लोक वाहिनी का विचार ; राष्ट्रीय ध्वज किसी प्रचार का मोहताज नहीं, वह पहले ही लोगों के दिलों में है
–उत्तराखंड हिमालय ब्यूरो–
अल्मोड़ा 13 अगस्त। उत्तराखण्ड लोक वाहिनी (अलावा) ने देश में आजादी के 75 वर्ष पर आजादी के अमृत उत्सव पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह कार्यक्रम एक जनअभियान बने , इसका वाहिनी स्वागत करती है , इस अवसर का उपयोग देश में जनचेतना फैलाने मे होना चाहिये।
उ लो वा के वरिष्ट नेता एड जगत रौतेला ने कहा कि जहां तक घर – घर झंडा अभियान है , यह राजनैतिक अभियान की तरह नही होना चाहिये , झंण्डे के अपने राष्ट्रीय नियम् है । तीन दिन फहराने के बाद राष्ट्रीय झण्डा राजनैतिक दलों के झण्ड़ों की तरह यदि यहां – वहां बिखरा हुवा मिलता है तो ध्वज का अपमान होगा ।
उन्होंने कहा कि जैसे सरकार नियमों से चलती है वैसे ही राष्ट्रीय ध्वज का संवैधानिक महत्व है , स्कूल कालेजों के नियम है । वैसे ही राष्ट्रध्वज के भी नियम है । यदि राष्ट्रीय ध्वज पूर्व की भांति सूत से निर्मित ही वितरित होता तो इसका लाभ देश के करोड़ो बुनकरों कों मिल सकता था, ध्वज हमेशा ऊंचे स्थान मे फहराया जाना चाहिये ।
वाहनी ने कहा है कि पिछले पिचहत्तर सालों से देश के लोग राष्ट्रीय ध्वज से परिचित है । राष्ट्रीय ध्वज किसी परिचय या प्रचार का मोहताज नही है। एक ही ध्वज के नीचे करोड़ो लोग इक्ठ्ठा हो सकते है । दिहाड़ी मजदूर, झुग्गी झोपड़ियो में रहने वाले लोग यदि खरीद कर तिरंगा ना लगा पाये तो उन्हें देश विरोधी नही कहा जा सकता। आजादी के इन पिचहत्तर सालों मे देश में क्या परिवर्नन हुए इस पर भी मंन्थन होना चाहिये ।
वाहिनी ने कहा है कि उत्तराखण्ड़ के लोग राष्ट्र की मुख्य धारा से जुड़े हैं। उनका राष्ट्रध्वज के साथ हमेशा आदर रहा है । किन्तु सरकार व प्रशासन को यह ध्यान देना चाहिये कि उपयोग के बाद यह सार्वजनिक स्थानों मे गिरे पड़े हालातों मे ना रहे. बैठक में वाहिनी के महासचिव पूरन चंद्र तिवारी,रेवती बिष्ट, जंग बहादुर थापा, बिशन दत्त जोशी, अजयमित्र सिंह बिष्ट ,दयाकृष्ण कांडपाल , कुणाल तिवारी, अजय मेहता आदि उपस्थित रहे।