ब्लॉग

यौन शौषण पर राजनीति

अजय दीक्षित
केन्द्र सरकार, भाजपा बनाम राहुल गांधी की ऐसी सियासत देशहित में नहीं है । इससे हंगामा, उत्तेजना, अराजकता का माहौल तो बन सकता है, लेकिन देश और उसके नागरिकों को कुछ हासिल नहीं होगा । बलात्कार और यौन शोषण जघन्य अपराध है । यदि उनकी आड़ में भी एक-दूसरे को अपमानित करने की मंशा महसूस हो, तो इन अपराधों के सन्दर्भ में न्याय कब होगा ? राजधानी दिल्ली में ही यौन शोषण के औसतन 40 मामले हररोज सामने आते हैं । खौफनाक और बर्बर मामले भी राजधानी के हिस्से दर्ज होते रहे हैं। न्याय के सवाल पुलिस और अदालत दोनों पर हैं, क्योंकि यौन शोषण, उत्पीडन के अधिकतर मामलों में पुलिस का सक्रिय सरोकार बहुत कम देखा गया है। हमारा फोकस फिलहाल दिल्ली पुलिस पर है, क्योंकि उसी के विशेष आयुक्त, जिला उपायुक्त स्तर के अधिकारी पूरे पुलिस बल के साथ कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के आवास पर गए थे। करीब अढाई घंटे तक पूछताछ की गई।

कांग्रेस नेता न तो आरोपित हैं और न ही उनके खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज है। उनकी भूमिका महज इतनी है कि बीती 30 जनवरी को श्रीनगर में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के समापन पर उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि कुछ महिलाओं ने उनसे मिल कर अपनी पीड़ा, अपने दर्द साझा किए थे कि महिलाओं के साथ बलात्कार किए गए। उनके यौन उत्पीडन किए गए और छेड़छाड़ तो आम बात है। बेशक यह मुद्दा बेहद संवेदनशील है। राहुल गांधी ने यौन शोषण की पीडि़ताओं से पूछा था कि क्या यह पुलिस को बताएं? पीडि़ताओं ने ऐसे मामलों को सार्वजनिक करने से इंकार कर दिया, क्योंकि उनकी परेशानियां बढ़ सकती थीं । संवैधानिक दायित्व कुछ और ही हैं। राहुल गांधी वरिष्ठ लोकसभा सांसद हैं, लिहाजा सीआरपीसी के तहत यह उनका दायित्व था कि बलात्कार सरीखे अपराध के खुलासे पुलिस को करें। हमारे कानून और नैतिकता के मुताबिक, यौन शोषण की पीडि़ता और उसके परिवार की पहचान को गोपनीय रखा जाता है। नाम तक सार्वजनिक नहीं किया जाता।

पीडि़ता का एक प्रतीक- “नाम तय कर लिया जाता है। मीडिया में भी वही नाम छापा जा सकता है। बेशक राहुल गांधी के संबोधन के 45 दिन बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें नोटिस दिया और आनन-फानन में उनके आवास पर भी धमक गई, लेकिन इसी दलील पर यह मुद्दा छोड़ा नहीं जा सकता । दरअसल यहीं से सियासत की शुरुआत होती है । राजस्थान के कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यहां तक बयान दे दिया कि ‘ऊपर’ के आदेश के बिना पुलिस इस तरह आ ही नहीं सकती । कांग्रेस ने इस पुलिसिया कार्रवाई को भी अडानी समूह वाले मुद्दे से जोड़ दिया । कई बार सिर पीटने को मन करने लगता है कि हर सवाल, हर आरोप या हर कार्रवाई का जवाब अडानी कैसे हो सकता है? कांग्रेस प्रवक्ता एकदम प्रलाप की मुद्रा में आ गये कि राहुल गांधी। किसी से डरने वाले नहीं हैं । सावरकर समझा है क्या नाम राहुल गांधी है।” कोई कांग्रेस से पूछे कि महान क्रांतिकारी वीर सावरकर का नाम इस प्रकरण में घसीटने की जरूरत क्या थी?

दरअसल पुलिस अधिकारी जानना चाहते थे कि वे महिलाएं कहां की हैं? कश्मीर की हैं या देश में किन हिस्सों की हैं? क्या उनमें दिल्ली की महिलाएं भी थीं? वे महिलाएं अब कहां हैं? क्या कोई नाबालिग लडकी भी शामिल थी? इस केस की सम्यक जानकारी भी जरूरी है और राहुल गांधी को विस्तृत जवाब देना भी चाहिये ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!