कुकुड़ पालन प्रबंधन राज्य को आर्थिक मजबूती दे सकता है
–-देवेश आदमी–
ग्रामी क्षेत्र में खाद्य के रूप में प्रोटीन की आपूर्ति हेतु कुकुड उत्त्पाद की अहम भूमिका रही हैं। आज भारत के किसी भी गाँव में चले जाओ कुकुड़ पालन से अनेकों ग्रामीणों का पुराना नाता रहा हैं ग्रामीण क्षेत्रों में अनेकों दुर्लभ प्रजाति के कुकुड़ आज भी मौजूद हैं। देश व प्रदेश के सभी क्षेत्रों में कुकुड़ मांस एवं अंडों की मांग तेजी से हो रही हैं। देश मे पोषक सलाहकार समिति के मानकों के अनुसार प्रति व्यक्ति 180 अंडे वर्ष में और 9 किलो ग्राम मांस प्रति व्यक्ति आवश्यकता हैं जब कि कुल उपलब्धता मात्र 50 अंडे व 0.85किलो ग्राम मांस ही हैं। इस का मतलब यह नही कि कुपोषण बढ़ रहा हैं। अन्य श्रोतों से भी पूर्ति हो सकती हैं परंतु इस से देश पर आयात लागत बढ़ रहा हैं जिस से अर्थव्यवस्था में सुधार नही हो रहा। कृषि प्रधान देश में यदि आयात बढ़ेगा तो अर्थव्यवस्था चरमराने में समय नही लगेगा जो नियम देश पर लागू होते है वही राज्यों के लिए भी हैं। राज्य में कुकुड़ पालक किसानों की कमी से आर्थिक मदद कम हो रही हैं जिसे बढाने की आवश्यकता हैं। राज्य को इस क्षेत्र में बाहुबली बनाया जा सकता हैं जिस के लिए अभी बहुत तैयारियां की जरूरत हैं।समाज में कुकुड़ पालन उद्यमियों के कुनबा तैयार करना होगा ।
उत्तराखंड राज्य में कुकुड़ पालन उद्योग तीव्रता से बढ़ रहा है परंतु अभी इस उद्योग के ढांचे बहुत सुधार जरूरत हैं। अधिकतर किसान स्वयं के पहल से कार्य कर रहे है जिस से किसानों के मध्य तालमेल सूझबूझ गुणवत्ता व ज्ञान का अभाव हैं। कुकुड़ पालन उद्योग जितनी तेजी से बढ़ रहा हैं उतना हैं इस में बिखराव हैं। यहां किसानों को तकनीकी सहायता की प्रथम आवश्यकता हैं। राज्य में कुल कुकुडों की संख्या लगभग 21 लाख हैं। जिस में मात्र 11% ही अंडे का उत्पादन करते हैं जिस से राज्य में अंडों की पूर्ति के लिए पड़ोसी राज्यों की मदद लेनी पड़ती हैं। राज्य की 17 वीं पशु गणना के अनुसार कूकूड़ों में 104.06% की वृद्धि हुई है जो राज्य के लिए सुखद संकेत हैं यह वृद्धि ग्रामीण पर्वतीय क्षेत्र में अधिक हुई हैं। जिस का मुख्य कारण ग्रामीणों का स्वरोजगार अपनाना, प्रोटीन के प्रति जागरूकता, करोना महामारी में गाँव लोटे युवाओं के शहरों से सीख लेना माना गया हैं इस में सरकार द्वारा भी उचित कदम उठाए गए। कुकुड़ पालन के क्षेत्र में अभी प्रदेश सरकार को उचित कदम उठाने होंगे सम्पूर्ण उत्तराखंड कुकुड़ पालन हब बन सकता हैं यहां की जलवायु में अनेकों प्रजाति के कुकुड़ आसानी से पाले जा सकते हैं।
कुकुड़ पालन व्यवसाय कम समय में अधिक मुनाफा देने वाला व्यवसाय हैं इस में लागत कम आती हैं शैक्षणिक योग्यता की आवश्यकता नही होती और बहुत भारी भरकम कार्य नही हैं। इस व्यवसाय को पहाड़ों के किसी भी क्षेत्र में किया जा सकता हैं इस के लिए भौगोलिक विषमता बाधक नही होंगी। जिस से इस व्यवसाय के फलफूलने की उम्मीद बढ़ती हैं। थोड़ी जागरूकता थोड़ा लगन थोड़ी मेहनत थोड़ी पूंजी से यह व्यवसाय आमदनी का अच्छा साधन बन सकता हैं इस के लिए सरकार ग्रामीण क्षेत्र में अच्छे कुकुड़ चिकित्सक तैनात करें नए किसानों को प्रेरित करें जो पहले से कुकुड़ पालन कर रहे है उन किसानों सम्मानित करें उन्हें तकनीकी मदद करें अच्छी नश्ल के चूजे उपलब्ध कराने होंगे। किसानों को बेहतरीन फीड दवाई व जागरूकता कार्यक्रमों की आवश्यकता हैं। ग्रामीण क्षेत्र में बाजार की उपलब्धता पर यदि सरकार कार्य करेगी तो किसानों की आय में वृद्धि होगी। कुकुड़ पालन की दिशा में आखरी व पहला कदम सरकार को उठाना होगा तभी बदलाव की उम्मीद होगी।