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जनसँख्या विस्फोट -अभिशाप को बरदान में बदलें न कि राजनीती में 

From 1960 to 2023 the population of India increased from 450.55 million to 1.43 billion people. This is a growth of 216.5 percent in 63 years. The highest increase in India was recorded in 1974 with 2.36 percent. The smallest increase in 2023 with 0.61 percent.

जयसिंह रावत

भारत का चीन से सर्वाधिक जनसंख्या का ताज छीनना भले ही कुछ विचारकों के लिये शुभ संकेत हो, मगर कुल मिला कर देखा जाय तो यह खुशी की बात नहीं बल्कि चिन्ता की बात है। क्योंकि भारत को कोई सौगात नहीं बल्कि जनसंख्या का बोझ मिला है जिसे आर्थिक और राजनीतिक दृष्टि से नहीं बल्कि देश की धारक क्षमता और खास कर पृथ्वी की सहन शक्ति की दृष्टि से देखे जाने की जरूरत है। संयुक्त राष्ट्र विश्व जनसंख्या डैशबोर्ड 2023 के अनुसार भारत की जनसंख्या 142.86 करोड़ हो गयी है, जो कि चीन की अनुमानित जनसंख्या 142.57 करोड़ से कुछ अधिक है। यद्यपि दशकीय जनगणना अभी शुरू नहीं हुयी है। भारत में जनसंख्या का यह विस्फोट तब है जबकि देश में प्रति महिला प्रजनन दर कम हो रही है।

अधिक जनसंख्या के लाभ

अमेरिकी अर्थशास्त्री जूलियन सिमौन, स्वीडिश संाख्यकीविद हंस रोसलिंग और डेनिश अर्थशास्त्री ईस्थर बोजेरप जैसे वि़द्वान किसी भी देश की प्रगति के लिये अधिक जनसंख्या को अनुकूल मानते हैं। इस धारणा को लेकर उनके तर्क हैं कि एक बड़ी आबादी किसी देश को वैश्विक मंच पर अधिक राजनीतिक प्रभाव और सौदेबाजी की शक्ति दे सकती है और बड़ी आबादी वाला देश एक आर्थिक महाशक्ति बन सकता है, क्योंकि उसके पास वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और बिक्री के लिए एक बड़ा बाजार होता है। इससे आर्थिक विकास होगा तो रोजगार के अवसर बढेंगे। इन विद्वानों का मत है कि जनसंख्या वृद्धि से उपभोक्ता बाजार बढ़ने के साथ ही श्रम शक्ति भी बढ़ेगी जिससे आर्थिक विकास दर भी बढ़ेगी। यद्यपि माल्थस जैसे अर्थशास्त्री का मानना था कि जनसंख्या विस्फोट का सीधे संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा जिससे गरीबी और अकाल की जैसी स्थिति पैदा हो सकती है। लेकिन बोजेरप का मानना है कि जैसे-जैसे जनसंख्या घनत्व बढ़ता है, किसान अधिक गहन कृषि तकनीकों को अपनाने और पैदावार बढ़ाने के लिए नई तकनीकों को विकसित करने के लिए मजबूर होते हैं। इसी तरह जूलियन सिमौन का तर्क है कि बढ़ती जनसंख्या नवाचार और उद्यमिता के लिए अधिक अवसर पैदा करती है, जिससे उत्पादकता और आर्थिक विकास में वृद्धि होती है। रोसलिंग का तर्क है कि यदि इसके साथ शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आर्थिक विकास में सुधार हो तो बढ़ती जनसंख्या एक सकारात्मक शक्ति हो सकती है। उनका मानना था कि एक बड़ी आबादी अधिक रचनात्मकता और विचारों की विविधता ला सकती है, जिससे अधिक नवाचार और प्रगति हो सकती है। लेकिन अगर बढ़ती जनसँख्या को राजनीतिक लाभ के लिए धर्म से जोड़ोगे तो देश और समाज को इससे नुकसान ही होगा। कुछ लोग बढ़ती आबादी के नाम पर समाज में जहर बोने का काम करते रहते हैं।

प्रधानमंत्री ने भविष्य का संकट बताया जनसंख्या विस्फोट

लेकिन अगर आप धरती की धारक क्षमता के आईने से जनसंख्या वृद्धि को देखें तो यह विस्फोट में निश्चित ही लाभ से अधिक हानियां नजर आती हैं। इसीलिये स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने 15 अगस्त 2019 के लालकिले की प्राचीर से दिये गये भाषण में जनसंख्या बृद्धि को भावी पीढ़ी के लिये एक संकट बताया था। प्रधानमंत्री का कहना था कि ‘‘हमारा देश उस दौर में पहुंचा है जिसमें बहुत-सी बातों से अब हमें अपने आपको छुपाए रखने की जरूरत नहीं है। … वैसा ही एक विषय है जिसको मैं आज लाल किले से स्पष्ट करना चाहता हूं, और वह विषय है, हमारे यहां हो रहा बेतहाशा जनसंख्या विस्फोट। यह जनसंख्या विस्फोट हमारे लिए, हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए अनेक नए संकट पैदा करता है’’। प्रधानमंत्री ने यह चिन्ता तब प्रकट की जब कि देश जनसंख्या बृद्धि के मामले में चीन से पीछे था। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या ऐजेंसी के अनुसार भारत की जनसंख्या 2040 तक 163 करोड़ और 2026 तक 166 करोड़ तक पहुंच सकती है। हालांकि उसके बाद ठहराव के साथ गिरावट के संकेत भी दिये गये है। क्योंकि भारत में प्रति महिला प्रजनन दर घटती जा रही है।

जितनी जनसंख्या उतना बड़ा बोझ

जनसंख्या असन्तुलन या विस्फोट को पृथ्वी पर बोझ माना जा सकता है। क्योंकि यह ग्रह के संसाधनों पर भारी दबाव डालता है जिससे विभिन्न पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक चुनौतियां उत्पन्न होती हैं। जब किसी क्षेत्र या देश की जनसंख्या उसकी वहन क्षमता से अधिक हो जाती है, तो कई समस्याएँ पैदा हो जाती हैं। भारत विश्व का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश बन गया है तो उसके सामने उतनी ही अधिक समस्याएं भी पैदा हो सकती है।

पर्यावरण पर सबसे बुरा असर

अनुभव बताते हैं कि अधिक जनसंख्या जल, भूमि और ऊर्जा जैसे संसाधनों पर दबाव डालती है। भारत में इसके परिणामस्वरूप संसाधनों की कमी हो रही है। विशेषकर अधिक जनसंख्या घनत्व वाले शहरी क्षेत्रों पर असर देखा जा सकता है। इस समस्या ने भारत में पर्यावरणीय गिरावट में योगदान दिया है। अधिक जनसंख्या से वनों की कटाई, प्रदूषण और पर्यावरणीय गिरावट के अन्य रूप हो सकते हैं। ये पारिस्थितिक तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं और जलवायु परिवर्तन में योगदान करते हैं। अधिक जनसंख्या के कारण भारत में तेजी से शहरीकरण हुआ है और शहर तेजी से भीड़भाड़ वाले होते जा रहे हैं। इसके परिणामस्वरूप आवास की कमी, यातायात की भीड़, और स्वास्थ्य देखभाल और स्वच्छता जैसी बुनियादी सेवाओं तक अपर्याप्त पहुंच जैसे मुद्दे सामने आए हैं।

जनसंाख्यकी का असन्तुलन भी समस्याओं की जड़

भारत में जनसंख्या वृद्धि गरीबी और असमानता को बढ़ा रही है। देश में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों की एक बड़ी आबादी है, और अधिक जनसंख्या बुनियादी सेवाओं और रोजगार के अवसरों तक पहुंच प्रदान करना अधिक चुनौतीपूर्ण बनाती है। अत्यधिक जनसंख्या भारत में, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर एक महत्वपूर्ण दबाव डालती है। चिकित्सा पेशेवरों और संसाधनों की कमी है, और बहुत से लोगों के पास बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच नहीं है। अधिक जनसंख्या राजनीतिक और सामाजिक अस्थिरता का कारण बन सकती है, और यह भारत में देखा भी गया है। देश में एक विविध आबादी है, और अधिक जनसंख्या विभिन्न समूहों के बीच मौजूदा तनाव को बढ़ा सकती है।

भारत के लिये गंभीर चुनौती

सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश होने के नाते भारत के लिये यह वास्तव में एक गंभीर चुनौती है। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए भारत को एक व्यापक दृष्टिकोण और रणनीति विकसित करने की आवश्यकता है जो संसाधन प्रबंधन, शहरी नियोजन, स्वास्थ्य देखभाल और सामाजिक और आर्थिक विकास जैसे विभिन्न कारकों को ध्यान में रखे। इसके लिए बुनियादी ढाँचे और सेवाओं के साथ-साथ ऐसी नीतियों की आवश्यकता होगी जो स्थायी जनसंख्या वृद्धि और विकास संतुलन स्थापित करें। कुल मिलाकर, भारत सरकार ने जनसंख्या नियंत्रण के लिए कई उपाय किए हैं। लेकिन इन उपायों की नतीजे मिले जुले रहे हैं। यद्यपि हाल के वर्षों में प्रजनन दर गिरने से भारत की जनसंख्या वृद्धि दर में कमी आई है, यह अभी भी दुनिया में सबसे अधिक है, और जनसंख्या वृद्धि को धीमा करने और सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए और प्रयासों की आवश्यकता है।

 

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