तीर्थ पुरोहित महासभा ने शंकराचार्य स्वरूपानंद के निधन को सनातन धर्म की अपूरणीय क्षति बताया
देहरादून, 12 सितम्बर ( उहि )। ज्योतिर्मठ बदरीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के निधन पर श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के सदस्य और अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के उपाध्यक्ष श्रीनिवास पोस्ती ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए इसे सनातन धर्म की अपूरणीय क्षति बताया है।
श्री पोस्ती ने कहा कि स्वरूपानंद सरस्वती सनातन धर्म के अग्रदूत थे और अध्यात्म तथा सांस्कृतिक चेतना के लिए सतत प्रयत्नशील रहे। उनका जाना भारतीय सांस्कृतिक चेतना पर गहरा आघात है। इसकी भरपाई कभी भी नहीं हो सकती। याद रहे शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को हिंदुओं का सबसे बड़ा धर्मगुरु माना जाता था।
उन्होंने कहा कि शंकराचार्य लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनका बेंगलुरु में इलाज चल रहा था। हाल ही में वे आश्रम लौटे थे।
श्री पोस्ती के अनुसार बहुत कम लोग जानते हैं कि स्वामी शंकराचार्य आजादी की लड़ाई में जेल भी गए थे। उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए लंबी कानूनी लड़ाई भी लड़ी थी। सनातन धर्म उनके अमूल्य योगदान के लिए हमेशा ऋणी रहेगा। पोस्ती ने कहा कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के कारण ही राम जन्म भूमि के बंद दरवाजे खुले थे और उसके बाद ही आगे का मार्ग प्रशस्त हुआ। उन्होंने कहा कि स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती सदैव करोड़ों लोगों की स्मृति में जीवित रहेंगे। उन्होंने करोड़ों लोगों को भारतीय आध्यात्मिक चेतना की दीक्षा दी। अपनी स्पष्टवादिता के कारण कई बार वे विवादों से भी घिरे किंतु अपनी विचारधारा से उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। वे अपने विश्वास पर हिमालय की तरह आजीवन दृढ़ रहे। श्री पोस्ती ने कहा कि ऐसे धर्मध्वजा वाहक को कोटिश: नमन किए बिना कोई नहीं रह सकता।