पर्यावरण

मैन्युअल मैला ढोने वालों की पुनर्वास स्व- रोजगार योजना योजना भी हुयी नमस्ते, अब मशीनों से गन्दगी साफ करने पर जोर

नयी दिल्ली, 21 दिसंबर  ।यंत्रीकृत स्वच्छता इकोसिस्‍टम के लिये राष्ट्रीय कार्रवाई (नमस्ते) योजना के तहत सीवर/सेप्टिक टेंक कर्मियों (एसएसडब्ल्यू) की प्रोफाइलिंग/पहचान का काम शुरू हो गया है। एसएसडब्ल्यू की प्रोफाइलिंग/पहचान के तहत कर्मियों को अन्य के साथ-साथ एबी-पीएमजेएवाई के तहत स्वास्थ्य बीमा, एसएसडब्ल्यू तथा उनके परिवार को प्रशिक्षण और पीपीई किट जैसे लाभ उपलब्ध कराये जाते हैं।

यह जानकारी सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री श्री रामदास अठावले ने बुधवार को राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।उन्होंने सदन को सूचित किया कि 2007 से लागू की जा रही एसआरएमएस की योजना का नामकरण “मैनुअल स्कैवेंजर्स के पुनर्वास के लिए स्व-रोजगार योजना” (एसआरएमएस) के पुराने नाम से बदलकर “मैकेनाइज्ड सेनिटेशन इकोसिस्टम के लिए राष्ट्रीय कार्रवाई” (नमस्ते) कर दिया गया है। नमस्ते योजना को अगले तीन वर्षों के दौरान यानी 2025-26 तक देश के सभी 4800+ शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) में 349.70 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ लागू किया जाना है।

यंत्रीकृत स्वच्छता इकोसिस्‍टम के लिये राष्ट्रीय कार्रवाई (नमस्ते) योजना के तहत एक प्रमुख रणनीति के तौर पर वांछित परिणाम हासिल करने के लिये एनएसकेएफडीसी, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) सहित सभी प्रमुख हितधारकों के बीच उनकी मजबूती और विशिष्ट भूमिका का लाभ उठाने के लिये मजबूत तालमेल स्थापित किया जाता है।

इससे पहले की योजना ‘‘मैन्युअल मैला ढोने वालों की पुनर्वास स्व- रोजगार योजना (एसआरएमएस)’’ को नमस्ते योजना में समायोजित कर लिया गया, जो कि 2023-24 से लागू है, इसलिये नमस्ते योजना के लिये उपलब्ध वित्तीय आवंटन एसआरएमएस के तहत आने वाली गतिविधियों जैसे कि पूंजीगत सब्सिडी, प्रशिक्षण देना, खतरनाक ढंग से सीवर और सेप्टिक टेंक सफाई आदि मुद्दों पर कार्यशाला का आयोजन जैसी गतिविधियों के लिये उपलब्ध है।

01 अक्टूबर 2021 से शुरू स्वच्छ भारत मिशन- शहरी (एसबीएम-यू) 2.0 के तहत कर्मियों के सीवर/सेप्टिक टैंक में खतरनाक प्रवेश को समाप्त करने और एक लाख से कम आबादी वाले शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) में अपशिष्ट जल प्रबंधन (यूडब्ल्यूएम) के लिये हाथ से मैला उठाने का टिकाऊ उन्मूलन जैसे उद्देश्यों के साथ एक नया कंपोनेंट दूषित जल प्रबंधन शामिल किया गया है। यूडब्ल्यूएम कंपोनेंट के तहत सभी राज्य सरकारों/केन्द्र शासित प्रदेश प्रशासनों को निम्नलिखित गतिविधियों के लिये केन्द्रीय वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जाती हैः-

(1) दूषित जल उपचार के लिये सीवेज उपचार संयंत्रों (एसटीपी)/एसटीपी-सह-मल कीचड़ उपचार संयंत्रों (एफएसटीपी) की स्थापना।

(2) एसटीपी तक पंपिंग स्टेशनों और पंपिंग मेन/ग्रेविटी मेन सहित अवरोधन और विपथन (आई एण्ड डी) ढांचा तैयार करना।

(3) सेप्टिक टेंकों से मल कीचड़ निकालने के लिये पर्याप्त संख्या में उपकरणों की खरीद करना।

(4) एसटीपी और संबंधित उपकरणों के परिचालन के दौरान दक्षता मानदंडों की वास्तविक समय में निगरानी के लिये आईटी सक्षम डिजिटल उपकरणों की उपलब्घता।

एसबीएम-यू 2.0 के तहत राज्यों को यूडब्ल्यूएम कंपोनेंट में 15,883.58 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं जिसमें से अब तक 1,664.93 करोड़ रुपये जारी किये जा चुके हैं।

इसके साथ ही एनएसकेएफडीसी कई तरह की ऋण और गैर-ऋण आधारित योजनाओं का क्रियान्वयन कर रहा है। एनएसकेएफडीसी सफाई कर्मचारियों, मैला उठाने वालों और उनके आश्रितों को सफाई से संबंधित गतिविधियों और भारत अथवा विदेश में शिक्षा सहित किसी भी वहनीय आय सृजन योजना के लिये वित्तीय सहायता उपलब्ध कराता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!