नंदा अष्टमी एवं दसवीं का मेला विधिवत रूप से संपन्न
–उत्तराखंड हिमालय ब्यूरो –
जोशीमठ, 8 सितम्बर। सीमांत जोशीमठ ब्लॉक की उर्गम घाटी में 10 दिनों से चल रहा नंदा अष्टमी एवं दसवीं का मेला विधिवत रूप से संपन्न हो गया ।
लोक मान्यता है कि पैन खंडा निवासी नंदा देवी, स्वनुल देवी को कैलाश से बुलाकर अपने गांव में लाते हैं रिंगाल की कण्डी छतोली को लेकर के हिमालय कैलाश की ओर जाते हैं। वहां से भगवती को बुलाकर गांव लाते हैं । ग्रामीण अपनीश्रद्धा के अनुसार भोग नैवेद्य अर्पित करते हैं और अपनी मनोकामना की मन्नत मांगते हैं । इस अयोजन में लोग नंगे पैर अपने गांव से उच्च हिमालय क्षेत्र में जाते हैं। वहां पर पूजा अर्चना कर ब्रह्म कमल लेकर गांव आते हैं।
मान्यता है कि जब पार्वती अर्थात नंदा कैलाश से अपने मायके आती है उस समय उसके पास कैलाश से लाने के लिए कोई ऐसी चीज नहीं रहती वह ब्रह्म कमल को शिव का प्रतीक मानकर अपने मायके ले आती है जिसे लोग प्रसाद स्वरूप ब्रह्म कमल की पूजा करते हैं। ब्रह्म कमल जब गांव लाया जाता है उस दिन यहां त्यौहार मनाया जाता है और कंडी छतोली की पूजा की जाती है। नंदा लोक जागरूकता गायन किया जाता है।
वहीं विश्व प्रसिद्ध राज जात मार्ग पर वेदनी कुंड के पास लोक जात संपन्न की जाती है। उसके बाद डोली अपने अपने गांव को वापस चली जाती है। वही पंच केदार के कल्पेश्वर फ्यूंलानारायण क्षेत्र में हरकी गांव में भव्य दो दिवसीय मेले का आयोजन होता है जिसमें जागरण के माध्यम से भगवती नंदा को दाणी कोटा से मंदिर में बुलाते हैं और यहां चार पहर की पूजा अर्चना के साथ साथ परंपरागत लोग जागर का गायन किया जाता है ।
दूसरे दिन दशमी तिथि को भव्य रुप से भगवती को भंडारा दिया जाता है और लोग जागर के माध्यम से कैलास के लिए विदाई दी जाती है। इस परंपरागत मेले में झुमेलै चाचडी का गायन किया जाता है। दूर-दूर से लोग इस मेले में शामिल होने आते हैं।