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बधाण की राजराजेश्वरी नंदा दूसरे पड़ाव भेटा गांव पहुंची

-थराली से हरेंद्र बिष्ट –

नंदा लोकजात यात्रा 2022 की जात के बाद 6 माह नंदा सिद्धपीठ देवराड़ा से जिसे बधाण की राजराजेश्वरी नंदा भवानी का मामाकोट भी माना जाता हैं। दो दिनों तक काली शक्तिपीठ तुंगेश्वर में डोले के विराजमान रहने के बाद तीसरे दिन सिद्धपीठ कुरूड़ (नंदानगर) रवाने होने के तहत दूसरे पड़ाव भेटा गांव पहुंच गई हैं।

इस अवसर पर भारी संख्या में नंदा भक्तों ने अपनी कुल देवी की विधिवत पूजा अर्चना कर मनौतियां मांगी।देव डोली के रवाना होने की प्रक्रिया शुरू होते ही मौजूद देवी भक्तों की आंखें छलछला उठी, उन्होंने अपनी लाडली को अगले पड़ाव के लिए अश्रुपूरित विदाई दी। इस दौरान पूरा क्षेत्र भावुक हों उठा। 1 जनवरी को अंग्रेजी नव वर्ष पर डोली अपने तीसरे पड़ाव थराली के चौण्डा गांव पहुंचेगी।

14 वर्षों के लंबे समयांतराल के बाद इस वर्ष पहला मौका आया कि बधाड़ की नंदा उत्सव डोला सिद्धपीठ देवराड़ा के गर्भगृह से उठ कर काली शक्तिपीठ तुंगेश्वर पहुंची। जहां पर बधाण पट्टी के साथ ही गैरसैंण की खनसर पट्टी के करीब 125 गांवों के काली भक्तों के द्वारा आयोजित चौंसठ मेले का आयोजन किया गया था। डोली आ कर 29 दिसंबर को शक्तिपीठ में विराजमान हों गई। पिछले तीन दिनों से यही पर नंदा भवानी की पूजा-अर्चना की जा रही थी।

शुक्रवार को देर रात तु़ंगेश्वर में काली के चौंसठ अनुष्ठान के सम्पन्न होने के बाद रविवार की प्रात: से ही तु़गेश्वर में नंदा भगवती एवं माता काली की पूजा अर्चना के बाद सिद्धपीठ कुरूड़ जिसे नंदा का मायका माना जाता हैं,के लिए प्रस्थान की प्रक्रिया के तहत तीसरे पड़ाव भेटा के लिए दोपहर करीब तीन बजें रवाना हुई।विदाई के दौरान कई महिलाओं एवं पुरुषों पर एक बार फिर नंदा,काली,लाटू सहित अन्य देवी-देवता अवतारित हुए देर तक देवपश्वाहों नाचते हुए उन्होंने क्षेत्र की खुशहाली, समृद्धि एवं निरोगी रहने का भक्तों को आशीर्वाद दिया।

इसके बाद देवी भक्तों ने उत्सव डोली को अगले पड़ाव भेटा के लिए श्रद्वापूर्वक अंशुपूर्ति विदाई दी। 29 दिसंबर से शुरू हुई देवी यात्रा आगामी 10 जनवरी को नंदा सिद्धपीठ कुरूड़ पहुंचेगी। जहां पर वह पहले से ही मंदिर गर्भगृह में विराजमान दशोली की नंदा भवानी की डोली के पास निश्चित स्थान पर विराजमान हों जाएंगी।यह से एक बार फिर से नंदा की डोलजात यात्रा 2023 भादों मास में शुरू होगी।
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14 वर्षों के लंबे समयांतराल के बाद काली मंदिर तु़गेश्वर में आयोजित हुए चौंसठ मेले की सफलता को देख कर काफी अधिक गदगद बनी हुई हैं। इस आयोजन को लेकर पिछले एक माह से सक्रिय भूमिका में रहें आयोजन कमेटी के अध्यक्ष कुंवर सिंह रावत, संयोजक धनराज रावत, भुपेंद्र सिंह रावत,देवराड़ा मंदिर समिति के अध्यक्ष भुवन हटवाल,कुरुड़ मंदिर समिति के अध्यक्ष नरेश गौड़ आदि ने आयोजन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि। जल्द ही आयोजन कमेटी का पंजीकरण किए जाने का प्रयास किया जाएगा। इसके साथ प्रत्येक तीसरे साल चौंसठ अनुष्ठान (मेले) का आयोजन किए जाने के लिए आवश्यक निर्णय लिए जाएंगे।

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