पर्यावरणब्लॉग

मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत : जांच हुयी शुरू

पर्यावरणवन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो (डब्ल्यूसीसीबीने मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में दस हाथियों की मौत की जांच के लिए एक टीम गठित की है। यह टीम मामले में स्वतंत्र जांच कर रही है। इसके अलावामध्य प्रदेश राज्य सरकार ने भी मामले की जांच करने और सरकार को एक रिपोर्ट सौंपने के लिए पांच सदस्यीय राज्य स्तरीय समिति का गठन किया है। पांच सदस्यीय समिति का नेतृत्व एपीसीसीएफ (वन्यजीव)को सौंपा गया है।

समिति में सामाजिक संगठनवैज्ञानिक और पशु चिकित्सक सदस्य हैं। राज्य टाइगर स्ट्राइक फोर्स (एसटीएसएफके प्रमुख भी इस मामले की जांच कर रहे हैं। एसटीएसएफ ने जंगलों और आसपास के गांवों में तलाशी ली है और घटना के बारे में गहन पूछताछ कर रही है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं मुख्य वन्य जीव प्रतिपालकमध्य प्रदेश बांधवगढ़ में डेरा डाले हुए हैं और मामले में की जा रही जांच एवं कार्रवाई की निगरानी कर रहे हैं। दूसरी ओरअपर वन महानिदेशक (बाघ और हाथी परियोजनाऔर सदस्य सचिवराष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरणएआईजी एनटीसीएनागपुर के साथ स्थलों का दौरा किया और विभिन्न संबंधित मुद्दों और संभावित मुद्दों और हाथियों की मौत का के संभावित कारणों पर राज्य के अधिकारियों के साथ चर्चा की।

मध्य प्रदेश राज्य के संबंधित अधिकारियों द्वारा साझा की गई प्रारंभिक जानकारी के अनुसारहाथियों की मौत जहर के कारण हो सकती है। मौत के सही कारणों का पता गहन जांचविस्तृत पोस्टमॉर्टम रिपोर्टहिस्टोपैथोलॉजिकल और टॉक्सिकोलॉजिकल रिपोर्ट के नतीजों और अन्य पुष्टिकारक साक्ष्यों के बाद ही चलेगा।

इसके अलावाराज्य के अधिकारियों द्वारा ऐसी घटनाओं की संभावनाओं से बचने के लिए निवारक उपाय किए जा रहे हैं और अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार बांधवगढ़ रिजर्व में और उसके आसपास अन्य हाथियों के झुंड की निगरानी बढ़ा दी गई है।

पृष्ठभूमि

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के गश्ती दल को 29 अक्टूबर को मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के पतौर और खियातुली रेंज के सलखनिया बीट में चार हाथियों की मौत का पता चला। आसपास के इलाकों की और तलाशी लेने पर छह और हाथी बीमार या बेहोश पाए गए। स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ (एसडब्ल्यूएफएचके पशु चिकित्सकों की एक टीम के सहयोग से फील्ड स्टाफ और स्थानीय पशु चिकित्सा अधिकारियों ने बीमार हाथियों की चिकित्सा शुरू की। एसडब्ल्यूएफएच के सेवानिवृत्त प्रमुख डॉ.बीश्रीवास्तव की भी सेवाएं ली गईं। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई), देहरादून के पशुचिकित्सक और संकाय की राय भी ली गई है।

हालाँकि30 अक्टूबर को चार बीमार हाथियों की मृत्यु हो गई। इसके अलावालगातार दवा और उपचार के बाद भीबाकी दो बीमार और बेहोश हाथियों की 31 अक्टूबर को जान चली गई। मृतक दस हाथियों में से एक नर और नौ मादा थीं। इसके अलावादस मृत हाथियों में से छह किशोर और चार वयस्क थे।

जानकारी से पता चला है कि तेरह हाथियों के झुंड ने जंगल के आसपास कोदो बाजरा की फसल पर धावा बोल दिया था। दस हाथियों का पोस्टमॉर्टम 14 पशु चिकित्सकों और वन्यजीव पशु चिकित्सकों की टीम ने किया। पोस्टमॉर्टम के बाद विसरा को नवंबर को टॉक्सिकोलॉजिकल और हिस्टोपैथोलॉजिकल जांच के लिए आईवीआरआई इज्जतनगरबरेली और एफएसएलसागर भेजा गया है। हालाँकिरक्त और अन्य नमूने 30 अक्टूबर को एसडब्ल्यूएफएच को भेजे गए थेजबकि बीमार हाथियों के इलाज से प्रथम दृष्टया भेजे गए नमूनों में विषाक्त पदार्थों की उपस्थिति का संकेत मिला है।

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