलाजिकल अध्ययन के लिये पिछले 46 सालों के गाद(सिल्टेशन) भराव के आंकड़ों और रेडियो आइसोटोप 210 पीबी और 137 सीएस डेटिंग टैक्नीक का इस्तेमाल किया है।

इन जल विज्ञानियों ने अपने अध्ययन में नैनीझील में गाद भरने की तेज गति का उल्लेख करते हुये कहा है कि सन् 1871में इसकी औसत गहराई 29 मीटर मापी गयी थी जोकि 2007 में मात्र 13 मीटर ही रह गयी। लेकिन इस का मतलब यह नहीं कि किसी अतीव सुन्दरी की नीली आखों जैसी कुदरत की यह खूबसूरत देन इतनी जल्दी मर जायेगी। इस अध्ययन में वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा इंगित इस झील के पानी की खराब गुणवत्ता का भी हवाला दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि झील के चारों ओर आबादी का भारी दबाव बढ़ने और पर्यटकों की भारी भीड़ के कारण इसका पानी बहुत प्रदूषित हो चुका है। सीवर लाइन और नगरपालिका तथा घरों की गन्दगी सीधे झील में जाने से इसमें जीवाणुओं ( कोलिफार्म) की तादात काफी बढ़ गयी है। जिससे झील में बायलाजिकल आक्सीजन डिमाण्ड 10 सालों में 20 गुना बढ़ गयी है। इसके साथ ही झील के पानी में गन्दगी वाले जीवाणु कोलीफार्म की मात्रा भी अत्यधिक बढ़ती जा रही है। इस अध्ययन में कहा गया है कि 1980 के बाद नैनीताल में आबादी बढ़ने से अत्यधिक निर्माण कार्य और अव्यवस्थित विकास के कारण इस झील का पारितंत्र गड़गड़ा गया है।

इस अध्ययन में नैनी झील के विभिन्न हिस्सों में गाद जमाव की दर 0.5 से.मी. प्रतिवर्ष से लेकर 1.35 से.मी. प्रति वर्ष तकरिकार्ड की गयीहै।किनारे पर जहां यह दर सर्वाधिक 1.35 से.मी पाई गयी तो बीच गहराई में यह 0.60 और 0.07 से.मी. प्रति वर्ष पाई गयी।निकटवर्ती भीमताल झील में गाद जमाव की दर 0.3 से लेकर 1050 से.मी. प्रति वर्ष पाई गयी।जबकि नौकुचियाताल में यह दर 0.95 और 0.04 से.मी. प्रतिवर्ष पाई गयी। अध्ययन के अनुसार मध्य प्रदेश की भोपाल झील में सागर झील से अधिक गाद जमाव की दर पाई गयी।

सैलानियों की चहेती नैनीताल झील एक ताजे पानी का प्रकृतिक जलाशय है, जो कि टैक्टोनिक मूल की मानी जाती है।इस चन्द्राकार नीली झील की निकासी दक्षिणी किनारे से है जबकि इसके पानी का मुख्य श्रोत बलिया नाला है। इसके अलावा झील में 26 अन्य नाले आते हैं जिनमें से 3 सदा बहार है। इन नालों से भी झील में भारी गन्दगीऔर गादआती है।झील के जल सम्भरण क्षेत्र में लगभग 2500 मि.मी. सालाना औसत वर्षा होती है।

आंकड़े बताते हैं कि नैनी झील किस तनाव का सामना कर रही है। 11.73 वर्ग किलोमीटर में फैले इस हिल स्टेशन की जनसंख्या 2011 की जनगणना के अनुसार, 1881 में 7,589 से बढ़कर 41,377 हो गई है। इसमें 10,000 से 15,000 पर्यटकों की अस्थायी आबादी और बड़ी संख्या में वकील भी शामिल हैं जो उच्च न्यायालय में सुनवाई में भाग लेने के लिए हर दिन यहां पहुंचते हैं। नैनीताल में इमारतों की संख्या, जिनमें से अधिकांश ढलान पर हैं, 1901-02 में 520 से बढ़कर वर्तमान में 7,000 से अधिक हो गई है, जिसमें 150 से अधिक होटल और रिसॉर्ट शामिल हैं।

राज्य आपद प्रबन्ध केन्द्र के निदेशक डा0 पियूष रौतेला के अनुसार यद्यपि नैनीताल भूकम्पीय जोखिम के हिसाब से जोन 4 में आता है।अग्रेजों द्वारा बसाई गई सरोवर नगरी नैनीताल पर एक बार पहले भी 1880 में आपदा का कहर बरस चुका है। उस समय आये भूस्खलन में 151 लोग मारे गये थे जिनमें अधिकांश यूरोपियन थे।उसकेबादअंग्रेज नैनताल को बचाने के लिये एक के बाद एक कमेटियां बनाते रहे और उसी का नतीजा है कि वहां फिर वैसा भूस्खलन नहीं हुआ मगर आजादी के बाद निरन्तर नालों पर हो रहे अतिक्रमण के बाद एक बार फिर स्थिति वैसी ही होती जा रही है।

–जयसिंहरावत–

9412324999, 7453021668

 

 

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